छोटाबाजार व बड़ाबाजार के विस्थापन में जल्दबाजी करना ठीक नहीं – महापौर रेड्डी

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(लोगों से बातचीत किये बगैर किसी प्रकार के योजना को लागू करना, चिरमिरी विरोधी है)

महापौर ने विधायक से कहा, विस्थापन से पहले नए खदान खोलने पर ध्यान दें तो अच्छा होगा

चिरमिरी – एसईसीएल चिरमिरी के छोटाबाजार और बडाबाजार के विस्थापन अगले तीन माह में होने के मनेन्द्रगढ़ विधायक श्यामबिहारी जायसवाल के बयान पर बड़ी प्रतिक्रिया देते हुए महापौर के. डोमरु रेड्डी ने कल एक बयान देते हुए कहा कि बड़ाबाजार व छोटाबाजार के विस्थापन और चिरमिरी के लोगों को शहर से दूर दूसरे क्षेत्रों में ले जाकर बसाने की जो चर्चा है, यह ठीक नहीं है। इस सम्बंध में जो भी फैसला करेगें, वो बड़ाबाजार व छोटाबाजार के निवासी करेंगे। चिरमिरी के बाहर के नेता या अधिकारी ऐसा निर्णय यदि चिरमिरी की जनता को थोपेंगे तो उसका पहला विरोधी एक महापौर के रूप में मैं रहूंगा और ऐसे जोर-जबर्दस्ती में चिरमिरी का विस्थापन हर हाल में नही होने दूंगा।

महापौर श्री रेड्डी ने कहा है कि विस्थापन से शहर के अस्तित्व पर गम्भीर खतरा आन पड़ेगा, इसलिए पहले हमारे शहर के लम्बित नए कोयला खदानों को प्रारम्भ करने की दिशा में पहल हो, बाद में किसी को हटाने या विस्थापन की बात हो। फिर भी साजिश के तहत् यदि चिरमिरी को डिस्टर्ब करने की कोशिश होगी तो यह बर्दाश्त नहीं की जायेगी, चाहे सामने कोई भी आ जाय। हम सब एकजूट होकर चिरमिरी को बचाने के मुहिम में जुट जायेगें।

महापौर ने जारी बयान में यह भी कहा है कि चिरमिरी के स्थायित्व के लिए कोयला खदान चलना नितांत आवश्यक है, लेकिन इसके लिए क्षेत्र की जनता को चिरमिरी के बाहर बसाने का जो सपना बाहरी नेता या अधिकारी कर रहें हैं, इसे मैं बिल्कुल साकार होने नही दूगॉं। बड़ाबाजार-छोटाबाजार के निवासियों के साथ अन्याय नही होने दूंगा। हर परिस्थिति में उनके साथ कदम से कदम मिलाकर साथ चलूंगा। महापौर ने चिरमिरी के साथ खिलवाड़ करने वाले ऐसे ताक़तों पर निशाना साधते हुए कहा कि एक तरफ मेरा सतत् प्रयास चिरमिरी के निवासियों के स्थायित्व के लिए लोगों को पट्टा दिलवाने का है, दूसरे तरफ बाहरी नेता चिरमिरी को खतम् करने का साजिश कर रहे हैं, जिसे मैं बिल्कुल बर्दास्त नही करूँगा और हम सब जनता के साथ मिलकर ईंट से ईंट बजा देंगे।

इसके साथ – साथ महापौर ने तल्ख लहजे में कहा कि केवल कोयला उत्खनन के नाम पर विस्थापन  की प्रकिया तर्क संगत नही है। प्रशासन और कोल इंडिया को नवीन बसावट हेतु ब्लू प्रिंट तैयार करना जरूरी है और इस तैयार ब्लू प्रिंट को क्षेत्र की जनता और उनके बुद्धिजीवियों के मध्य रख के न केवल कोयला श्रमिको के हित अपितु क्षेत्र में निवासरत व्यापारी एवम अन्य लोगों की भी आजीविका सम्बन्धी समस्या जो की विस्थापन उपरांत होनी है उन पर भी चर्चा की आवश्यकता है और जहाँ तक बात केवल छोटा बाजार और बड़ा बाजार क्षेत्र में स्थित कोयला भंडार और निकट भविष्य में उसके दोहन की बात है तो यह आने वाले समय पर चिरमिरी के भविष्य के लिये बेहतर विकल्प है, किन्तु वक्त की नज़ाकत कहती है के बंद हुई खदानों के पुनः चालू होने की दिशा में पहल की जाए जिससे चिरमिरी से स्थानांतरित होने वाले कोयला श्रमिक उनके परिवार और अन्य लोगों का पलायन रोका जा सके।

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