कर्नाटक ने बनाया अपना अलग झंडा, केंद्र की मंज़ूरी का इंतज़ार

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बेंगलुरु : कई महीनों की मशक्कत और खींचतान के बाद कर्नाटक ने आखिरकार अपना ध्वज तैयार कर लिया है। पिछले साल जुलाई में शुरू हुई अलग ध्वज की कवायद के बाद खींचतान के बीच कर्नाटक सरकार ने गुरुवार को अपने राज्य ध्वज को मंजूरी दे दी। पीली, सफेद और लाल पट्टी वाले ध्वज को अब मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। केंद्र सरकार के अप्रूवल के बाद यह ध्वज आधिकारिक रूप से कर्नाटक का झंडा माना जाएगा।

यदि राज्य के लिए अलग झंडे की कवायद को अमलीजामा पहना दिया जाता है तो कर्नाटक संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जा प्राप्त जम्मू-कश्मीर के बाद देश का दूसरा ऐसा राज्य बन जाएगा, जिसका आधिकारिक तौर पर अलग झंडा होगा। कर्नाटक के स्थापना दिवस के अवसर पर हर साल एक नवंबर को राज्य के कोने-कोने में अभी जो झंडा फहराया जाता है, वह मोटे तौर पर लाल एवं पीले रंग का ‘कन्नड़ झंडा’ है। इस झंडे का डिजाइन 1960 के दशक में वीरा सेनानी एम ए रामामूर्ति ने तैयार किया था।

अलग झंडे के लिए पिछले साल कन्नड़ एवं संस्कृति विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता वाली समिति गठित की गई थी। जानेमाने कन्नड़ लेखक व पत्रकार पाटिल पुटप्पा और समाजसेवी भीमप्पा गुंडप्पा गडपा की ओर से दिए गए ज्ञापन के बाद इस समिति का गठन किया गया। पुटप्पा और गडपा ने अपने ज्ञापन में सरकार से अनुरोध किया था कि ‘कन्नड़ नाडु’ के लिए एक अलग झंडा डिजाइन किया जाए और इसे कानूनी आधार दिया जाए।

राज्य से भले ही इस ध्वज को मंजूरी मिल गई हो लेकिन केंद्र सरकार द्वारा इसे मंजूरी देने पर अब भी संशय बरकरार है। पहले भी केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संविधान में ‘एक देश एक झंडा’ के सिद्धांत के आधार पर स्पष्ट किया था कि तिरंगा ही पूरे देश का ध्वज है। गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि ऐसा कोई कानूनी प्रावधान नहीं है जो राज्यों के लिए अलग झंडे की अनुमति देता हो या ऐसा करने को प्रतिबंधित करता हो।

मंत्रालय ने स्पष्ट किया था कि कर्नाटक का अपना एक झंडा है जो जनता का प्रतिनिधित्व करता है सरकार का नहीं। राज्य में तमाम बड़े जनआयोजनों में इस झंडे का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इस झंडे को स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस या अन्य सरकारी कार्यक्रमों में सरकार द्वारा नहीं फहराया जा सकता।

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