शिक्षक समाज का आईना, अधिकारी भविष्य निर्माता, मनमानी पर अमादा चापलूसी करने वाले शिक्षको की चांदी

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जोगी एक्सप्रेस

ब्यूरो अजय तिवारी 

सूरजपुर /पोड़ी मोड़:आज के दौर में चापलूसी हावी है और जो सक्षम अधिकारी हैं जिनके माध्यम से उनकी मानिटरिंग करके उचित कार्यालय को अपना गोपनीय प्रतिवेदन भेजते हैं ।उस प्रतिवेदन में संबंधित जिम्मेदार सक्षम अधिकारी अपने इर्द गिर्द चक्कर लगाने वाले चापलूसी करने वाले तारीफ करने वाले शिक्षक को ही बेहतर शिक्षक समझते हैं और उन्हीं का सिफारिश उचित कार्यालय तक भेजते  हैं । जिससे उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों का मनोबल गिरते जाता है।
 यही स्थिति प्रतापपुर मुख्यालय में देखने को मिल रही है।जिलास्तरीय शिक्षक सम्मान के लिए शिक्षकों का चयन हेतु तत्कालीन बीइओ द्वारा शासन के नियम व कानून को ताक में रखकर सारी प्रक्रिया पूरी कर दी।जबकि इनके द्वारा विकास खण्ड के सभी समस्त जन शिक्षको की बैठक बुलाई गई थी।जिसमे संकुल स्तर पर चयन हेतु एक समिति गठित कर तीन शिक्षको का चयन कर बीईओ कार्ययालय में प्रस्तावित कर देने को कहा गया था।संकुल स्तर पर एक समिति गठित की गई थी।जिसमें संकुल उत्कृष्ट शिक्षकों का चयनकर प्रस्ताव बीईओ कार्यालय जमा किया गया था।पूरे विकास खंड स्तरीय समिति द्वारा उत्कृष्ट शिक्षकों का चयन कर जिले में दिया जाना था।परंतु जिला स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में प्रतापपुर से उत्कृष्ट शिक्षकों का नाम की घोषणा हुई तो पूरा सदन सन्न रह गया।विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा शासन के नियम व कानून को ताक पर रखकर ऐसे शिक्षकों को उत्कृष्ट बनाकर नाम दिया गया जो कभी कभार ही स्कूलों में आना जाना करते हैं।जबकि शिक्षक सम्मान हेतु शासन की शर्तें थी उससे विपरीत किया गया । शासन के नियमानुसार शिक्षक को लगातार 10 वर्षों तक अध्य्यापन कार्य का अनुभव हो।शिक्षक निविदा हो,विभगीय जांच न चल रही हो।किसी प्रकार से नयालीन प्रकरण न हो।नियंत्रणकर्ता के जांच में उपयुक्त हो।शाला में निरंतर80%उपस्थित अनिवार्य हो तथा SCERTद्वारा 7 दिवसीय प्रशिक्षण में प्रशिक्षण प्राप्त किया हो।जबकि चयनित शिक्षकों में शिक्षकों द्वारा इनमें से कोई भी शर्त को पूरा नही किया गया है।
  इनसे भी कई वरिष्ठ एवं उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षक है।जिन्हें आज अपमानित किया गया है।अगर इसी प्रकार से बीईओ द्वारा मनमानी किया जाता रहा तो भविष्य में शिक्षकों का मनोबल गिरता जाएगा।तथा शिक्षा गुणवत्ता में भी इसका भारी असर पड़ेगा। शिक्षकों द्वारा इन सभी पहलुओं की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।तथा खण्ड स्तरीय समिति द्वारा किसके कहने पर नियमों को तक पर रखकर अफसरसाही प्रमाण दीया गया है। जाँच में सही पाए जाने पर गलत किये गए अधिकारी व कर्मचारियों के उपर ठोस कार्यवाही करते हुए मुख्यालय से तत्काल हटाए जाने हेतु मांग की गई है ताकि भविष्य में दुबारा ऐसा कृत्य न दुहराया जा सके।जिससे शैक्षणिक गुणवत्ता भविष्य में प्रभवित न हो सके।
  आज के दौर में बड़ा दुर्भाग्य है कि एक शिक्षक जो समाज का आईना होता है और देश का भविष्य निर्माता और भविष्य निर्माता के साथ ही जो अधिकारी बैठे हैं वह अपने हिसाब से मनमानी अपने पसंद के हिसाब से अपने करीबी को अंक प्रदान कर देते हैं और उसके आधार पर आकलन कर उन्हें पुरस्कार प्रदान कर दिया जाता है।ऐसे पुरस्कारों का कोई मतलब नहीं है जो योग्य ही नहीं है उसे पुरस्कार पाने का या देने का कोई मतलब नहीं बनता पुरस्कार देने का मतलब है ऐसे शिक्षक को सम्मानित करना प्रोत्साहित करना साथ में पूरे समस्त शिक्षक समुदाय को प्रेरित कर और बेहतर ढंग से शिक्षक के कार्य और समाज में प्रेरणा देने के लिए प्रोत्साहित करना है पर निश्चित रूप से उच्चधिकारियों के रवैया से तमाम शिक्षक साथियों का मनोबल गिरता है ।