प्रतापपुर जल आवर्धन योजना में पीएचई विभाग के बंदरबाट का मामला उजागर
जोगी एक्सप्रेस
ब्यूरो अजय तिवारी
फर्जी मेजरमेंट और भुगतान कर शासन को लगाया लाखों का चुना,फिर भी नहीं हो रही कार्यवाही
प्रतापपुर। गड्ढे 20 सेमी और भुगतान 1 मीटर का, प्रतापपुर जल आवर्धन योजना में पीएचई विभाग का यह कारनामा किसी से छिपा नहीं है,अधिकारियों और ठेकेदार ने फर्जी मेजरमेंट और भुगतान कर शासन को लाखों का चुना लगाया है फिर भी शासन प्रशासन दोषियों पर कार्यवाही की बजाय उन्हें संरक्षण देने में लगा है,कई शिकायतों और जांच में आरोप प्रमाणित होने के बावजूद कार्यवाही न होना सबकी मिली भगत प्रमाणित कर रहा है।
गौरतलब है कि नगर पंचायत क्षेत्र में करीब तीन करोड़ की लागत से पीएचई विभाग संभाग सूरजपुर द्वारा पाइप लाइन विस्तार कार्य कराया जा रहा है जिसमें जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है,प्रारंभिक जांच में भ्रष्टाचार की बातें सामने भी आयीं लेकिन राजनितिक प्रभाव की वजह से ठेकेदार और दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं हुयी। राजनितिक लाभ लेते हुए ठेकेदार और अधिकारी मनमानी तरीके काम कर भी रहे हैं वह भी घटिया स्तर का। इतना विरोद्ध शिकायतों के बाद भी ठेकेदार और अधिकारियों की मनमानी रुकने का नाम ले रही है कलेक्टर जैसे अधिकारी जो जिला के मुखिया हैं भी मामले में ढीला ढाला रवैया अपनाये हुए हैं इन सबका कारण किसी को समझ नई आ रहा है जबकि यह पाईप लाईन कार्य प्रतापपुर के भविष्य के साथ जुड़ा हुआ है,सूत्रों के अनुसार अधिकारी पूरा भ्रष्टाचार मंत्री की धौंस पर पर कर रहे हैं,सूरजपुर सम्भाग के पीएचई के ईई को इन मंत्री का करीबी बताया जाता है और इसी बात का फायदा उच्च अधिकारियों के सामने उठाते हैं,मंत्री के करीबी होने की वजह से कलेक्टर तक उनके विरुद्ध कार्यवाही करने से कतराते हैं। इसी तरह इस काम से जुड़े अन्य एसडीओ,इंजीनियर भी शासन से जुड़े किसी न किसी नेता के करीबी बताये जाते हैं जो इन भ्र्ष्ट अधिकारियों की पहुँच मंत्री तक पहुंचाते हैं और इसका फायदा ये भ्र्ष्ट अधिकारी भ्रष्टाचार करने में उठाते हैं।पाईप लाईन कार्य से जुड़े इन भ्र्ष्ट अधिकारियों की मंत्री से नजदीकी के कारण ही ये मंत्री की धौंस से बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कर रहे हैं,इनके द्वारा किये जा गए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण ही काम बहुत ही घटिया स्तर का हुआ है जिससे पाईप लाइन के भविष्य पर सवाल खड़ा हो गया है क्योंकि पहले तो कम गहराई के साथ बिना तकनिकी मार्गदर्शन के काम की बात हो रही थी,पाईप बिछाने के लिए आवश्यक दिशा निर्देशों का पालन नहीं करने के साथ फर्जी मेजरमेंट कर भुगतान कर दिया गया है। दो बार हुयी जांच में यह प्रमाणित हो चुका है कि गड्ढों की गहराई बहुत ही कम यानी अधिकाँश जगहों पर यह बीस सेमी तक है जबकि मेजरमेंट बुक में स्पष्ट दिख रहा है कि भुगतान एक मीटर का हुआ है।
लंबाई के साथ चौड़ाई भी कम
