छत्तीसगढ़ की असली तस्वीर है राजधानी का शक्तिघाट-भगवानू नायक

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छत्तीसगढ़ की असली तस्वीर है राजधानी का शक्तिघाट-
विकास के लिए तरसता शक्तिघाट, सरकार को आइना दिखाता है
केंद्रीय नेताओं को शक्ति घाट से रूबरू करवाएं भाजपाई

जोगी एक्सप्रेस 

 रायपुर,  जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश प्रवक्ता भगवानू नायक ने कहा है कि रायपुर नगर निगम के वार्ड क्र. 70 की शक्तिघाट गांव राज्य और केंद्र सरकार को आइना दिखा रही है, जो आजादी के 70 साल के बाद भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है। देश के आजादी के लिए शहीद हुए महापुरुषों ने  नव भारत के निर्माण के लिए गांव की विकास की बात कही थी। 14 साल से राज्य में सत्तासीन  मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह और भाजपाइयों के  छत्तीसगढ़ विकास के सारे दावों को झुठलाता यह गांव प्रशासनिक अधिकारियों के मुंह पर एक करारा तमाचा है।  नायक ने कहा है एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार  तथा राज्य की रमन सरकार  जगह-जगह अपने विकास की गुणगान कर रही है पुनः सत्ता में आने  भाजपाई योजनाबद्ध तरीके से गांव-गांव अपना  प्रचार कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ  राजधानी की हालत इस प्रकार है भाजपाइयों के जो दावे देश में तेजी से विकास हो रहा है और छत्तीसगढ़ में सर्वांगीण विकास हो रहा है यह सब झूठे साबित हो रहे हैं। राज्य की राजधानी रायपुर की ही हालत ऐसी है तो सुकमा, सूरजपुर ,कोंटा, मानपुर और मोहला वनांचल जैसे ब्लॉकों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है, वहां किसी भी ग्राम पंचायत की स्थिति बेहतर नहीं है और जो विकास के दावे किए जा रहे हैं  वह केवल कागजों पर संचालित है।  नया रायपुर में अरबों रुपए फूंककर सरकार ने सड़क नाली पानी और बिजली की व्यवस्था कर रही है जहां कोई आबादी नहीं है जबकि पुराने रायपुर जहां जनजीवन है , 15 लाख की आबादी में लोग नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं यहां के कई वार्ड में पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं है, वार्डों में सफाई व्यवस्था ठप है रायपुर नगर निगम की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है  निगम की हालत खराब है।आगे नायक ने कहा प्रदेश के दो दिग्गज मंत्री रायपुर शहर से हैं मुख्यमंत्री और तमाम प्रशासनिक अमला के अधिकारी रायपुर में ही बैठ रहे हैं लेकिन उन्हें इन वार्डों की चिंता नहीं है, जानबूझकर इन वार्डों की अनदेखी कर रहे हैं क्योंकि वे जहां रहते हैं उन जगहों में पर्याप्त मूलभूत सुविधा उन्हें मिल रही है इधर आम जनता समस्या से जूझ रही है जिससे उनको कोई लेना देना नहीं है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार विकास का ढिंढोरा पीटना बंद करें बेहतर होगा की शक्ति घाट जैसे गांव  में सरकार अपनी शक्ल देखे।

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