लोकसभा चुनाव से पहले ही BJP-शिवसेना की दोस्ती में पड़ गई थी दरार 

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 नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी और शिवेसना के गठबंधन में दरार लोकसभा चुनावों से पहले पड़नी ही शुरू हो गई थी। लेकिन उस वक्त दोनों दलों के नेतृत्व ने इसे सुलझा लिया था। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, तीन दशक से भी ज्यादा समय तक बीजेपी के साथ रहने वाली शिवसेना के बीच में यह दरार महाराष्ट्र में सत्ता बंटवारे को लेकर पड़ी थी।

मालूम हो कि पिछले महीने आए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद शिवसेना ने 50-50 फॉर्मूले की मांग की थी, जिसके तहत ढाई साल बीजेपी और ढाई साल शिवसेना का मुख्यमंत्री बनाने को कहा गया था। इसके बाद राज्य में सरकार बनाने को लेकर उद्धव ठाकरे की पार्टी और एनसीपी, कांग्रेस के बीच बातचीत शुरू हो गई। बीजेपी नेता ने कहा कि अप्रैल के दूसरे हफ्ते हुए शुरू हुए लोकसभा चुनाव से ठीक कुछ सप्ताह पूर्व उस समय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को देर रात दो बजे फोन मिलाया था।

नेता के अनुसार, फडणवीस ने अमित शाह से पूछा था कि क्या होगा अगर गठबंधन टूट जाता है तो? बीजेपी नेता ने शिवसेना के मुखपत्र सामना की ओर इशारा करते हुए कहा कि हमारे कैडर और नेताओं के बीच में यह भावना थी कि हम वह पद उन्हें नहीं दे सकते हैं क्योंकि वे हमला (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) करने का मौका नहीं छोड़ते। लेकिन बीजेपी के नेता के मुताबिक, पीएम एक सहयोगी को खोना नहीं चाहते थे। इसके बाद एक सहमति बनी जिसके अंतर्गत पालघर सीट शिवेसना को दी गई। तब बीजेपी के सांसद रहे राजेंद्र गवित ने शिवसेना ज्वाइन की और वहां से चुनाव लड़ा। गवित को उस सीट से जीत हासिल हुई।

इसके बाद अमित शाह ठाकरे निवास मातोश्री गए। नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर शिवसेना के एक मंत्री ने बताया कि ठाकरे बीजेपी के साथ गठबंधन पर राजी हो गए क्योंकि शाह खुद मातोश्री गए थे। 18 फरवरी को शाह की उस यात्रा के दौरान ठाकरे और शाह ने राष्ट्रीय और अक्टूबर में राज्य चुनावों के मद्देनजर एक योजना बनी।

इसके बाद लोकसभा चुनाव में गठबंधन अच्छी तरह चला। शिवसेना 18 और भाजपा 23 सीटों पर विजयी रही। शिवसेना ने संयुक्त मुख्यमंत्री के मुद्दे को फिर से उछालने का फैसला किया। लेकिन वहीं, बीजेपी का एक हिस्सा अलग होने को तैयार था। भाजपा नेता के अनुसार, यह पीएम ही थे जिन्होंने अलग होने का विरोध किया। भाजपा नेता ने कहा कि उन्होंने महसूस किया कि हम उन्हें (सेना) उपयोग कर फेंक नहीं सकते, क्योंकि लोकसभा की साझेदारी सफल रही थी।

इसके बाद राज्य के चुनाव में बीजेपी को 105, सेना को 56 सीटों पर जीत मिली। दोनों की सीटों की संख्या मिलाकर यह बहुमत के आंकड़े 145 को पार करती है। परिणामों के दिन (24 अक्टूबर) को फडणवीस ने दोपहर 3:45 पर ठाकरे से फोन पर बात की। इसके अलावा उन्होंने पहला चुनाव जीतने वाले आदित्य ठाकरे से भी बातचीत की और उन्हें बधाई दी। शिवसेना नेता ने अनुरोध किया कि जब तक ठाकरे अपने बेटे के निर्वाचन क्षेत्र का दौरा नहीं करेंगे और मीडिया से बात नहीं कर लेंगे तब तक फडणवीस को अपनी प्रेस वार्ता स्थगित कर देनी चाहिए। बीजेपी नेता ने कहा कि जब हमने प्रेस कांफ्रेंस सुनी तो पता चला कि उद्धव ठाकरे ने कहा है कि हमारे लिए सभी विकल्प खुले हुए हैं। दिवाली तक हालात और मुश्किल हो गए।

वहीं, इसके अलावा 11 नवंबर को अरविंद सावंत के कैबिनेट से इस्तीफा देने से ठीक पहले फडणवीस ने मातोश्री में फोन मिलाया ताकि वे उद्धव ठाकरे से बात कर सकें। उनसे कहा गया कि उन्हें फोन कॉल किया जाएगा। लेकिन वह कॉल नहीं आई। बीजेपी नेता ने कहा कि हम विपक्ष में बैठेंगे और इंतजार करेंगे क्योंकि यह गठबंधन ज्यादा नहीं चलने वाला है। 

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