जीवनदायनी की लूट रहे अस्मत प्रशासन माफियाओ के आगे नतमस्तक

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जोगी एक्सप्रेस 

शहडोलविराट नगरी के नाम से मशहूर शहडोल  जिले के लिये जीवन दायिनी बनी सोन नदी का सीना चीर कर चांदी काट रहे खनिज माफिया के लोगों ने अब एक नए ही अंदाज में शासन को राजस्व की क्षति पहुंचा कर बैक बैलेंस बढ़ाने का कार्य शुरू कर दिया है। सोन नदी के भीतर बहुमंजिला इमारतों के आकार वाले अवैध ईंट भत्तो  को देखकर सहज ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि बिना विभागीय सांठ-गांठ के कोई भी व्यक्ति इतने बड़े पैमाने पर किसी भी अवैध कारोबार को अंजाम नहीं दे सकता है। सवाल यह उठता है कि क्या ईंटों के सौदागर दिनेश प्रजापति के आगे पूरा प्रशासन नतमस्तक है या फिर उसके अवैध कारोबार पर नकेल कसने की दिशा में कोई सार्थक पहल होगी भी या नहीं?
शहडोल एवं अनूपपुर जिले की सीमा रेखा बनी सोन नदी में ग्राम बकही में बड़े पैमाने पर ईंटों का अवैध निर्माण एवं परिवहन किया जा रहा है। जानकार सूत्रों की मानें तो दिनेश प्रजापति नामक ईंटों के कारोबारी ने अपने इस अवैध धंधे के मार्ग में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करने के साथ ही प्रशासनिक दखलंदाजी करने वालों को भी साध रखा है। परिणाम स्वरूप कोई भी अधिकारी-कर्मचारी इस तरफ नजर उठाकर देखने का भी साहस नहीं जुटा पा रहा है।
गौर तलब है कि सोन नदी में प्रचुर मात्रा में कोयला मौजूद है। खान संचालन के लायक उपलब्धता न होने के कारण एसईसीएल द्वारा खदानों का संचालन नहीं किया जा रहा है जिसका लाभ जिले व संभाग के कोयला चोरों को मिल रहा है। अन्य स्थानों की भांति सोन नदी में चट्टानों के नीचे से कोयले का अवैध उत्खनन कर न सिर्फ ईंटें पकाने का कार्य किया जा रहा है बल्कि जिला व संभाग के बाहर चोरी का कोयला भेजकर प्रतिदिन लाखों का कारोबार भी किया जा रहा है।
प्रदेश एवं देश के विभिन्न स्थानों को रेत उपलब्ध कराने वाली सोन नदी के रेत का अवैध उत्खनन कर ईंटों का धड़ल्ले से निर्माण किया जा रहा है। यँू तो खनिज विभाग ने सोन नदी में रेत खदानों की नीलामी के जरिये उत्खनन का एरिया निर्धारित कर दिया गया है लेकिन यह सिर्फ रेत ठेकेदारों के लिये है, रेत चोर या खनिज माफिया पर न तो कोई सीमा लागू हो रही है और नही शासन के नियम कायदे। सरेआम रेत का अवैध उत्खनन कर ईंटें पकाने और बेचने का कार्य करने वालों पर अंकुश लगाने की दिशा में कोई ठोस पहल न होने से सोन का सीना छलनी कर नोट कमाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है।
सोन नदी में ईंटें बनाने के अवैध कारोबार को अंजाम देने वाले दिनेश प्रजापति एवं कुछ अन्य लोगों द्वारा जो विशालकाय ईंट भ_े लगाए गए हैं उनके सामने बहुमंजिला इमारतें भी छोटी साबित होंगी। सूत्रों की मानें तो एक-एक ईंट भ_ा 5 से 7 लाख ईंटों का है। एक साथ कई मकान बनाने की क्षमता रखने वाले ईंट भटठों पर विभागीय अमले की मेहरबानी क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है।
सोन नदी की धार गर्मी के मौसम में कम हाने से जल क्षेत्र संकुचित हो जाता है। पानी सूख चुके क्षेत्र में तालाब के आकार की रेत खुदाई कर वहां पर बड़े-बड़े पंप लगा कर पानी की निकासी की जा रही है। गौर तलब है कि शासन-प्रशासन द्वारा नदियों एवं सार्वजनिक जलस्रोतों के पानी के अन्यथा उपयोग पर पाबंदी लगा दी जाती है बावजूद इसके सोन नदी में ईंटें पकाने के लिये पूरी गर्मी पानी निकाल कर शासन-प्रशासन के निर्देशों की धज्जियां उड़ाई जा रही है।
बताया जाता है कि ईंटों के अवैध कारोबारी के रूप में लाखों कमा रहे दिनेश प्रजापति ने बाहर से ईंटें बनाने वाले मजदूरों को नदी के भीतर ही झुग्गियां बना कर उन्हें बसा दिया गया है। यह मजदूर नदी के विनाश में अपनी भूमिका निभाने को मजबूर किये जा रहे हैं। क्षेत्रीय ग्रामीणों ने जिला प्रशासन एवं संभागायुक्त शहडोल से खनिज माफिया के अवैध कारोबार पर अंकुश लगाकर सोन नदी के विनाश पर रोक लगाए जाने की मांग की है।

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