आलेख प्रेस की आज़ादी

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जोगी एक्सप्रेस 

लेखक:  संतोष गंगेले (कर्मयोगी) मो0 9893196874

आलेख-संतोष गंगेले -म0प्र0षासन से राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार,छतरपुर |

आज के ही दिन संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा ने 3 मई 1993 को अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता की घोषणा की थी , यह घोषणा यूनेस्को महासम्मेलन के 26 वें सत्र के दौरान हुई थी । इस दिन प्रेस से संबंधित प्रस्तावों को स्वीकार किया गया था । इस दिन के मनाने का उद्देष्य प्रेस की स्वतंत्रता के विभिन्न प्रकार के उल्लघंनों की गंभीरता के बारे में जानकारी देना है जैसे प्रकाषनों की कॉट-छॉट, उन पर जुर्माना लगाना, प्रकाषन को निलंबित कर देना और बंद कर देना आदि । इनके आवाला पत्रकारों, संपादकों, और प्रकाषको को परेषान किया जाता है और उन पर हमले भी कये जाते है । यह दिन प्रेस की आजादी को बढ़ावा देने और इसके लिए सार्थक पहन करने तथा दुनिया भर में ्रपेस की आजादी की स्थिति का आकलन करने का भी दिन है । अधिक व्यावहारिक तरीके से कहा जाए तो प्रेस की आजादी या मीडिया की आजाद, विभिन्न इलेक्ट्रानिक माध्यमों और प्रकाषित सामग्री तथा फोटो ग्राफी वीडियों आदि के जरिये संचार और अभिव्यक्ति की आजादी है । प्रेस की आजादी का मुख्य रूप से यही मतलब है कि ष्षासन की तरफ से हममें कोई दखलंदाजी न हो । लेकिन संबैधानिक तौर पर और अन्य कानूनी प्रोवधानों के जरिये भी प्रेस की आजादी की रक्षा जरूरी है । मीडिया की आजादी का मतलब है कि किसी भी व्यक्ति को अपनी राय या बात कायम करने और सार्वजनिक तौर पर इस जाहिर करने का अधिकार है । इस आजादी में बिना किसी दखलंदाजी के अपनी राय कायम करने और सूचना देने की आजादी ष्षामिल है । इसका उल्लेख मानवअधिकारों की सार्वभौतिक घोषणा के अनुछेद 19 में विस्तार किया गया है । सूचना संचार प्रौद्योगिकी तथा सोषल मीडिया के जरिए थोड़े समय के अंदर अधिक से अधिक लोगों तक सभी तरह की महत्वपूर्ण खबरें पहुूच जाती है । यह समझाना भी उतना ही महत्व पूर्ण है कि सोषल मीडिया की सक्रियता से इसका विरोध करने वालांे को भी स्वयं को संगठित करने के लिए बढावा मिला है । और दुनिया भर के युवा लोग अपनी अभिव्यक्ति के लिए और व्यापाक रूप से अपने समुदायों की आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति के लिए संघर्ष करने में लगे है । इसके साथ ही यह भी समझना भी जरूरी है कि मीडिया की आजादी बहुत कमजोर है यह भी जानना जरूरी है कि अभी यह सभी की पहुूच से बाहर है हालांकि मीडिया की सच्ची आजादी के लिए माहौल बन रहा है । यह भी इसकी वास्तविकता है कि दुनिया में कई लोग ऐसे है जिनकी पहुॅच वुनियादी संचार प्रौद्योगिकी तक नही है, जैसे जैसे इंटरनेट पर खबरों और रिपोर्टिग का सिलसिला बढ़ रहा है । ब्लॉग लेख्कों सहित और अधिक इंटरनेट पर पत्रकारों को परेषान किया जा रहा है और हमले किए जा रहे है । आज 3 मई को विष्व प्रेस दिवस के रूप में प्रेस से जुडे़ लोग मनाते आ रहे है । विष्व प्रेस दिवस यूेनस्को व्दारा 1997 से हर साल 3 मई को संवेधानिक अधिकार संयुक्त राष्ट्र संघ से मिला है । भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 में भारतीय को दिए गये अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार में सुनिष्चित होती है । विष्व स्तर पर प्रेस की आजादी को सम्मान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की महासंभा व्दारा 3 मई को विष्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया जिसे विष्व प्रेस दिवस के रूप में जाना जाता है । इसी दिन 3 मई को गिलेरमो कानों वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम प्राइज भी दिया जाना है । यह पुरूस्कार उस व्यक्ति अथा संस्थान को दिया जाता है जिसने प्रेस की स्वतंत्रता के लिए उल्लेखनीय कार्य किया हो । पहली वार 3 मई को विष्व प्रेस दिवस पर बर्ष 2014 का गिलेरमो कानों वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम पुरूष्कार तुर्की के अहमत सिक को दिया गया जबकि बर्ष 2015 में यह पुरूष्कार सीरियाई पत्रकार एवं मानव अधिकार के कार्यकर्ता श्री माजेन डेरविस को यूनेस्को को प्रेस फ्रीडम पुरूष्कार देने का निर्णय लिया गया । भारत में प्रेस की स्थिति – भारत जैसे विकासषील देष में मीडिया पर जातिवाद और सम्प्रदायवाद जैसे संकुचित विचारों के खिलाफ संघर्ष करने और गरीवी तथा अन्य मसाजिक बुराईयों के खिलाफ लड़ाई में लोगों की सहायताकरने की बहुत बड़ी जुम्मेदारी है, क्योंकि लोगों का एक बहुत बड़ा वर्ग पिछड़ा और अनभिज्ञ है । इसलिए यह और भी जरूरी है कि आधुनिक विचार उन तक पहुॅचाएॅ जाऐं और उनका विछड़ापन दूर किया जएा ताकि वे सजग भारत का हिस्सा बन सकें । इस दृष्टि से मीडिया की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है । भारत में संविधान के अनुव्छंेद 19 -1 ए में भाषण और अभिव्यक्त की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लेख है लकिन उसमें प्रेस ष्षव्द का जिक्र नही है । किन्तु उप खंण्ड 2 के अंतर्गत इस अधिकार पर पावंदिया भी लगाई गई हैं इसके अनुसार भारत की प्रभुसत्ता ओर अखंडता, राष्ट्र की सुरक्षा, विदेषा के साथ मैत्री संबधों, सार्वजनिक व्यवस्था, ष्षालीनता और नैतिकता के संरक्षण, न्यायालय की अवमानना , बदनामी और अपराध के लिए उकसाने जैसे मामलों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पांवदी भी लगाई गई है । लोक तंत्र का सजग प्रहरी प्रेस की आजादी है । विष्व प्रेस दिवस मनाने का सर्व प्रथम निर्णय 1991 में युनेस्को और संयुक्त राष्ट्र संघ के जन सूचना विभाग ने मिलकर नामीविया में विन्डॅहॉक में हुए एक सम्मेलन में प्रेस की आजादी को जन संचार के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस के रूप में 3 मई को मनाया गया । जिसे 1997 में कानूनी रूप से स्थान मिला था । तभी से यह दिवस मनाया जाता है । प्रेस की आजादी के लिए सूचना का अधिकार कानून एक बरदान सावित हुआ है । भारत सरकार ने संसद में 15 जून 2005 को सूचना का अधिकार कानून को पास कर दिया था जो भारत देष में 13 अक्टूवर 2005 से पूरी तरह लागू हो गया है । इस कानून के तहत आपस में कुछ बिषेष जानकारियॉ को छोड़कर सरकारी ओर गैर सरकारी जानकारियॉ निर्धारित प्रारूप पर आवेदन कर निर्धारित षुल्क के जमा कर प्राप्त कर सकते है । यह कानून मीडिया के लिए बहुत ही उपयोगी सावित हुआ है । प्रेस पर कानून का षिंकजा-भारत में प्रेस की निरंकुषता पर षिकंजा कसने के लिए प्रेस परिषद का भी गठन किया गया साथ ही अपराधिक मामले कानून के तहत चलाये जाने का कानूनी प्रावधान है । यदि असत्य या झूठी या चरित्र हनन जैसे समाचार, खबरें, प्रसारित या प्रकाषित की जाती है तो प्रेस की आजादी का दुरूपयोग करने वालों पर ही सजा और जुर्माना से दंडित करने का प्रावधान कानून में रखा गया है । प्रेस से जुड़े मीडिया कर्मी का दायित्व बनाता है कि वह सामाजिक कार्यो में भी प्राथमिकता से सहभागीदार बनकर देष और राष्ट्र सेवा कर सकते है । भारत देष में अषिक्षा के अंधकार को मिटाने केलिए पत्रकारों को प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रानिक मीडिया , सोषल मीडिया के माध्यम से षिक्षा के प्रचार- प्रसार पर बहुत जरूरी है । इसी प्रकार भारत सरकार ने राष्ट्रपिता महात्मा गॉधी के सपना पूरा करने के लिए 2 अक्टूवर 2014 से भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने स्वच्छ भारत अभियान को संकल्प के साथ देष में प्रभावषील किया है, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं जैसे सामाजिक समरसता के अभियान में मीडिया अपनी महत्व पूर्ण भूमिका अदा कर सकता है । भारत सरकार एवं प्रदेष सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं को निःस्वार्थ भाव से ग्रामीण एवं कस्बाई पत्राकारों प्रेस से जुडे आम जन को अपनी सेवायें देना चाहिए । हमारे भारतीय इतिहास में आजादी के पूर्व की पत्रकारिता में पं0 दीनदयाल उपाध्याय, बालगंगाधर तिलक, मुंषी प्रेमचन्द्र ं, श्री महावीर प्रसाद व्दिवेव्दी, श्री मदन मोहन मालवीय श्री अंविकाप्रसाद वाजपेयी, बाबू राव, बिष्णू पराड़कर आचार्य षिवपूजन सहाय, राजेन्द्र माथुर, राजाराम मोहन राय, गणेषषंकर विद्यार्थी, पं0 माखन लाल चतुर्वेदी, प्रभाष जोषी आदि महान पत्रत्रकारों ने अपनी लेखनी से देष को आजादी दिलाई वहीं महिला पत्रकारों में सर्व प्रथम 1908 में रविन्द्र नाथ ठाकुर की बहन स्वर्ण कुमारी देवी ने भारती नामक पत्रिका का संपादन किया था उसके बाद ऊषा मेहता ने आजादी में पत्रकारिता की उन्हे जेल तक जाना हुआ । हमारा इतिहास साक्षी है । भारत में सवसे पहिला हिन्दी समाचार पत्र 30 मई 1930 को उदंत मार्तण्ड समाचार पत्र श्री युगलकिषोर ष्षुक्ल ने प्रकाषित किया । भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गॉधी ने अपनी पुस्तक -हिन्दी स्वराज का संपादन करते हुये कहा कि पत्रकार और पाठक के बीच होना चाहिए । जब वह दक्षिण अफ्रीका से भारत आने वाले थें तो उन्होने एक बाद कहा था कि समाचार पत्र सेवा भाव से ही चलाना चाहिए । समाचार पत्र एक जबर्दस्त षक्ति है । उनका विचार था कि समाचार पत्र में पाठक के विचारों को भी स्थान मिलना चाहिए । आजादी के बाद महिला पत्रकारों ने पुरूषों के समान पत्रकारिता में अपनी सहभागीदारी का निर्वाहन किया प्रिंट मीडिया के साथ -साथ रेडियों, टी0बी0 दूरदर्षन, सेटेलाईट चैनल, सोषल मीडिया में अपनी महत्व पूर्ण भूमिका अदा की । महिलाओं में अनुभा भौसले ने दि इंडियन एक्सप्रेस से अपनी पत्रकारिता की ष्षुरूआत की थी जो आईएनडीटी में ऐकंर रही और अमृता चौधरी जैसे कर्मठ पत्रकारों ने अपना स्थान बनाया । पिछले दो बर्षो में भारत सरकार ने भारतीय महिला पत्रकारों के राष्ट्रीय स्तर पर सम्मेलन कराये जिसमें देष के 120 पत्रकार संगठनों से 250 से अधिक महिलाओं ने विभिन्न चरणो में अपने अपने विचारों से पत्रकारिता को षिखर पर लाने की बातें कहीं । भारत देष सहित मध्य प्रदेष में विभिन्न पत्रकार संगठन कार्य कर रहे है लेकिन भारत देष के ष्षहीद पत्रकार गणेष षंकर विद्यार्थी जी के नाम से संचालित गणेषषंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब मध्य प्रदेष ने मध्य प्रदेष के अंदर प्रेस से जुडे़ पत्रकारों के साथ -साथ सामाजिक क्षेत्र में अच्छे कार्य करने वाले नागरिको, अधिकारियों, कर्मचारियों, पत्रकारों, समाजसेवी व्यक्तियों को विभिन्न जिला स्तर पर सामाजिक आयोजन कर उनको सम्मानित किया । संगठन के संस्थापक अध्यक्ष संतोष गंगेले ने छतरपुर एवं टीकमगढ़ जिला के विभिन्न जनपद पंचायतांे के क्षेत्र में कक्षा 1 से 12 तक के संचालित षिक्षण संस्थाओं में भारतीय संस्कृति, बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं, स्वच्छ भारत अभियान को संचालित कर देष और देष के अंदर जन जाग्रति अभियान की अलख जगाई है । आज विष्व प्रेस दिवस पर मैं संतोष गंगेले मध्य प्रदेष सहित देष और विष्व के पत्रकारों, संपादकों, प्रेस से जुडे आम -खास व्यक्तियों से अनुरोध करता हॅू कि वह बर्तमान पत्रकारिता को व्यवसायिक एवं पैड न्यूज पत्रकारिता से बचकर समाज उत्थान एवं देष सेवा के लिए निःस्वार्थ भाव से कार्य करे ।

 

 

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