बाल अपराध रोकना,बनने के कारणों का पता लगाना पुलिस की जिम्मेदारी: डी.जी.पी. उपाध्याय

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बाल हितैषी पुलिसिंग विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ


रायपुर,छत्तीसगढ़ पुलिस (अपराध अनुसंधान विभाग) और यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में ‘‘बाल हितैषी पुलिसिंग‘‘ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ आज स्थानीय होटल कोर्टयार्ड मेरियट में पुलिस महानिदेशक ए.एन.उपाध्याय ने किया।
03 दिसम्बर से 05 दिसम्बर तक चलने वाली इस कार्यशाला में पुलिस महानिदेशक ए.एन. उपाध्याय ने कहा कि पुलिस का दायित्व बाल अपराध को रोकने के साथ-साथ यह भी पता लगाना है कि बच्चा अपराधी कैसे बना, इसके लिए कौन सी परिस्थितियां जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा है कि भारतीय समाज में जैसे-जैसे परिवर्तन होते है उसी प्रकार समय-समय पर नियम और कानून बनाए जाते हैं। बालको की देख-रेख ज्यादातर समय उनके परिवार में होती है। बच्चों के माता-पिता, अभिभावक और स्कूल जाने की स्थिति में स्कूल शिक्षक सही ढ़ंग से बच्चों के प्रति संवेदनशील हो तो बालक अपराध की ओर आकर्षित नहीं होगा। उपाध्याय ने इस कार्यशाला आयोजन के सफलता पर आशा व्यक्त की कि बाल अपराध विषय के विशेषज्ञों और पुलिस अधिकारियों के विचार-विमर्श पश्चात् महत्वपूर्ण तथ्य प्राप्त होंगे उनका समावेश पाठ्यक्रम के रूप में छत्तीसगढ़ पुलिस अकादमी और पुलिस के प्रशिक्षण संस्थाओं में लागू किया जाएगा।
कार्यशाला में विशेष पुलिस महानिदेशक आर.के.विज ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर सभी जिले के पुलिस अधिकारियों को पुलिस अकादमी में 15-15 दिनों का प्रशिक्षण दिया गया। यह प्रशिक्षण विशेष तौर पर बाल अपराध की रोकथाम, पाॅस्को एक्ट और जे.जे. एक्ट में किए गए प्रावधानों को समझने और उसके क्रियान्वन विषय पर था। सरकार की ओर से बच्चों से संबंधित मामलों की विवचेना के लिए एक्ट में सभी प्रावधान किए गए हैं, जिससे कि एक पुलिस अधिकारियों को क्या करना है और क्या नहीं करना है। उन्होंने कहा कि एक पुलिस अधिकारी को यह भी जानना आवश्यक है कि बाल संरक्षण गृह में समय व्यतीत करने के बाद बच्चा फिर अपने समाज में जाएगा तब वह कैसा अनुभव करेगा। कहीं उसका मानसिक विकास बाधित न हो इसलिए प्रत्येक पुलिस अधिकारियों को बच्चों के प्रति विवेचना करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि उसे स्वयं के बच्चे की भावना के अनुरूप कार्य करना है।
कार्यशाला में कर्नाटक राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राघवेन्द्र ने कर्नाटक राज्य में पुलिस को बाल हितैषी क्षेत्र में प्रशिक्षित करने के संबंध में किए गए कार्याें को विस्तार पूर्वक वर्णन किया। इसी प्रकार ओडिशा पुलिस के पुलिस अधीक्षक (सी.आई.डी.) आर.बी.पाणिग्रही ने ओडिशा राज्य में बाल अपराध और हिंसा के विरोध में चलाए जा रहे कार्यक्रमों के संबंध में जानकारी दी। इस कार्यक्रम में महासुमन्द जिला पुलिस की ओर से प्रकाशित पुस्तिका ‘‘Towards Child Friendly जिला महासमुन्द‘‘ का विमोचन किया गया।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अरुण देव गौतम और उप पुलिस महानिरीक्षक नेहा चंपावत के मार्ग दर्शन में इस तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला में छत्तीसगढ़ सहित नौ राज्यों से आये विशेषज्ञ और पुलिस के अधिकारी अपने विचार व्यक्त करेंगे। इस अवसर पर पुलिस विभाग के उप पुलिस महानिरीक्षक एस.सी.द्विवेदी, युनिसेफ के छत्तीसगढ़ प्रमुख प्रशांत दास, दुर्ग और महासमुन्द जिले पुलिस अधीक्षक सहित पुलिस मुख्यालय के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन पुलिस अधीक्षक अपराध अनुसंधान विभाग एम.एन.पाण्डेय ने किया।

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