एक गलत फैसले से बहुत संख्या शिक्षक बंधुओं का कहीं न कहीं आत्मसम्मान गिरता है और ऐसे पुरस्कारों का सार्थकता नहीं रह जाती जिसके लिए इसकी परिकल्पना की गई है जिस चीज के लिए पुरस्कार की शुरुआत की गई है वास्तव में वह कहीं न कहीं निरर्थक सा दिख रहा है जब वास्तविक मेहनत का ईमानदार और अच्छे कार्य करने वाले शिक्षक को सम्मान नहीं मिलेगा तो फिर ऐसे पुरस्कार का कोई मतलब नहीं निश्चित रूप से ऐसा प्रायर प्रायर शिक्षकों के साथ भेदभाव होता है और इसका मैं मूल कारण समझता हूं की बेहतर और सशक्त आकलन की कमी ब्लॉक मुख्यालय के अधिकारी अपने खंड के विद्यालयों में समय समय पर निरीक्षण नहीं करते और जब निरीक्षण ही नहीं करेंगे तो शिक्षक के भूमिका के बारे में या उनके कार्य क्षमता के बारे में या उनका कैसा कार्य है इसके बारे में वह व्यक्तिगत अवगत ही नहीं होते और कहीं न कहीं सबसे बड़ा कारण यही है इसके लिए राज्य स्तरीय टीम का गठन होना चाहिए और उनके आकलन के धार से निष्पक्ष ईमानदारीपूर्वक जो वास्तव में हकदार हैं उनके हक में सम्मान और पुरस्कार मिलना चाहिए और सिर्फ अगर ब्लाक के नौकरशाही विद्यालयों का आकलन करेंगे तो कैसे शिक्षकों का चयन करेंगे यह आप बेहतर ढंग से समझ सकते हैं आप तो सदैव विद्यालयों का खबर प्रमुखता से प्रकाशित करते हैं आपको कहीं ना कहीं व्यवहारिक विज्ञान मुझसे ज्यादा है और आप जमीन पर खबर बनाते हैं और दमदारी से लिखते हैं आप विद्यालय में जाते हैं शिक्षकों की क्या स्थिति है इससे आप वाकिफ हैं यह रवैया है और इस रवैया को ब्लॉक प्रमुखों को बदलना चाहिए समय समय पर शिक्षकों से मिलना चाहिए उनकी समस्याओं उन्हें क्या दिक्कत आ रही है क्या कठिनाई आ रही है कार्य करने में उस पर भी उन्हें अपना सुझाव देना चाहिए सब एक बेहतर शिक्षक का आकलन कर पाएंगे सिर्फ विद्यालय का परिणाम काफी नहीं है किसी बेहतर शिक्षक का आकलन करने के लिए बहुत सारे कारण है बहुत सारे आधार हैं इन तमाम बिंदुओं को अगर नोटिस करेंगे तभी एक बेहतर शिक्षक का आकलन कर सकेंगे और अगर उन्होंने भेदभाव किया है वह्या शिक्षकों के सम्मान और आत्म सम्मान के साथ गहरा आघात है उन्हें कोई हक नहीं बनता कि शिक्षकों के साथ भेदभाव करते हुए अपने चहेतों को जिस तरह से इनाम दे रहे हैं ऐसा लग रहा है कि अंधा बांटे रेवड़ी और फिर फिर अपने को देव ऐसी कहावत चरितार्थ हो रही है वह घटनाओं से ऐसी घटना भविष्य में ना घटे इसके लिए जिला प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है की शिक्षकों का मनोबल ना गिरे शिक्षकों के साथ सबसे बड़ा चीज अगर उनके साथ कोई चीज है तो है उनका अपना सम्मान और जब सम्मान देने में ही आप भेदभाव कर रहे हैं वह ऐसे में तो पूरा शिक्षक समुदाय  हतोत्साहित होगा और इसका कहीं ना कहीं समाज में भी गहरा असर होगा क्योंकि कहीं ना कहीं शिक्षक का आकलन सिर्फ अधिकारीगण ही नहीं करते बल्कि बेहतर आकलन उच्च विद्यालय के आसपास के परिवेश में रहने वाले सम्मानित व्यक्ति भी शिक्षक के क्रियाकलाप और उनके अध्यापन के बारे में और करीब से जानता है अगर उनको लगता है हमारा शिक्षक बहुत बेहतर है और किसी ऐसे ऐरे गैरे शिक्षा जो सिर्फ खंड शिक्षा अधिकारी के आसपास परिक्रमा करता हो ऐसे लोगों को इनाम मिलेगा तो समाज को निराशा हाथ लगेगा और ऐसे निराशाजनक कार्य के लिए निश्चित रुप से खंड शिक्षा अधिकारी भी आलोचना के पात्र होंगे बाकी आपकी कलम से कोई नहीं बच पाया है तो एक खंड शिक्षा अधिकारी क्या बचेगा कल आप उम्मीद है समाज के आप भी एक  रक्षक हैं पढ़ा रही हैं और अपने समाचार पत्र के माध्यम से गंभीरता और ईमानदारीपूर्वक समाज को सच्चाई से अवगत कराएंगे ताकि समाज को नौकरशाहों के हकीकत का पता चले और आने वाले भविष्य में यह लोग शिक्षक समुदाय से खिलवाड़ ना कर सके।

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