मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ कवि श्री सुशील यदु के निधन पर शोक प्रकट किया

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जोगी एक्सप्रेस 

रायपुर,मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश के वरिष्ठ कवि और लेखक श्री सुशील यदु के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया। डॉ. सिंह ने आज यहां जारी शोक संदेश में कहा है कि छत्तीसगढ़ी भाषा और साहित्य की सेवा में स्वर्गीय श्री सुशील यदु ने अपना पूरा जीवन लगा दिया। उन्होंने तीन दशकों से भी अधिक समय तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में अपनी रचनाओं के जरिए किसानों, मजदूरों और समाज की अंतिम पंक्ति के लोगों के दुःख-दर्द को अभिव्यक्ति दी और समाज को सही दिशा देने का प्रयास किया।
मुख्यमंत्री ने कहा-छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के संस्थापक अध्यक्ष के रूप में स्वर्गीय श्री सुशील यदु ने राज्य के विभिन्न जिलों में आंचलिक कवियों और लेखकों को संगठित कर कई सम्मेलन और साहित्यिक आयोजन किए। उन्होंने कई पुस्तकों और काव्य संग्रहों का सम्पादन और प्रकाशन भी किया। मुख्यमंत्री ने कहा-श्री सुशील यदु के निधन से हम सबने छत्तीसगढ़ की नयी पीढ़ी के एक अत्यंत प्रतिभावान कवि को खो दिया है। उनका निधन प्रदेश के साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। डॉ. सिंह ने उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की है और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है।
ज्ञातव्य है कि श्री सुशील यदु का बीती रात राजधानी रायपुर के ब्राम्हण पारा स्थित अपने निवास में निधन हो गया। ब्राम्हणपारा में ही उनका जन्म 10 जनवरी 1965 को हुआ था। वे छत्तीसगढ़ी भाषा के सुपरिचित गीतकार और हास्य व्यंग्य रचनाकार थे। अपनी संस्था छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के जरिए उन्होंने वर्ष 1994 से लगातार रायपुर सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों में साहित्य सम्मेलनों का आयोजन किया। आकाशवाणी और दूरदर्शन से उनकी रचनाएं समय-समय पर प्रसारित होती रही। उनकी प्रकाशित पुस्तकों में छत्तीसगढ़ के अनेक प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के जीवन पर केन्द्रित काव्यगाथा ’छत्तीसगढ़ के सुराजी बीर’, कविता संग्रह-’बनफुलवा’ और ’बगरे मोती’, दो भागों में प्रकाशित छत्तीसगढ़ लोक कलाकारों के परिचय पर आधारित ’लोक रंग’, सम्पादित कृतियों में -’स्वर्गीय हेमनाथ यदु व्यक्तित्व और कृतित्व’, स्वर्गीय श्री बद्री विशाल परमानंद का गीत संग्रह ’पिवरी लिखे तोर भाग’, श्री रंगूप्रसाद नामदेव का कविता संग्रह ’हपट परे त हर गंगे’ और स्वर्गीय श्री उधोराम झखमार का हास्य व्यंग्य कविता संग्रह ’ररूहा सपनाय दार-भात’ उल्लेखनीय है।

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