भ्रष्टाचार की नींव पर नक्सल विरोधी रणनीति- अंसार

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गरीब आदिवासी प्रशासनिक व पुलिसिया आतंक तथा नक्सली धमकियों के बीच पिस रहे:

सरकार का कोई भी तंत्र भगवान कृष्ण, अर्जुन या अभिमन्यु की तरह बनने की बजाय जवानों को नक्सलियों के चक्रव्यूह में झोंक रहे है

लड़ाई तो केवल उस पार हो रही है इधर तो जवानों की लाशे गिनी जा रही है।

जोगी एक्सप्रेस 

रायपुर  जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश प्रवक्ता मोहम्मद अंसार ने कहा है कि भ्रष्टाचार की नींव पर नक्सलवादियों को खत्म करने की रणनीति कभी नही बन सकती। भाजपा के शासन में बस्तर में जिस तरह से प्रशासनिक आंतक ने अपने डैने फैलाए है उससे वहां के मूल निवासियों में सरकार के प्रति विश्वास खत्म हो गया है। यही वजह है कि माओवाद ने बस्तर के चप्पे-चप्पे में अपना ठौर ठिकाना बना लिया है। अंसार ने कहा है कि वातानुकूलित कक्ष में बैठकर पूरी सरकार व प्रशासनिक तंत्र मुंह तोड़ जवाब देने के नाम पर नक्सलियों के खिलाफ केवल गाल बजा रही है। जमीनी हकीकत यह है कि सरकार का कोई भी तंत्र भगवान कृष्ण, अर्जुन या अभिमन्यु की तरह बनने की बजाय जवानों को नक्सलियों के चक्रव्यूह में झोंक रहे है। दुर्भाग्य है कि इस चक्रव्यूह  को तोड़ने का उपाय रमन सरकार 14 वर्षो में नहीं निकाल पाई। अंसार ने आरोप लगाया है कि शहीद जवानों की लाशो पर राज्य सरकार राजनीति करने के साथ ही कारोबार कर रही है। जब-जब नक्सली हमले में जवान शहीद होते है राज्य सरकार नक्सलियों से निपटने के लिए केन्द्र से मदद मांगने अपनी झोली फैला देती है। केन्द्र से अधिक फंड पाने सरकार माओवादियों से लड़ने का ढोेंग करती है। जबकि सच्चाई यह है कि इस फंड का बंदर बांट कर लिया जाता है। इससे जवानों के हौसलों पर विपरीत असर पड़ रहा है। नक्सलवाद से ज्यादा खतरनाक तो राज्य में फैला भ्रष्टाचारवाद हो गया है। हमारे बहादुर जवान इसी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहे है। नक्सली भय से पांच सौ गांव के बेकसूर आदिवासी परिवार अपनी जमीन, अपना मकान छोड़कर शरणार्थियों की तरह शिविर में रहने को मजबूर है। और सरकार है कि हर नक्सली हमले के बाद जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी, ‘बदला लेंगे और मुंह तोड़ जवाब देंगे’ का इमला जनता को लिखा रही है। यह सब्जबाग दिखाने वाला कोरा बयान भर है। जनता अब ऐसे बयानों को गंभीरता से लेने के बजाय उपहास उड़ा रही है। बस्तर की हालत दयनीय है। गरीब आदिवासी प्रशासनिक व पुलिसिया आतंक तथा नक्सली धमकियों के बीच पिस रहे है। आज लोग मुख्यमंत्री के रूप में अजीत जोगी के कार्यकाल को याद करने लगे है। उस समय प्रशासनिक भर्राशाही पर तो लगाम लगा ही था गुंडे- बदमाशों ने प्रदेश से पलायन कर दिया था। इतना ही नहीं नक्सलवादी भी जंगलों में दुबक गए थे। जोगी के कार्यकाल में नक्सली वारदातों में कमी आई थी। मुख्यमंत्री रमन सिंह इंसानी रोगों के डाॅक्टर है, नक्सली समस्या का उपचार करना उनके वश की बात नहीं है। अंसार ने आगे कहा कि आपको याद ही होगा कि आपने क्या -क्या कहा वे अपने मुख यंत्र से अलग-अलग सुर ही निकाल सकते है । वे कभी कहते है कि नक्सली हथियार छोड़ दें तो उन्हें गले लगा लुंगा तो कभी कहते हैं कि अब आर-पार की लड़ाई होगी। वे यह भी कहते है कि नक्सलियों को मुख्य धारा से जोड़ दुंगा। कभी कहते है जवानों का खुन व्यर्थ नहीं जायेगा उनके इस नक्सली राग से जनता उब चुकी है। क्योंकि लड़ाई तो केवल उस पार हो रही है इधर तो जवानों की लाशे गिनी जा रही है। सलवा जुडूम के नाम पर कई निर्दोष आदिवासियों ने अपनी जान गंवाई है। रमन सिंह जी, इस बात को जान लें कि जवानों के खून से सूप बनाते रहेंगे तो इस पाप का जवाब जनता देगी।लवा जुडूम के नाम पर कई निर्दोष आदिवासियों ने अपनी जान गंवाई है। रमन सिंह जी, इस बात को जान लें कि जवानों के खून से सूप बनाते रहेंगे तो इस पाप का जवाब जनता देगी।

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