प्रदेश के बीस लाख बुजुर्गों की सुख-सुविधाओं के लिए  सरकार सजग: श्रीमती रमशीला साहू

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रायपुर,  महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री श्रीमती रमशीला साहू ने कहा है कि राज्य सरकार छत्तीसगढ़ के लगभग 20 लाख वरिष्ठ नागरिकों (बुजुर्गों) को हर प्रकार की जरूरी सुविधा दिलाने के लिए पूरी संवेदनशीलता के साथ सजग है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में इसके लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। श्रीमती रमशीला साहू आज दोपहर यहां मंत्रालय (महानदी भवन) में राज्य शासन द्वारा गठित वरिष्ठ नागरिकों की राज्य परिषद की पहली बैठक को संबोधित कर रही थी।
उल्लेखनीय है कि राज्य शासन द्वारा समाज कल्याण मंत्री श्रीमती साहू की अध्यक्षता में परिषद का गठन किया गया है। उन्होंने बैठक में अधिकािरयों को राज्य के विभिन्न जिलों में समाजसेवी संस्थाओं द्वारा संचालित 24 वृद्धाश्रमों में रहने वाले 560 बुजुर्गों की बेहतर देखभाल सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इन वृद्धाश्रमों का संचालन केन्द्रीय अनुदान, राज्य अनुदान और समाजसेवी संस्थाओं के स्वयं के व्यय पर रायपुर, राजनांदगांव, बिलासपुर, बस्तर, कांकेर, कबीरधाम, दुर्ग, दंतेवाड़ा, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, बेमेतरा, सरगुजा, कोरिया, कोरबा, बालोद और जशपुर जिलों में किया जा रहा है। बैठक में समाज कल्याण विभाग के विशेष सचिव श्री आर. प्रसन्ना और संचालक समाज कल्याण डॉ. संजय अलंग सहित अन्य संबंधित अधिकारी, परिषद की अशासकीय सदस्य दुर्ग की सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती यमला साहू तथा पेंशनर्स संघ के प्रदेश अध्यक्ष श्री चेतन भारती भी उपस्थित थे।
समाज कल्याण मंत्री ने बैठक में कहा-वृद्धाश्रम भले ही संचालित हों, लेकिन मानवता यह कहती है कि किसी भी व्यक्ति के माता-पिता को या किसी भी परिवार के बुजुर्गों को वृद्धाश्रमों में रहने की जरूरत न हो। उनके घर-परिवार के लोग ही उनकी बेहतर सेवा और देखभाल करें। एक आदर्श समाज में वृद्धाश्रमों की जरूरत नहीं होनी चाहिए, अपरिहार्य परिस्थितियों में कई बार बुजुर्गों को वृद्धाश्रमों में रहना पड़ता है। सरकार की मंशा है कि उन्हें इन आश्रमों में अच्छा आत्मीय वातावरण और चिकित्सा तथा भोजन सहित सभी जरूरी सुविधाएं मिले। बैठक में बताया गया कि प्रदेश में वृद्धाश्रमों का संचालन माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 की धारा 19 के तहत किया जा रहा है। समाज कल्याण विभाग के विशेष सचिव श्री आर. प्रसन्ना ने बैठक में बताया कि विभागीय अधिकारियों को वर्तमान में संचालित वृद्धाश्रमों का प्रत्येक वर्ष में कम से कम चार निरीक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं। हर तीन माह में निरीक्षण किया जाएगा। समाज कल्याण विभाग के जिला स्तरीय संयुक्त अथवा उप संचालक, थानेदार और तहसीलदार संयुक्त रूप से वहां जाएंगे और वृद्धजनों का कुशल क्षेम पूछेंगे। उनकी जरूरतों को नोट करेंगे और समस्याओं के निराकरण के लिए उचित पहल करेंगे। बैठक में वृद्धाश्रमों के सुचारू संचालन के लिए वहां के कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने का भी निर्णय लिया गया। समाज कल्याण मंत्री श्रीमती साहू ने बैठक में विभाग द्वारा वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए रायपुर जिले में ’बापू की कुटिया’ और कबीरधाम, धमतरी तथा दुर्ग में ’सियान सदन’ के नाम से स्थापित भवनों को नवाचार का अच्छा उदाहरण बताया। उन्होंने इसके लिए संबंधित जिलों के अधिकारियों की प्रशंसा भी की। बैठक में यह भी बताया गया कि इस तरह की संस्थाएं दंतेवाड़ा, बस्तर, राजनांदगांव और गरियाबंद में भी संचालित करने का प्रयास किया जा रहा है।
