मनमोहन बोले: कांग्रेस ने Article 370 को खत्म करने का समर्थन किया, मगर…

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 मुंबई 
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि कांग्रेस को किसी से राष्ट्रभक्ति का प्रमाण पत्र लेने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने अनुच्छेद 370 हटाने के पक्ष में वोट दिया, लेकिन जिस उद्धत तरीके से इसे किया गया उसका विरोध किया। अर्थशास्त्री – नेता सिंह ने कहा कि कांग्रेस को किसी से राष्ट्रभक्ति का प्रमाण पत्र लेने की जरूरत नहीं है क्योंकि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इसकी भूमिका के बारे में सब जानते हैं। भाजपा या आरएसएस ने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा नहीं लिया था।

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल ''राजनीतिक प्रतिशोध" लेने में नहीं किया जाना चाहिए। सिंह के बयान ऐसे समय में आए हैं जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर कांग्रेस पर प्रहार कर रहे हैं। वहीं शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल सहित राकांपा के नेताओं के खिलाफ विभिन्न मामलों में ईडी की जांच चल रही है।

सिंह ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जिस उद्धत तरीके से संविधान के अनुच्छेद 370 को संसद में पेश किया गया, कांग्रेस ने उसका विरोध किया। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तरह का कदम उठाने से पहले जम्मू-कश्मीर के लोगों का दिल जीतना जरूरी था। उन्होंने कहा, ''कांग्रेस ने संसद में इस पहल (अनुच्छेद 370 को खत्म करना) के पक्ष में मतदान किया न कि इसके विरोध में। कांग्रेस का मानना है कि अनुच्छेद 370 अस्थायी प्रावधान है लेकिन अगर बदलाव लाया जाना है तो इसे जम्मू-कश्मीर के लोगों की इच्छाओं के मुताबिक।"

सिंह ने कहा कि ईडी को राजग के शासन काल में पहले की तुलना में ज्यादा शक्तियां मिलीं और राजनीतिक बदले की भावना से इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने विश्वास जताया कि सरकार प्रफुल्ल पटेल के साथ न्याय करेगी और कहा, ''हमें उम्मीद है कि इन ताकतों का इस्तेमाल राजनीतिक बदले की भावना से नहीं किया जाएगा।" वी. डी. सावरकर को भारत रत्न देने के भाजपा के चुनावी वादे के बारे में पूछने पर सिंह ने कहा कि कांग्रेस सावरकर के केवल हिंदुत्ववादी विचारधारा का विरोध करती है। महात्मा गांधी की हत्या के मामले में सावरकर आरोपी थे, लेकिन वह बरी हो गए थे।

हिंदू महासभा के नेता को ''सावरकर जी के संबोधन के साथ सिंह ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सावरकर की याद में डाक टिकट जारी किया था। सिंह ने कहा, ''लेकिन हम हिंदुत्व की विचारधारा के समर्थन में नहीं हैं जिसे सावरकर जी ने संरक्षण दिया और प्रोत्साहित किया।" सिंह ने राजग सरकार के नागरिकता संशोधन विधेयक पर भी प्रहार किया और इसे विभाजनकारी कदम बताया और इसे मुस्लिमों के खिलाफ भेदभाव बताया। उन्होंने दावा किया कि संसद के इतिहास में पहली बार इस तरह का विभाजनकारी विधेयक पेश किया गया।

असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी के बारे में सिंह ने कहा कि भाजपा को उम्मीद थी कि इसमें मुस्लिम बाहर आएंगे लेकिन जो 19 लाख लोग अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाए उनमें से 12 लाख बंगाली हिंदू हैं। सिंह ने कहा कि एनआरसी जैसे मामलों में निष्पक्ष तरीके से देखने की जरूरत है और जब लोग चाहते हैं कि विदेशी नागरिकों की पहचान की जाए और सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उन्हें कोई फायदा नहीं मिले, तो हमें इस मुद्दे को पूरी सहानुभूति के साथ ''मानवीय समस्या के तौर पर देखना चाहिए।

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