उमरिया, चंदिया व पाली, नौरोजाबाद के जंगल में हैं कुदरत का खजाना – मढ़ीबाग कलचुरी कालीन मंदिर

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उदय सिंह सोमवंशी की रिपोर्ट

उमरिया. सुरम्य विंध्य के पहाड़ों से सुसज्जित बांधवधरा उमरिया में बांधवगढ़ के अलावा भी पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। मढीबाग का शिव मंदिर जो कल्चुरी कालीन स्थापत्य पर अधारित है। उमरिया में प्रकृति की गोद एवं एकांत में समय बीताने के लिए लोगों की जुबान पर पहला नाम मढीबाग का आता है। धार्मिक स्थल मढीबाग शिव मंदिर कलचुरी कालीन है और खजुराहो की तर्ज पर विकसित है। जंगल के बीच में बने इस मंदिर में पहुंचने के बाद लोगों का तिलस्मी शांति का अनुभव होता है। दूर दूर से लोग इस मंदिर को देखते आते है और आस पास के क्षेत्रों का भी भ्रमण करते है। शिविरात्रि और अक्षय नवमी पर यहां लोगों का मेला लगता है। प्राचीन शिल्प और मंदिरों में रूचि रखने वालो के लिए यह स्थान बेहद खास है और यहां आने के बाद लोगो को काफी देर तक रूकने के लिए यह स्थान मजबूर कर देता है। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण कलचुरी नरेश कर्ण देव सिंह ने दसवीं शताब्दी मे कराया था। वे शिवोपाशक थे और इस पूरे क्षेत्र में उन्होंने इसी तर्ज पर कई अन्य मंदिरो का भी निर्माण कराया था।

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