EVM हटाओ, बैलेट पेपर लाओ राज ठाकरे, अजित पवार, बालासाहेब थोरात, छगन भुजबल, राजू शेट्टी जैसे तमाम विपक्षी पार्टी के नेता एक साथ एक मंच पर

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नई दिल्लीः ईवीएम के विरोध में देश की विपक्षी पार्टियां अब एकजुट होना शुरु हो रही हैं जिसकी शुरुआत महाराष्ट्र से हो रही है. महाराष्ट्र में अक्टूबर महीने में विधान सभा चुनाव होने जा रहे है जिससे पहले विरोधी पार्टियां ईवीएम हटाओ, बैलेट वापस लाओ का नारा दे रही है. ऐसा नहीं करने पर विरोधी पार्टियां चुनाव का बहिष्कार भी कर सकती हैं. एमएनएस अध्यक्ष राज ठाकरे के नेतृत्व में आज सभी विरोधी पार्टियां एक साथ आईं और देश में होने वाले चुनावों में ईवीएम का विरोध किया. कांग्रेस, एनसीपी, एमएनएस, आप, सीपीआईऔर अन्य प्रादेशिक पार्टियों के प्रमुख आज मुंबई में एक मंच पर दिखे और ईवीएम के खिलाफ आंदोलन की घोषणा कर दी. वहीं राज ठाकरे इस भूमिका को लेकर केवल राज्य में ही नहीं तो देशभर के नेताओं को मिल रहे हैं. बुधवार को उन्होंने कोलकत्ता में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाक़ात की और ईवीएम को लेकर महाराष्ट्र में होनेवाले आंदोलन में शामिल होने का न्यौता दिया. इससे एक बात तो तय है कि महाराष्ट्र में होनेवाले विधानसभा चुनाव में विरोधी पक्ष ईवीएम के ख़िलाफ़ आक्रमक भूमिका निभाने की तैयारी में हैं.
इससे पहले महाराष्ट्र की राजनीति में ये तस्वीर कभी देखने को नहीं मिली. राज ठाकरे, अजित पवार, बालासाहेब थोरात, छगन भुजबल, राजू शेट्टी जैसे तमाम विपक्षी पार्टी के नेता एक साथ एक मंच पर आए और ईवीएम का विरोध किया. विपक्षी पार्टियों का मानना है कि लोकसभा चुनाव में मिली हार उनकी नाकामी नहीं तो ईवीएम से हुई धोखाधड़ी का नतीजा है. विरोधी मानते है कि जब पुरी दुनिया में ईवीएम का इस्तेमाल नहीं होता तो सिर्फ़ भारत में ही क्यूं ऐसा होता है. राज ठाकरे ने कहा ‘मैंने चुनाव आयोग से पुछा कि इस मशीन की जान जिस चिप में है वो चिप बनती कहां है. जवाब में बताया गया अमेरिका. अब अमेरिका ने खुद इस मशीन का इसतमाल बंद कर दिया है तो फिर हम क्यों कर रहे हैं.’

