अयोध्या मामला : 15 मई को होगी सुनवाई, संविधान पीठ को सौंपेने की मांग

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नई दिल्ली : अयोध्या के राम मंदिर मुद्दे पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजू रामचंद्रन ने इस मामले को एक बड़ी संविधान पीठ को सौंपने की मांग की. रामचंद्रन ने कहा कि राम मंदिर मुद्दा एक राष्ट्रीय मुद्दा है, इसलिए इसे 5 जजों की संविधान पीठ को सौंपा जाए. सीजेआई दीपक मिश्रा की अगुआई वाली तीन जजों की पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए 15 मई की तारीख तय की है. इससे पहले 6 अप्रैल को सुनवाई हुई थी.

सुन्नी वक्फ बोर्ड की इस दलील का रामलला विराजमान की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने विरोध किया. उन्होंने कहा कि यह मुद्दा प्रॉपर्टी विवाद से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसे संविधान पीठ को दिए जाने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि इस मामले की सुनवाई जल्द से जल्द पूरी होनी चाहिए.

साल्वे ने कहा कि साल्वे ने कहा कि कोर्ट में 1992 की दलीलें दी जा रही हैं, जबकि देश अब 1992 से कहीं आगे बढ़ चुका है. अब यह मुद्दा कोई संप्रदायिक ना होकर केवल जमीन विवाद से जुड़ा मुद्दा है. इसलिए इस मुद्दे को किसी धर्म आदि से ना जोड़कर देखा जाए, बल्कि एक साधारण प्रॉपर्टी विवाद के तौर पर इसे देखना चाहिए. साल्वे ने कहा कि धर्म और राजनीति की बातें कोर्ट से बाहर होनी चाहिए.

बता दें कि सितंबर 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंदिर विवाद पर अपनी सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुनाया कि विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांटा जाए. इस फैसले के खिलाफ पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. तभी से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. उधर, कुछ पक्षकार इस मुद्दे को कोर्ट से बाहर हल करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अभी यह कोशिश किसी मुकाम पर नहीं पहुंची है.

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