September 20, 2024

पुनर्विचार याचिका लगाएगा AIMPLB, क्या राम मंदिर निर्माण पर पड़ेगा असर?

0

 
नई दिल्ली 

अयोध्या विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की घोषणा की है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि मस्जिद के बदले दूसरी जगह दी जाने वाली 5 एकड़ जमीन मंजूर नहीं है, हम दूसरी जमीन पाने के लिए अदालत नहीं गए थे, हमें वही जमीन चाहिए, जहां पर बाबरी मस्जिद बनी थी.

रविवार को लखनऊ में मीटिंग के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ये ऐलान किया, जिसके बाद अब अयोध्या मामला फिर से सुप्रीम कोर्ट पहुंच सकता है. हालांकि, इसका राम मंदिर निर्माण की तैयारियों पर तब तक कोई असर नहीं पड़ेगा, जब तक सुप्रीम कोर्ट खुली अदालत में इस मामले की सुनवाई को राजी नहीं हो जाता है और पिछले फैसले पर स्टे नहीं लगा देता है.
 
अयोध्या मामले में पुनर्विचार याचिका दायर होने के बाद पहले तो अगले चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे बेंच में एक नए न्यायमूर्ति को शामिल करेंगे, क्योंकि बेंच में शामिल रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रिटायर हो चुके हैं. इसके अलावा बेंच में बाकी चारों जस्टिस वही रहेंगे, जिन्होंने मामले की सुनवाई की थी और फैसला सुनाया था. बेंच में नए न्यायमूर्ति के शामिल होने के बाद सभी पांचों न्यायमूर्तियों को पुनर्विचार याचिका सर्कुलेट की जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति पहले चैंबर में करेंगे सुनवाई
इस मामले की पुनर्विचार याचिका पर पहली सुनवाई चैंबर में ही होगी. अगर बेंच इसे खुली अदालत में सुनने को राजी होगी, तभी मामला आगे बढ़ेगा. वरना चैंबर में ही इसका फैसला हो जाएगा. मुख्य पक्षकारों में से एक सुन्नी वक्फ बोर्ड और इकबाल अंसारी के पुनर्विचार याचिका दाखिल न करने के इरादे के बावजूद सभी पक्षकारों के अधिकार बराबर हैं. हालांकि, अगर इस बीच सुन्नी वक्फ बोर्ड वैकल्पिक 5 एकड़ जमीन स्वीकार कर ले तो स्थिति बदल सकती है, तब मुस्लिम पक्ष कमज़ोर हो जाएगा.

राजीव धवन ही होंगे मुस्लिम पक्ष के वकील

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यह भी साफ किया कि सीनियर एडवोकेट राजीव धवन ही पुनर्विचार याचिका मामले की पैरवी करेंगे. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पुनर्विचार याचिका 30 दिन के भीतर दाखिल करनी होती है यानी अयोध्या मामले में 9 दिसंबर के पहले पुनर्विचार याचिका दाखिल करनी होगी. संविधान के अनुच्छेद 137 के तहत सुप्रीम कोर्ट को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अधिकार मिला है. यह अधिकार सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के पास है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *