सबरीमाला मंदिरः दूसरे दिन भी महिलाओं को ‘नो एंट्री’

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तिरुवनंतपुरम। केरल में एक महिला पत्रकार ने सबरीमाला मंदिर तक जाने की भरसक कोशिश की। लेकिन उसे भारी विरोध-प्रदर्शन के बीच वापस लौटना पड़ा। इसलिए मंदिर के कपाट खुलने के बाद से इसमें कोई रजोधर्म वाली महिला प्रवेश नहीं कर सकी है।

लिहाजा, इस प्राचीन मंदिर की पुरातन रीतियों को अब तक बदला नहीं जा सका है। हालांकि भगवान अयप्पा के भक्तों पर पुलिस कार्रवाई के खिलाफ गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी और कई हिंदू संगठनों की हड़ताल बेहद सफल रही। मंदिर पर्वत और आसपास के इलाकों में सुबह से शाम तक कोई चहल-पहल नहीं देखी गई। केंद्र सरकार ने केरल सरकार को राज्य में शांति स्थापित करने को कहा है।

विगत बुधवार को सबरीमाला मंदिर के कपाट खुलने के बाद से अब तक 10 साल से लेकर 50 साल तक की आयु की किसी भी महिला को ब्रह्मचारी कहे जाने वाले भगवान अयप्पा के इस प्राचीन मंदिर में प्रवेश नहीं मिल पाया है। जबकि एक अमेरिकी मीडिया हाउस की दिल्ली की एक महिला पत्रकार ने अपने विदेशी पुरुष सहयोगी के साथ मंदिर में प्रवेश की कोशिश की लेकिन उन्हें पर्वतीय क्षेत्र मरक्कोट्टम से बैरंग वापस पंबा में लौटना पड़ा।

अयप्पा के क्रोधित भक्तों ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। उन्हें पुलिस की निगरानी में सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया। महिला पत्रकार के पीछे पहाड़ी पर चढ़ रहे मलयालम समाचार चैनलों के संवाददाताओं ने बताया कि श्रद्धालु ‘महिलाओं, वापस जाओ’ के नारे लगा रहे थे।

समझा जाता है कि महिला पत्रकार की उम्र 45 साल के करीब रही होगी। यदि पत्रकार पहाड़ी चढ़कर मंदिर पहुंच जाती तो 28 सितंबर को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयप्पा स्वामी मंदिर में भगवान के दर्शन करने वाली वह रजोधर्म आयु वर्ग की पहली महिला होती।

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