चिरमिरी में ए.डी.जे. कोर्ट बनाने महापौर ने कलेक्टर से मुलाकात कर, दस्तावेज सहित मॉंग रखी

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 अधिवक्ता संघ ने ए.डी.जे. की स्थापना हेतु नगर निगम से भूमि के आबंटन की माँग की थी

चिरमिरी निगम क्षेत्र में ही हो कोर्ट का निर्माण, जमीन आबंटन के लिए निगम है तैयार

 साधारण सम्मिलन में प्रस्ताव पारित कर किया कलेक्टर से आग्रह 

चिरमिरी – कोयलाधानी के नाम से मशहूर चिरिमिरी में लगातार घटती आबादी व पलायन की स्थिति से निपटने के लिए निगम महापौर के. डोमरु रेड्डी लगातार प्रयासरत हैं। यहॉं के निवासियों को पट्टा दिलाने के अपने दृढ़-निश्चय के साथ राज्य सरकार के साथ मिलकर चला रहे अभियान के कारण अब प्रशासन भी जमीनी स्तर पर आबादी भूमि के चिन्हांकन सहित आवासीय मकानों की सूची तैयार करने में जुटी है। इसी क्रम में चिरमिरी के स्थायित्व के मद्देनजर अधिवक्ता संघ ने महापौर के. डोमरू रेड्डी, सभापत कीर्तिबासो रावल, नेता प्रतिपक्ष अयाजुद्दीन सिद्धिकी और कांग्रेस पार्षद दल के नेता बलदेव दास से चिरिमिरी में ए.डी.जे. की स्थापना हेतु नगर निगम की ओर से भूमि के आबंटन की माँग रखी थी।

इसी सम्बन्ध में निगम महापौर ने कलेक्टर कोरिया नरेंद्र दुग्गा से सौजन्य मुलाकात कर आग्रह किया है कि निगम द्वारा पारित प्रस्ताव अनुसार चिरमिरी निगम क्षेत्र में ही भूमि चयनित कर, अविलम्ब आबंटित कर गरीब व आदिवासी तबके के लोगों को विधिक कोर्ट (ए.डी.जे.) कोर्ट की सेवा दी जाए जिससे कि स्थानीय लोगों को बैकुण्ठपुर या मनेन्द्रगढ़ जाने में हो रहे अनावश्यक समय व धन खर्च न करना पडे़।

महापौर के. डोमरु रेड्डी ने बताया कि चिरमिरी अधिवक्ता संघ द्वारा नगर पालिक निगम चिरमिरी क्षेत्र के भीतर विधिक कोर्ट (ए.डी.जे.) की स्थापना हेतु भूमि के आबंटन की माँग रखी गयी थी। जिस पर अधिवक्ता संघ चिरमिरी के मांग पत्र के संबंध में हमारे नगर पालिक निगम के साधारण सम्मिलन दिनांक 23 नवम्बर 2017 में इस आशय का प्रस्ताव सदन में रखा गया था। जिस पर सदन में उपस्थित सभी सदस्यों द्वारा एक राय से निगम क्षेत्र के स्थायित्व को ध्यान में रखते हुए विधिक कोर्ट (ए.डी.जे.) बनाये जाने भूमि का चिन्हांकन करने एवं भूमि का आबंटन करने के संबंध में प्रस्ताव कलेक्टर कोरिया को प्रेषित किये जाने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया था।

कलेक्टर से मुलाकात कर दस्तावेजों के साथ सौम्पे अपने मॉंग पत्र में लिखा है कि पूर्व में कलेक्टर कोरिया नें राजस्व प्रकरण क्रमांक/01/अ-20(1)/2015-16 आदेश दिनांक 23.04.2016 अनुसार ग्राम चिरमिरी नगर पालिक निगम चिरमिरी की रिक्त भूमि खसरा नम्बर 36/1, 37, 38 रकबा क्रमशः 3.342, 0.255, 3.027 हे0 में से 1.570, 0.180, 0.650 हे0 कुल रकबा 2.400 हे0 व्यवहार न्यायालय चिरमिरी के न्यायालय भवन हेतु भूमि का आबंटन भी किया जा चुका है।

निगम महापौर ने कलेक्टर से चर्चा करते हुए बताया कि चिरमिरी में कोयला खदानों के लगातार बंद होते जाने एवं कर्मचारियों के संख्या में लगातार हो रहे गिरावट तथा हो रहे पलायन से यहाँ के भविष्य को लेकर मण्डरा रहे खतरे को बताते हुए यहां विधिक कोर्ट (ए.डी.जे.) की स्थापना की मॉंग किया है, ताकि आमजनों को एक स्थायित्व का आधार मिलने के साथ ही समूचे चिरमिरी क्षेत्र के भविष्य के लिए भी एक सार्थक प्रयास हो सके। चूॅंकि माननीय बैकुण्ठपुर व मनेन्द्रगढ़ के न्यायालय में अधिकतम प्रकरण खडगवॉ व चिरमिरी क्षेत्र के ही होते हैं। पूर्व में व्यवहार न्यायालय हेतु आबंटित भूमि अथवा अन्य स्थल पर उपलब्ध चयनित भूमि अविलम्ब आबंटित करने की बात कही है। जिससे कि गरीब व आदिवासी तबके के लोगों को विधिक कोर्ट (ए.डी.जे.) कोर्ट बैकुण्ठपुर/मनेन्द्रगढ़ जाने में अनावश्यक समय व धन खर्च न करना पडे़।

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