ब्लू व्हेल के जूनून में फसते अबोध, खूनी खेल ‘ब्लू व्हेल’ की गिरफ्त में छत्तीसगढ़ का भविष्य:प्रशासन को बड़ी अनहोनी का इंतज़ार

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जोगी एक्सप्रेस 

 

[नोट: यह समचार वेब डेस्क पर आधारित है ,जिसका उद्देश्य मासूम और अबोध बच्चो को इस गेम से रोकना है,ताकि भविष्य में बच्चे इस गेम में उलझ कर अपना जीवन तबाह न करे ]

रायपुर,आज राजधानी छत्तीसगढ़ समेत दूर दराज के इलाकों में भी ब्लू व्हेल नाम की दहसत ने दस्तक दी है ,आये दिन अखबारों में मोटे मोटे शब्दों में इस गेम को लेकर चेतावनी जाहिर की जा रही परंतु नतीजा सिफार ही नज़र आ रहा ,बीते दिनों छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मामला प्रकाश में आते ही समूचे विभाग में हडकंप मच गया ,परंतु क्या इस खेल और इस खेल से जुड़े नाबालिग और अबोध बच्चो की तरफ किसी ने ध्यान दिया ? क्या समय रहते इस का कोई हल खोजा जायेगा ? इस तरह के हजारो सवाल आज जन मानस के दिमाग में कौंध रहा है ,अभिभावक डरे हुए है उनकी रातो की नींद गायब है हर वक़्त बछो की चौकसी में लगे अभिभवक भी कुछ हद तक इस के जिम्मेदार है ,लाड प्यार में बच्चो को महंगे से महंगा फ़ोन उनके हाथो में थामने वाले माँ बाप ने कभी ध्यान ही नहीं दिया की उनका लाडला इस फ़ोन पर क्या कर रहा है  यह एक चिंता का विषय मात्र नहीं गंभीर समस्या भी है ! जिस पर सभी को मिल कर अंकुश लगाना होगा ,प्रसाशन के कान में जब तक ये बात जाएगी तब तक कही आयशा न की तीर कमान से निकल चुका  हो.इस से पहले की कौई अनहोनी घटित हो आप आज ही अपने बच्चो को इस तरह के खतरनाक आन लाइन गेम के प्रति जिम्मेदारी से इस के दुश परिणामो के बारे में बताये ,तब ही उन को इस गेम से बाहर निकाला जा सकता है ,  हम आजतक सुनते आये हैं कि खेलों से स्वस्थ मनोरंजन व शरीर में स्फूर्ति का संचार होता है। वस्तुत: खेल खेलने से मन:स्थिति में सकारात्मक सुधार, उत्साह का प्रफुस्टन एवं परस्पर भाईचारा और प्रेम के घनत्व में वृद्धि होती है, लेकिन, आधुनिक तकनीकी दौर में कम होते मैदानों के साथ मैदान में खेले जाने वाले वे खेल जो शारीरिक व्यायाम के साथ मानसिक एवं स्मरण शक्ति को बढ़ाते थे, उनका बीते दो दशक से महत्व कम होता जा रहा है। इसका एक कारण इंटरनेट के गेम्स का बढ़ता दायरा भी है।इंटरनेट पर नाना प्रकार के गेम्स ने बाल एवं किशोर पीढ़ी को मैदानों के खेलों से अलगावित करने का प्रयास किया है। आज घंटों-घंटों तक एक बच्चा लेपटॉप, कम्प्यूटर व स्मार्ट फोन में इंटरनेट से डाउनलोड किये गये गेम्स खेलने में इतना मशगूल रहता है कि उसे खाने-पीने का ख्याल तक नहीं रहता। यह कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगा कि आज इंटरनेट के इन आकर्षक और रोचक गेम्स ने बड़े-बुजुर्गों का भी काफी हद तक ध्यान आकर्षित किया।बेशक, इंटरनेट के बढ़ते उपयोग व तकनीकी विकास क्रम में उन्नति के साथ ऐसा होना कोई नई बात नहीं है और बच्चे इंटरनेट पर गेम्स खेलें, इससे किसी को कोई गुरेज भी नहीं है, लेकिन कोई गेम्स बाल व किशोर पीढ़ी के जान पर बन आये, तो यह निश्चित ही सोचने पर मजबूर कर देता है।सोशल मीडिया ऐसी जगह है, जहां हर प्रकार के विचारों का पालन-पोषण किया जाता है। यहां जितनी सकारात्मकता होती है, उससे कहीं ज्यादा नकारात्मकता पायी जाती है। अच्छी बातें हमें इतनी जल्दी आकर्षित नहीं करती, जबकि नकारात्मक बातों का प्रभाव बहुत जल्दी फैलता है। चाहे वो घृणा फैलाते लेख हों, पोर्न साइट्स की उपलब्धता हो, नशे को महिमामण्डित कर किया जाने वाला प्रचार हो या और कुछ हो। जब भी ऐसा कुछ कहीं लिखा जाता है, सबसे ज्यादा इससे प्रभावित होने वाला तबका किशोरावस्था में प्रवेश करते बच्चों का होता है।सामान्यत: किशोरावस्था में दिमाग और शरीर विभिन्न प्रकार के परिवर्तनों से जूझ रहा होता है, हार्मोनल बदलाव हो रहे होते हैं, पढ़ाई-लिखाई का दबाव चरम पर होता है, ऐसे में सही दिशा-निर्देश न मिले, तो भटकाव हो जाना कोई बड़ी बात नहीं है। इस समय दिमाग इतना परिपक्व नहीं होता कि अपना भला-बुरा निर्धारित कर सके, किन्तु बड़े होने का बोध खुद को सही प्रमाणित करने पर तुला रहता है।इससे बचने का सिर्फ और सिर्फ एक ही तरीका है, अभिभावकों का बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार और आपसी संवाद करे ताकि बच्चे किसी भी प्रकार की बात घर पर बताते वक्त हिचके नहीं। बच्चों के व्यवहार में किसी भी प्रकार का बदलाव होने पर उसे अनदेखा न करें। उनमें इतना विश्वास भरें कि उन्हें आसानी से गुमराह न किया जा सके। अंतत: इस दिशा में सरकार को त्वरित कदम उठाने की जरूरत है।

अब जाग रहा प्रसाशन 

स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूली बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कलेक्टरों को दी है। स्कूल शिक्षा सचिव विकास शील ने कलेक्टरों को पत्र जारी कर ब्लू व्हेल गेम से छात्रों को बचाने समेत सुरक्षा के अन्य कड़े इंतजाम करने कहा है। इसके लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी बनाई जाएगी, जो राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के दिशा-निर्देश व गाइडलाहन के हिसाब से सुरक्षा व्यवस्था करेगी।

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