मुख्यमंत्री रमन सिंह ने किया जगदलपुर से रावघाट को जोड़ने के लिए रेल लाइन परियोजना का शिलान्यास

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262 किमी तक कम हो जाएगी दूरी
महज नौ घंटे में राजधानी रायपुर तक होगी पहुंच, आर्थिक बचत भी
जगदलपुर से रावघाट के बीच 13 स्टेशन प्रस्तावित, होगा अंदरूनी इलाकों का कायाकल्प


रायपुर,भानुप्रतापपुर से दल्ली राजहरा के बीच बीते अप्रैल में रेल लाइन शुरू होने के बाद बस्तर से जुड़े लोगों को एक और सौगात मिली है। जगदलपुर से रावघाट को जोड़ने की दूसरी महत्वपूर्ण परियोजना का शिलान्यास गुरुवार को मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के हाथों हुआ। इस अवसर पर केंद्रीय इस्पात राज्यमंत्री विष्णुदेव साय, रेल राज्यमंत्री राजेन गोहेन भी मौजूद थे। इस परियोजना के पूरा होते ही जगदलपुर से राजधानी रायपुर तक की दूरी 622 किमी से घटकर महज 360 किमी रह जाएगी। ऐसे में कोई ट्रेन औसतन कम से कम 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार भी पकड़ेगी तो जगदलपुर से रायपुर तक का सफर महज नौ घंटे में पूरा किया जा सकेगा। इससे पहले यह सफर कोरापुट होते हुए 15 से ज्यादा घंटों में पूरा किया जाता रहा है। जगदलपुर से रावघाट तक विकसित होने वाली इस नई रेल लाइन से एक ओर जहां बस्तर के उद्योगों और अंदरूनी हिस्सों का विकास होगा, वहीं दूसरी ओर सुदूर इलाकों के लोगों को भी राजधानी रायपुर समेत देश के अन्य हिस्सों में जाने के लिए समय और धन, दोनों की बचत होगी।

जगदलपुर के लालबाग में आयोजित एक समारोह में इस महत्वपूर्ण परियोजना का शिलान्यास करने के बाद मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि यह रेल परियोजना बस्तर के विकास की रफ्तार को 10 गुना तेज करने में सहायता करेगी। केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि इस परियोजना में इस्पात मंत्रालय की दो प्रमुख कंपनियां एनएमडीसी और सेल की इस परियोजना में अहम हिस्सेदारी है। मुख्यमंत्री की दृढ़ इच्छा शक्ति का परिणाम है कि यह रेलवे परियोजना का कार्य बिना किसी रुकावट के सम्पन्न हो रहा है।

बता दें कि जगदलपुर से रावघाट के बीच 140 किमी लंबी रेल लाइन बिछाने के लिए 9 मई 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में एनएमडीसी, इरकॉन, सेल और सीएमडीसी के बीच एमओयू हस्ताक्षरित किया गया था। इस परियोजना पर लगभग 2538 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है, जिसमें से 52 फीसदी अकेले एनएमडीसी वहन कर रहा है। इस रेल लाइन से माल भाड़े परिवहन के लिए जगदलपुर से रायपुर की दूरी 262 किमी तक कम हो जाएगी। रेल लाइन से किसी सामान के परिवहन के लिए दल्ली राजहरा होते हुए महज 360 किमी का सफर तय करना होगा। जबकि यही दूरी पहले 622 किमी थी, जिसमें समय और धन दोनों ज्यादा लगता था। एनएमडीसी और अन्य सरकारी उपक्रमों की हिस्सेदारी से बन रही यह रेलवे लाइन न सिर्फ बस्तर के पिछड़े क्षेत्रों के आर्थिक विकास में मील का पत्थर साबित होगी, बल्कि बस्तर को देश की मुख्य धारा से भी जोड़ेगी। सुदूर इलाकों में रहने वाले बस्तर के लोगों को राजधानी रायपुर जाने के लिए सहूलियत के साथ ही समय और धन की भी बचत होगी।

28 सितंबर 2018 को शुरू हुई इस महत्वाकांक्षी रेल परियोजना को 31 मार्च 2023 तक पूरा किया जाना है। रेल लाइन का निर्माण कार्य दो चरणों में होगा। पहले चरण में जगदलपुर से कोंडागांव के 91 किमी हिस्से में और दूसरे चरण में कोंडागांव से रावघाट तक के शेष हिस्से में रेल लाइन बिछाई जाएगी।

आने वाले वर्षों में बस्तर की जीवनरेखा मानी जा रही इस रेल परियोजना की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस परियोजना में अहम भागीदार और अपनी बैलाडीला स्थित लौह अयस्क खदानों के लिए ख्याति प्राप्त केंद्र सरकार की नवरत्न कंपनी एनएमडीसी ने इस परियोजना को शीघ्र पूरा करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार के अन्य उपक्रमों के साथ मिलकर बस्तर रेलवे प्राइवेट लिमिटेड (बीआरपीएल) के नाम से एक अलग कंपनी का गठन किया है, जिसका जिम्मा बतौर सीईओ एनएमडीसी के ही एक एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर लेवल के अधिकारी को दिया गया है। छत्तीसगढ़ कैडर के वरिष्ठ आईएएस और पूर्व में मुख्यमंत्री कार्यालय में अतिरिक्त सचिव रहे एन बैजेंद्र कुमार जो वर्तमान में एनएमडीसी के सीएमडी हैं, खुद अपने स्तर से इस परियोजना के कार्यों की मॉनीटरिंग कर रहे हैं।

इस परियोजना को भारतीय रेलवे ने भी विशेष परियोजना के तौर पर चिन्हित किया है। इरकॉन को इस परियोजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी दी गई है। इस परियोजना के लिए जमीन का चिन्हांकन समेत सभी सर्वें कार्य पूरे किए जा चुके हैं। योजना के तहत जगदलपुर से रावघाट के बीच 13 स्टेशन प्रस्तावित हैं, जिनमें कुड़कानार, बस्तर, सोनारपाल, भनपुरी, बनियागांव, कोंडागांव, जुगनी, चंडगांव, नारायणपुर, भरंडा आदि शामिल हैं। इन स्टेशनों के बनने से बस्तर के अंदरूनी हिस्सों में सामाजिक-आर्थिक विकास में तेजी आएगी।

गौरतलब है कि बस्तर को भारतीय रेलवे के मानचित्र पर लाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार लंबे समय से प्रयासरत है। पहली सफलता प्रदेश सरकार को नक्सल प्रभावित क्षेत्र में दल्ली राजहरा से रावघाट तक नई रेल परियोजना के रूप में मिली, जिसके तहत बीते 14 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी की ओर से भानुप्रतापपुर तक रेल सेवा का शुभारंभ किया जा चुका है। राज्य सरकार अब सफलता की इस इबारत को अब रावघाट से जगदलपुर के बीच रेल लाइन बिछाकर दोहराने की तैयारी में है। इस रेल लिंक से एनएमडीसी के नगरनार स्थित स्टील प्लांट से बनने वाले उत्पाद भी कम समय में रावघाट होते हुए राजधानी रायपुर समेत देश के अन्य हिस्सों में पहुंच सकेंगे। वहीं जगदलपुर में तेजी से विकसित हो रहे सहायक उद्योगों के साथ ही बस्तर के हस्तशिल्प और अन्य उत्पादों को भी देश और दुनिया में पहुंचने के लिए बाजार मिलेगा।

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