पाईप डालने के लिए खोदे गए गड्ढों की गहराई तो कम है ही गड्ढों की चौड़ाई और लंबाई भी कम है। मेजरमेंट में अधिकाँश जगह गड्ढों की चौड़ाई 60 सेमी लिया गया है जबकि इनके द्वारा गड्ढों की चौड़ाई बमुश्किल 30 सेमी की गयी है मतलब मौके पर हुए काम के विरुद्ध दुगुना मेजरमेंट कर दिया गया है। इसी तरह मौके डाले गए पाईप की तुलना में लंबाई भी कही ज्यादा बता शासन को लाखों का चुना लगाया गया है। इन्होंने करीब तेरह किमी लाइन बिछाना बताया है जबकि मौके पर यह दस किमी भी नहीं है,सीधा सीधा तीन किमी से ज्यादा की पाईप का फर्जी भुगतान कर दिया गया गई जो लाखों का होता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार देख रेख के अभाव बहुत ज्यादा पाईप चोरी हो गए और अधिकारियों ने कमीशन के लिए ठेकेदार से सद्भावना दिखा तीन किमी से ज्यादा लम्बाई फर्जी तरीके से मेजरमेंट बुक में चढ़ा दिया।
दोनों टँकी में है लिकेज
जल आवर्धन योजना में सबसे महत्वपूर्ण पानी टँकी में लिकेज है वह भी नॉर्मल नहीं,टँकी की हर जोड़ पर लेकिन प्रशासन इस मामले में मौन है जैसे यह बहुत मामली बात हो। योजना अंतर्गत पानी सप्लाई के लिए नगर में दो पानी टँकीयां बनायी गयी हैं एक बाबापारा नए बस स्टैंड में और दूसरी एसडीएम बंगले के पास। दोनों ही टँकीयों में ही कुछ दिन पूर्व पाईप लाईन में पानी टेस्टिंग के लिए पानी भरा गया था किन्तु पानी भरते ही टंकी के हर जोड़ से पानी रिसाव होने लगा किन्तु विभाग ने इसे मामूली बात मान ध्यान नहीं दिया या उन्होंने ऐसा सोचा कि किसी की नजर नहीं जायेगी। इन टँकीयों से नगर में पानी सपलाई होनी है अब जबकि इनमें लिकेज है तो ये टँकीयां कितनी कारगर होगी भगवान ही मालिक है। सबसे बड़ी तो यह है कि टँकीयों में लिकेज के बावजूद प्रशासन मौन धारण किये हुए है। सवाल यह भी यह है कि जिस ठेकेदार ने इस टँकी का निर्माण कराया है विभाग ने इसका भुगतान भी कर दिया है ओ भी बिना टँकी के टेस्टिंग के। टँकीयों में लिकेज की शिकायतें भी कई बार हो चुकी हैं किन्तु प्रशासन इस मामले में उन्हीं का साथ दे रहा है जबकि विभाग इस मामले में भी गुमराह करते आया है वह कभी बोलता है कि लिकेज स्वतः ही बन्द हो जाएगा तो कभी सुधार कर दिया गया है यह जवाब होता है।
विभाग के बड़े अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध
तीन करोड़ की इस परियोजना में भ्रष्टाचार में ईई के साथ अन्य कर्मचारियों की मिली भगत तो है ही लेकिन अब पुरे मामले में ईएनसी पीएचई रायपुर,एसी अम्बिकापुर की भूमिका भी संदिग्ध नजर आने लगी है। ईएनसी के पास मेल सहित विभिन्न माध्यमों से कई बार शिकायत हो चुकी है पहले तो उन्होंने जांच का आदेश दिया लेकिन उनके ही निचले अधीनस्थ कर्मचारियों ने उनके आदेश को ठेंगा दिखा जांच ही नई की और करीब दो किमी लाईन सुधार दी। बार बार उन्हें इस बात से अवगत कराया गया लेकिन कार्यवाही की बजाए उन्होंने भी चुप्पी साध ली जिससे उनकी भूमिका संदिग्ध नजर आ रही क्योंकि निचला कर्मचारी उनके आदेश की अवहेलना कर रहा है और उन्हें फर्क नहीं पड़ रहा तो स्थिति स्पष्ट है कि उनकी भी मिली भगत है। यही कुछ स्थिति एसी अम्बिकापुर भीम सिंह की भी प्रतीत हो रही है क्योंकि सम्भाग का मुखिया होने के बावजूद ईई एसडीओ उनके नियंत्रण से बाहर नजर आ रहे हैं। बरहाल पीएचई के अधिकारियों ने अपने मंत्री के ही विधान सभा मुख्यालय में तीन करोड़ के जल आवर्धन योजना में बिना किसी भय के व्यापक भ्रष्टाचार कर बता दिया कि वे शासन प्रशासन सबको अपनी जेब में रखते हैं और जो मन में आएगा वही करेंगे।