नारायणपुर : जिले में तेन्दूपत्ते संग्रहण की तैयारी पूर्ण : इस वर्ष 23 हजार से ज्यादा मानक बोरा पत्तों की आवक का अनुमान

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जंगलों से लाई जायेंगी 2.31 करोड़ तेन्दूपत्ते की गड्डियां
16 हजार से ज्यादा परिवारों को मिलेगा 1.95 लाख मानव दिवस का रोजगार
मई के शुरूआती सप्ताह से होगी तेन्दूपत्ते की तुड़ाई

नारायणपुर ,नारायणपुर जिले में इस वर्ष 23 हजार 100 मानव बोरा तेन्दूपत्ता की आवक का अनुमान है। जिले के लगभग 16 हजार 73 संग्राहक परिवारों को लगभग 1.95 लाख मानव दिवस का रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि नारायणपुर जिले में मूल्यवान तेन्दूपत्ता ‘‘हरा सोना‘‘ का संग्रहण की तैयारी तेजी से चल रही है। जिले में इस वर्ष तेन्दूपत्ता संग्रहण का कार्य में 16 हजार 73 ग्रामीणों और वनवासी परिवारों को रोजगार देने और उनके माध्यम से 23 हजार 100 मानक बोरा तेन्दूपत्ते की आवक का अनुमानित लक्ष्य निर्धारित किया गया है। ये परिवार 08 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों में सदस्य के रूप में शामिल हैं। उन्हें संग्रहण कार्य में 1.95 लाख मानव दिवस का रोजगार देने का भी अनुमानित लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिले के लगभग 16 हजार संग्राहक परिवार के सदस्य 2.31 करोड़ (दो करोड़ 31 लाख) तेन्दूपत्ते की गड्डियों बनायेगें। मालूम हो कि एक हजार गड्डी का एक मानक बोरा होता है। एक गड्डी में 50 पत्ते होते है। जंगलों में अगले मई महीने के शुरूआती सप्ताह से तेन्दूपत्ते की तुड़ाई शुरू हो जायेगी। ग्रामीण और वनवासी तेन्दूपत्ते संग्रहण का कार्य 15 दिनों में पूरा कर लेंगे। प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति-जिला मुख्यालय नारायणपुर समेत, गढ़बेंगाल, बेनूर, धौड़ाई, फरसगांव, एड़का सोनपुर और कोंगे है। इन समितियों में कुल 155 संग्रहण केन्द्र (फड़) है। सबसे ज्यादा फड़ धौड़ाई में 27 और सबसे कम कोंगे में 6 फड़ है। जानकारी अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में इस वर्ष 16.72 लाख मानक बोरा पत्तों की आवक का अनुमानित लक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्रदेश के 13.50 लाख संग्राहक परिवारों को लगभग 1.12 करोड़ मानव दिवस का रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है।
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि तेन्दूपत्ता संग्रहण कार्य की सभी तैयारी पूरी हो गयी है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा की गई घोषणा के अनुसार इस वर्ष तेन्दूपत्ता संग्राहकों के लिए सरकारी जमीन पर संग्रहण कार्य का पारिश्रमिक 1800 रूपए से बढ़ाकर 2500 रूपए कर दिया गया है। इसके साथ ही सरकार ने ग्रामीणों की निजी भूमि पर तेन्दूपत्ता संग्रहण के लिए इस वर्ष प्रति मानक बोरा 2600 रूपए पारिश्रमिक देने का भी निर्णय लिया है। वन मंत्री श्री महेश गागड़ा विभागीय अधिकारियों के साथ तेन्दूपत्ता संग्रहण कार्य की तैयारियों की नियमित रूप से समीक्षा कर रहे है। अधिकारियों ने संग्राहकों से अपील की है कि वे संग्रहण केन्द्रों में अच्छी गुणवत्ता का पत्ता लेकर आएं।
कलेक्टर श्री टोपेश्वर वर्मा ने सरकार द्वारा भी संग्रहण कार्य के सुचारू संचालक के लिए जरूरी दिशा-निर्देश दिए है। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में तेन्दूपत्ते के अवैध संग्रहण और अवैध परिवहन पर अंकुश लगाने के अधिकारियों को पर्याप्त सतर्कता बरतनी चाहिए। कलेक्टर ने कहा कि शासन के परिपत्र में दिए गए दिशा- निर्देशों के अनुसार संबंधित अधिकारी को तेन्दूपत्ता संग्रहण केन्द्रों (फड़ों) और गोदामों का नियमिति निरीक्षण सुनिश्चित करें। प्रदेश में तेन्दूपत्ता तोड़ने की अवधि लगभग 30 दिनों की होती है। लेकिन जिले में यह काम 15 दिनों में पूरा कर लिया जाता है। इसलिए ग्रामीणों को अधिक से अधिक संख्या में तेन्दूपत्ता संग्रहण के लिए प्रोत्साहित किया जाए, ताकि उन्हें इस कार्य में ज्यादा से ज्यादा पारिश्रमिक मिल सकें।
कलेक्टर ने बताया कि वन विभाग द्वारा राज्य लघु वनोपज संघ के माध्यम से तेन्दूपत्ता, कुल्लू, खैर, बबूल और भवड़ा गोंद का संग्रहण और विपणन का कार्य भी किया जा रहा हे। न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के तहत इन समितियों के सदस्यों को साल बीज, इमली, चिरौंजी, गुठली, महुआ, बीज, कसमी और रंगीनी लाख के संग्रहण से भी अच्छी अतिरिक्त आमदनी हो रही है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों और कर्मचारी की ड्यूटी संग्रहण कार्य के सुचारू संचालन के लिए लगायी गयी है वे अपने दायित्वों का निर्वहन सही रूप से करें, ताकि संग्राहकों को समय पर उनके पारिश्रमिक का सही-सही भुगतान हो पायें। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार वन सम्पदा को वन क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों की आजीविका से जोड़कर उनकी आर्थिक बेहतरी के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

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