इसी मुद्दे को लेकर राज ठाकरे ने केंद्रीय चुनाव आयोग के चीफ कमिश्नर से मुलाक़ात की और बैलेट के जरिए चुनाव करने की मांग की. लेकिन राज ठाकरे का कहना था कि ईवीएम के मामले में सुप्रीम कोर्ट से लेकर चुनाव आयोग तक से उन्हें न्याय मिलने की कोई उम्मीद नहीं. इसीलिए वो विरोधी पार्टियों एक करने की कोशिश मे जुटे है. राज ने कहा कि ‘मुझे चुनाव आयोग से न्याय मिलने की कोई उम्मीद नही. तभी हम सब एक होकर इसका विरोध कर रहे है. ये आंदोलन किसी एक पार्टी के झंडे के तले नहीं होगा तो देश में लोकतंत्र को बताने के लिए देश के तिरंगे के साथ किया जाएगा.’
कांग्रेस, एनसीपी और अन्य पार्टियों के नेताओं का भी यहीं कहना है कि ईवीएम के झोल ने विपक्ष का खेल किया. ईवीएम पर हमें विश्वास नहीं तो ऐसे में इन चुनाव प्रक्रिया पर हमारे विश्वास बना रहे इसीलिए सरकार और चुनाव आयोग को ईवीएम के बजाए बैलेट पर चुनाव कराने चाहिए. राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा ‘हमने इसका विरोध पहले भी किया. लेकिन ना चुनाव आयोग ना सुप्रीम कोर्ट में ठीक से सुनवाई नहीं हुई. पूरा देश ईवीएम पर सवाल खड़े कर रहा है तो फिर बीजेपी ईवीएम के बजाए बैलेट पर चुनाव करने के लिए क्यों नहीं राज़ी होती. बीजेपी का जीत का आत्मविश्वास है तो बैलेट पर चुनाव कराए.’
अब महाराष्ट्र में विपक्ष आंदोलन करने जा रहा है. 21 अगस्त को मुंबई में विपक्ष ईवीएम के खिलाफ रैली करने जा रहे हैं. इस विरोध मार्च में बडी संख्या में लोगों के शामिल होने की उम्मीद इन पार्टियों ने जताई है. इस मार्च से पहले महाराष्ट्र की जनता से ईवीएम के विषय पर विपक्ष उनकी राय भी जानेगा. जिसके लिए महाराष्ट्र की जनता को फ़ॉर्म दिए जाएंगे और उनके जवाब को चुनाव आयोग और सरकार के सामने पेश किए जाएंगे.
वहीं अगर आंदोलन के बाद भी बैलेट पर चुनाव नहीं कराए जाते हैं तो विपक्ष विधान सभा चुनाव के बहिष्कार करने की रणनीति भी बना सकता है जो देश की राजनीति में एक बड़ा क़दम होगा. चुनाव बहिष्कार के सवाल पर राज ठाकरे ने कहा ‘ पहले आंदोलन होगा उसके बाद भी ईवीएम नही हटाया जाता तो अगली रणनीति पर विचार किया जाएगा. हम सब एक साथ हैं तो चुनाव बहिष्कार का फ़ैसला भी सभी से सलाह मशवरा करके ही लिया जाएगा. अगली रणनीति जल्द तय की जाएगी’
वही विपक्ष की इस एकता को बीजेपी ने हार के पहले का रोना क़रार दिया है. राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि ईवीएम के भरोसे सभी पद का उपयोग किया तब ईवीएम नहीं दिखा. ईवीएम पर रोना ऐसा हुआ जैसे वर्ल्ड कप में हारने के बाद को टीम कहे कि अंपायर हमारे साथ नहीं था. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा ‘मेरी सलाह है इन विपक्षी गणों नेताओं को, आज भी जनता में जाकर माफी मांगो, क्या काम करोगे वो बताओ. नही तो जनता फिर से नकार देगी’
2014 लोकसभा, विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद राज ठाकरे की पार्टी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है और संजीवनी की तलाश में है. ऐसे में राज ठाकरे कांग्रेस, एनसीपी और दूसरे विरोधी पार्टियों के जरिए राजनीतिक ज़मीन तलाश रहे हैं. तभी से अलग भूमिका लेकर राज ठाकरे दूसरे पार्टियों तक पहुँच रहे हैं.
40 साल पहले बाल ठाकरे ने कांग्रेस के विरोध में और हिंदुत्व का चहरा बताकर बीजेपी को महाराष्ट्र में साथ लिया. अब 40 साल बाद दूसरे ठाकरे मोदी विरोधियों को राष्ट्रीय स्तर पर एक करने की कोशिश में है. ऐसों में ममता बनर्जी के बाद राज ठाकरे, अखिलेश यादव, मायावती, चंद्रबाबू नायडू, अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं की भविष्य में साथ मिलने की चर्चा होने लगी है.

साभारःABPन्यूज़

फोटो क्रेडिट बाय :गूगल

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