कोयला खदानों व विद्युत सयंत्रों के दुष्प्रभावों पर हुआ मंथन – दो दिवसीय कोयला एवं थर्मल पावर सम्मेलन शुरू

0

एनवायरोनिक्स ट्रस्ट व सार्थक का सयुंक्त आयोजन- 11 राज्यों से प्रतिनिधि कर रहे शिरकत

कोरबा। बुधवार को कोयला खनन एवं ताप विद्युत संयंत्रों के दुष्प्रभाव को कम करने तथा इसके वैकल्पिक उपायों पर छत्तीसगढ़ सहित 11 राज्यों के लोगों ने मंथन किया। कोल्, पावर कंपनियों एवं केंद्र व राज्य सरकारों की नीतियों पर भी चर्चा की गई।
छठवें कोयला एवं ताप विद्युत सम्मेलन का आयोजन एनवॉयरोनिक्स ट्रस्ट, नई दिल्ली तथा सार्थक, कोरबा द्वारा सयुंक्त रूप से किया जा रहा है। बुधवार को दो दिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ सर्वमंगला मंदिर के पीछे स्थित भंडारा गृह में हुआ। इसमें कोयला खनन व ताप विद्युत संयंत्रों से प्रभावित तथा जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं व इनसे जुड़े लोगों की भागीदारी हो रही है। छत्तीसगढ़ सहित ओड़िशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र से पहुंचे लगभग डेढ़ सौ प्रतिनिधियों ने एक स्वर में कोयला खनन व ताप विद्युत संयंत्रों का दायरा कम करने को लेकर सहमति जताई। एनवायरोकिक्स ट्रस्ट से जुड़े तथा सम्मेलन के संयोजक आर श्रीधर ने कहा कि आज पूरी दुनिया के सामने जलवायु परिवर्तन सबसे मुद्दा है। हमें कोयला खनन व ताप विद्युत उपक्रमों से परे नई दिशा की और बढ़ना होगा। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि खनन व विद्युत संयंत्रों के कामगारों के लिए जो भी नीतियां बनाई गई हैं, जमीनी स्तर पर इसका लाभ मिलता नहीं दिख रहा है। सीएफए की प्रिया ने प्रोजेक्टर के जरिए आंकड़ों के साथ बताया कि ऊर्जा की होड़ में थर्मल पॉवर प्लांट तो लगा दिए गए, लेकिन अब इन्हें शट डाउन करना पड़ रहा है। प्रिया ने बताया कि पूरे देश में 46 प्रतिशत विद्युत संयंत्र निजी सेक्टर के हैं। केंद्र सरकार के अधीन 30 फीसदी तथा राज्य सरकारों के 24 प्रतिशत पावर प्लांट प्रचालन में है। प्रिया ने थर्मल पावर प्लांट में निवेश को लेकर कई चौंकाने वाली जानकारियां दी। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने कोयला खनन क्षेत्र से जुड़े कानूनों पर विस्तार से प्रकाश डाला और शंका समाधान भी किया। नागपुर से आये एटक के श्रमिक नेता मोहन शर्मा ने आजादी के बाद से लेकर वर्तमान समय तक के बिजली उत्पादन और कामगारों से जुड़े विषयों पर अपनी बात रखी। त्रिनंजन राधाकृष्णन ने मानव अधिकार पर फोकस किया। सार्थक के सचिव लक्ष्मी चौहान ने जिला खनिज न्यास मद से जुड़े मुद्दे उठाए। श्री चौहान ने कहा कि खदान या संयंत्र के लिए जमीन अधिग्रहित करने पर प्रभावित व्यक्ति को डीएमएफ से उतनी ही जमीन खरीदकर कर देने की मांग रखी जाएगी। डॉ पुनिता ने पावर प्लांट के कामगारों व आसपास रहने वाले समुदाय पर किये गए शोध की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस तरह इनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। हेल्थ राइट्स को लेकर भी उन्होंने चर्चा की। इनके अलावा राकेश भारद्वाज, सीपी औधीचय, डेमे ओराम, मनभट विश्वास, बंसीलाल बिंजणा, स्वराज दास, सविता रथ आदि ने भी अपनी बात रखी। संचालन निशांत ने किया। गुरुवार को भी कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होगी तथा रणनीति बनाई जाएगी ताकि कोयला खनन और टीपीपी पर वर्तमान राष्ट्रीय सभा, वैकल्पिक ऊर्जा विकल्पों की तलाश में लगे नेटवर्क को मजबूत किया जा सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed