सुशासन से ही नक्सलवाद और आतंकवाद समाप्त होगा।मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह

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जोगी एक्सप्रेस

रायपुर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज राजधानी रायपुर स्थित अपने निवास कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये नई दिल्ली में आयोजित ‘काउंटर टेररिज्म’ कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। यह सम्मेलन ‘हिन्द महासागर क्षेत्र में आतंकवाद‘ विषय पर इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया गया।
डॉ. रमन सिंह ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा – सुशासन से ही नक्सलवाद और आतंकवाद समाप्त होगा। इसके लिए जनकल्याणकारी योजनाओं और विकास कार्यों के साथ कानून व्यवस्था के मोर्चे पर भी काम कर रहे हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ की नक्सल समस्या, विशेष रूप से बस्तर संभाग में नक्सलवाद के उन्मूलन के लिए अपनी सरकार की नीतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि राज्य के सरगुजा इलाके को नक्सल समस्या से मुक्त किया जा चुका है। अब हम लोग आदिवासी बहुल बस्तर अंचल में सुशासन के जरिये बदलाव लाने के लिए जनता की सामाजिक-आर्थिक बेहतरी की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं। केन्द्र से भी हमें अच्छा सहयोग मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा -हमने नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा, विकास और विश्वास का ताना-बाना बुना है। इससे बस्तर क्षेत्र में विकास को नई दिशा मिली है। नक्सलवाद के प्रति लोगों का मोहभंग हुआ है। उस इलाके में सड़क, रेल मार्ग, संचार और बिजली  का नेटवर्क बढ़ाया जा रहा है। स्वास्थ्य और शिक्षा के साथ-साथ रोजगार प्रशिक्षण की सुविधाओं में वृद्धि की गई है। वहां के युवाओं के कौशल उन्नयन पर विशेष रूप से बल दिया जा रहा है।
डॉ. रमन सिंह ने कहा – प्रशासनिक विकेन्द्रीकरण की दृष्टि से हमने वर्ष 2007 से 2012 के  बीच वहां चार नये जिले -नारायणपुर, बीजापुर, कोण्डागांव और सुकमा का गठन किया। अब बस्तर संभाग में सात जिले हैं। सम्मेलन को जम्मू कश्मीर के राज्यपाल श्री एन.एन. बोहरा, मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, आंध्र और तेलांगाना के राज्यपाल श्री ई.एस.एल. नरसिम्हन ने भी सम्बोधित किया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा – आतंकवाद और नक्सलवाद वास्तव में एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। लोकतंत्र पर आधारित शासन व्यवस्था को कमजोर करना और आतंक फैलाकर लूट खसोट करना नक्सलियों का उद्देश्य है। छत्तीसगढ़ और देशभर से उनके चेहरे से मसीहा का मुखौटा हट गया है और वे बेनकाब हो गए हैं। डॉ. रमन सिंह ने कहा – नये छत्तीसगढ़ राज्य में जनता के द्वारा निर्वाचित सरकार के सामने नक्सल प्रभावित इलाकों में शांति और विकास की कल्पना को साकार करना था। नक्सलियों ने बस्तर के सुदूर इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और संचार सेवाओं को ध्वस्त कर दिया था।
वहां हम सरकार की योजनाओं में जनता की भागीदारी एवं प्रशासन की पहुंच से बस्तर क्षेत्र में विकास का नया अध्याय लिख रहे हैं। उन्होने कहा कि राज्य निर्माण के समय वर्ष 2000 में प्रदेश में 16 जिले थे। प्रदेश सरकार ने शासन-प्रशासन को सुदूर क्षेत्रों में जनता तक आसानी से पहुंचाने में वर्ष 2007 से 2012 के बीच ग्यारह नए जिलों का गठन किया। अब राज्य में 27 जिले हैं। हमने विकास को गति देने और लोकतंत्र में आम जनता की भागीदारी बढ़ाने के लिए त्रि स्तरीय पंचायतों के चुनाव करवाए गए। राज्य सरकार द्वारा बस्तर क्षेत्र में सड़क नेटवर्क के विकास और विस्तार के लिये 6000 करोड़ रूपये खर्च किए जा रहे हैं। स्कूली शिक्षा के लिये पोटा केबिन और दंतेवाड़ा और सुकमा जिले में एजुकेशन सिटी का निर्माण किया गया । दंतेवाड़ा जिले के एजुकेशन सिटी में लगभग 7000 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जगदलपुर में शासकीय मेडिकल कॉलेज की स्थापना की गई। इससे स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार हुआ है। बीजापुर जिले में अस्पताल सुधार का नया मॉडल अपनाकर निजी क्षेत्र के चिकित्सकों की सेवाएं ली जा रही है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के बच्चों को शिक्षा का बेहतर वातावरण देने के लिए मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना शुरू की गई है। इसके अंतर्गत राज्य के सभी पांच संभागीय मुख्यालयों – रायपुर, बिलासपुर, अम्बिकापुर (सरगुजा), जगदलपुर (बस्तर) और दुर्ग में प्रयास आवासीय विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं। प्रयास आवासीय विद्यालय में पढ़कर आईआईटी , मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षाओं में सफल हुए हैं। बस्तर क्षेत्र के सात जिलों में मोबाईल फोन और इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ाने बस्तर नेट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की पहल पर शुरू की गई जिला खनिज न्यास योजना का खनिज संसाधनों से भरपूर छत्तीसगढ़ राज्य में सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है। दंतेवाड़ा जिले में 200 करोड़ रूपये के एवं कोरबा जिले में 400 करोड़ रूपये के विकास कार्य चल रहे हैं।
डॉ. सिंह ने कहा- पूरे प्रदेश में वनवासियों के लिए तेंदूपत्ता संग्रहण का पारिश्रमिक 1500 रूपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 1800 रूपये कर दिया गया है। बस्तर क्षेत्र में मक्के की खेती एवं उद्यानिकी फसलों की खेती को बढ़ावा दिया गया है।

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