निजी स्कुलो के मनमाने रवैये और व्यवसायीकरण को रोकने डी के सोनी ने छेड़ी जंग ,पूर्व में भी दिए गए आवेदन पर आज तक नही हुई जाँच

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प्रायवेट स्कूलों के व्यावसायीकरण और मनमाने रवैये को रोकने हेतु डी.के. सोनी ने दिया आवेदन पूर्व में दिए गए आवेदन के आधार पर जांच लम्बित रखा गया है तीन वर्षों से कोई जांच नहीं हुई है जांच को लम्बित रख प्रायवेट स्कूलों को लाभ पहुंचाने का किया जा रहा है प्रयास ।सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी से हुआ खुलासा।

अजय तिवारी

अम्बिकापुर : जिला मुख्यालय अंबिकापुर में कई निजी स्कूल है, इन स्कूलों में अप्रैल 2019 से नए शिक्षण सत्र का शुभारंभ हो जायेगा, लेकिन एडमिशन प्रक्रिया से लेकर स्कूल खुलने तक निजी स्कूल प्रबंधन जहां छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं तो वही ये स्कूल संचालक अभिभावकों के जेब पर डाका डालते हैं।

गौरतलब है कि निजी स्कूल प्रबंधन स्कूल प्रवेश शुल्क, आगामी कक्षा में प्रवेश शुल्क, गणवेश ,कॉपी, किताब क्रय प्रति वर्ष सिलेबस में बदलाव, कमिशनखोरी के लिए चहेते दुकान से साठ गांठ, जैसे मामलों में जमकर मनमानी करते हैं इस मनमानी और कमिशनखोरी के शिकार अभिभावक अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए लाचार है, इस लाचारी का फायदा उठाकर निजी स्कूल प्रबंधन अभिभावकों से मोटी रकम वसूल करते हैं | निजी स्कूलों के इस रवैये और अभिभावकों से हो रही ठगी को देखते हुए जिले के सभी प्रायवेट स्कूलों तथा विशेष कर होलीक्रॉस स्कूल एवं कारमेल स्कूल में जांच कराने हेतु डी.के. सोनी अधिवक्ता एवं आर.टी.आई कार्यकर्ता ने शिकायत आवेदन दिया गया है जिसमें निम्न तथ्यों को उठाया गया है:-


1- विद्यालय शुल्क संरचना सीबीएसई /सीजीबीएसई /डीपीआई/आईसीएसई पर आधारित है?
2- क्या शुल्क संशोधन के पूर्व पालन प्रतिनिधियों के सन्ज्ञान में लाया गया है?
3- क्या स्कूल प्रबंधन “न लाभ न हानि” के सिध्दांत का पालन कर रहा है?
4- क्या विद्यालय में प्रति वर्ष रि-एडमिशन शुल्क लिया जा रहा है? अगर हां तो उसका आधार क्या है |
5- क्या विद्यालय में छात्रों से शुल्क के आलावा किसी तरह का फाइन लेने का प्रावधान है?
6- विद्यालय में प्रवेश आवेदन शुल्क पत्र का शुल्क कितना लिया जाता है क्या यह शुल्क आवेदन पत्र के लागत के तुल्य है?
7- क्या स्कूल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के बिंदुओं का पालन करता है?
8- विद्यालय में आज पर्यन्त शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत कितने बच्चों को प्रवेश दिया गया?
9- विद्यालय द्वारा छात्रों को कौन-कौन सी सामग्री विक्रय की जाती है, जैसे यूनिफार्म, किताबें, कॉपी, स्टेशनरी आदि, या किसी विशेष संस्था से लेने हेतु दबाव दिया जाता है कि जांच किया जाना आवश्यक है |
10- विद्यालय में प्रत्येक वर्ष सिलेवश किस आधार पर परिवर्तन किया जाता है उसका क्या है?
11- क्या जिले में संचालित निजी स्कूलों विशेष कर होलीक्रॉस एवं कारमेल स्कूलों में प्रशिक्षण शिक्षक /शिक्षिकाओं द्वारा अध्यापन कार्य कराया जाता है? उनकी योग्यता संबंधी जांच कराया जाए |


वहीं डी.के. सोनी अधिवक्ता एवं आर.टी.आई कार्यकर्ता ने इस सम्बंध में बताया की उनके द्वारा यह भी मांग की है कि उक्त बिंदुओं के अलावा अन्य बिन्दु जो आम नागरिक के हित में शासन प्रशासन उचित समझे कि जांच करने के लिए एक टीम गठन किया जाए| जिसमें शासन प्रशासन के अधिकारियों के साथ दो वरिष्ठ पत्रकार, दो सामाजिक कार्यकर्ता, दो अभिभावक और दो राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों तथा शिकायतकर्ता को टीम में रखकर उक्त तथ्यों की जांच कराई जावे। विशेषकर होलीक्रॉस एवं कारमेल स्कूल का क्योकि कम से कम 15 से 20 हजार बच्चों के भविष्य का सवाल है |


वहीं उनका यह भी कहना है उनके द्वारा पूर्व में भी दिनांक 7/4/2016 एवं दिनांक 27/3/2018 को कलेक्टर के समक्ष आवेदन दिया गया था लेकिन उसमें सिर्फ खानापूर्ति हेतु दिनांक 9/4/2018 को एक जांच समिति गठित की गई लेकिन उक्त जांच समिति ने आज दिनांक तक कोई भी जांच प्रतिवेदन तैयार नहीं किया गया जो कि सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी से यह पता चला कि उक्त जांच आज तक लम्बित है जिससे स्पष्ट है की कोई जांच हुई ही है| जिस कारण ही आज 22/2/2019 को मेरे द्वारा पुनः से आवेदन देकर 10 दिवस के अंदर जांच पूर्ण करने हेतु निवेदन किया गया है,अगर उपरोक्त तथ्यों की जांच टीम बनाकर 10 दिवस के अंदर जांच पूरी कर रिपोर्ट को नागरिक के सामने प्रस्तुत नहीं किया जाता है तो उक्त संबंध में अभिभावक के साथ मिलकर जिला प्रशासन, जिला शिक्षा अधिकारी और प्रायवेट स्कूलों के समक्ष उग्र आंदोलन किया जाएगा| जिसके लिए शासन प्रशासन स्वयं जिम्मेदार होगा।

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