बैठक में यह भी बताया गया कि राज्य सरकार ने माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 के तहत प्रदेश के सभी राजस्व अनुविभागों में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) की अध्यक्षता में भरण-पोषण अधिकरण बनाया है जिसमें अनुविभागीय मुख्यालय के जनपद पंचायत अध्यक्ष अथवा उनके द्वारा नामांकित जनपद पंचायत की महिला सदस्य, अनुविभागीय मुख्यालय में पदस्थ ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर, पंचायत और समाज शिक्षा संगठक तथा अनुविभागीय अधिकारी द्वारा नामांकित 60 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिक सदस्य के रूप में शामिल करने का प्रावधान है। हर जिले में कलेक्टर की अध्यक्षता में वरिष्ठजनों के लिए अपील प्राधिकरण बनाए गए हैं। समाज कल्याण विभाग के संयुक्त अथवा उप संचालक को जिला स्तर पर भरण-पोषण अधिकारी का भी दायित्व सौंपा गया है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से बैठक में बताया गया कि राज्य के सरकारी अस्पतालों में वरिष्ठ नागरिकों को निःशुल्क और सर्वोच्च प्राथमिकता की सुविधा देने के लिए उन्हें पीला रंग का कार्ड जारी किया जा रहा है। इस कार्ड के आधार पर उन्हें शासकीय अस्पतालों में लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करने की नहीं होगी। उन्हें सरकारी अस्पतालों में दवाईयां भी निःशुल्क देने का प्रावधान किया गया है। प्रत्येक शासकीय जिला अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग द्वारा वरिष्ठ नागरिकों के लिए दस बिस्तर आरक्षित किए गए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि इसके अलावा राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत प्रदेश के सभी परिवारों को सालाना 50 हजार रूपए का जो स्मार्ट कार्ड दिया जा रहा है, उसमें वरिष्ठ नागरिकों के लिए 30 हजार रूपए की अतिरिक्त सुविधा भी शामिल है। इस प्रकार वृद्धजनों को किसी भी पंजीकृत अस्पताल में 80 हजार रूपए तक निःशुल्क इलाज की सुविधा मिल सकती है। राज्य के प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक जिरयाट्रिक वार्ड तथा प्रत्येक जिला अस्पताल में जिरयाट्रिक चिकित्सा के लिए दस बिस्तर आरक्षित करने के निर्देश मार्च 2018 में स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा जारी कर दिए गए हैं।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि परिषद में सदस्य के रूप में स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, नगरीय प्रशासन विभाग और समाजसेवी संस्था हेल्पेज इंडिया के अधिकारियों को भी शामिल किया जाए। बैठक में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा वृद्धजनों की देखभाल और वृद्धाश्रमों के रख-रखाव के लिए की गई अनुशंसाओं पर भी विचार किया गया। अधिकारियों ने बैठक में यह भी बताया कि राज्य में वृद्धाश्रमों के अलावा 19 स्थानों पर समाज कल्याण विभाग द्वारा वरिष्ठ नागरिकों के लिए बहुउद्देश्यीय सेवा केन्द्र भी स्वीकृत किए गए हैं, जहां उन्हें प्रतिदिन सवेरे 10.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक प्राथमिक उपचार, मनोरंजन, पौष्टिक स्वल्पाहार आदि की सुविधाएं देने का निर्णय लिया गया है। राज्य सरकार द्वारा वरिष्ठ नागरिकों को सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत पेंशन भी दी जा रही है। पिछले वित्तीय वर्ष 2017-18 में आठ लाख 78 हजार से ज्यादा वरिष्ठ नागरिकों को 381 करोड़ 80 लाख रूपए की पेंशन दी गई। मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना के तहत पिछले वित्तीय वर्ष में 39 यात्राओं का आयोजन किया गया, जिनमें 36 हजार 366 वरिष्ठ नागरिकों को देश के विभिन्न तीर्थ स्थानों का निःशुल्क भ्रमण करवाया गया।

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