तिरंगे का न हो अपमान सामाजिक कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट से लगाईं गुहार

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रायपुर ,छत्तीसगढ़ में संसदीय सचिवों वाला  बवाल रुक नहीं रहा . जहाँ  संसदीय सचिवों को 26 जनवरी पर ध्वाजारोहण करने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट को भेजे गए पत्र का है.  रायपुर  के सामाजिक कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट को मेल भेजकर 11 संसदीय सचिवों को ध्वाजारोहण करने से रोकने की मांग की है.
कुणाल शुक्ला ने अपनी शिकायत में लिखा है कि जिस पद की हैसीयत से संसदीय सचिव ध्वजारोहण करने की तैयारी में हैं, उस पद की संवैधानिकता को लेकर न्यायालय विचार चल रहा है. ऐसे में विवादित पद पर बैठे व्यक्तियों द्वारा ध्वाजारोहण करने से लोकतंत्र का अपमान होगा चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया को लिखे पत्र में कहा गया है कि ” छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के 11 विधायक संसदीय सचिव के पद पर लाभान्वित हैं, इन माननीय 11 संसदीय सचिवों द्वारा अतिरिक्त वेतन, बंगला, भत्ता, वाहन का दुहरा लाभ लिया जा रहा है, जिसकी शिकायत मेरे द्वारा राज्य के राज्यपाल महोदय से भी की गई थी परंतु इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई. शुक्ला ने लिखा है कि ”दिल्ली के संसदीय सचिवों के रूप में कार्यरत विधायकों पर चुनाव आयोग कार्यवाही करता है और इस पर राष्ट्रपति की मुहर भी लग जाती है, परंतु छत्तीसगढ़ के संसदीय सचिवों को सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा इसी अपराध(कार्य)मे छूट दी जा रही है, इससे जनता में देश की कानूनी व्यवस्था को लेकर सार्थक संदेश नहीं जा रहा है, निवेदन है कि छत्तीसगढ़ के संसदीय सचिवों को झंडा वंदन से रोक कर जनता के बीच एक समान कानून के सार्थक संदेश का आदेश आप पारित करें.सूत्रों की माने तो  इस बार संसदीय सचिवों को भी जिलों में ध्वजारोहण की जिम्मेदारी दी गई है.. जिसके तहत चम्पा देवी पावले सूरजपुर में, गोर्वधन मांझी गरियाबंद में, शिवशंकर पैकरा जशपुर में, लाभचंद बाफना कांकेर में, रूपकुमारी चौधरी महासमुंद में, मोतीराम चन्द्रवंशी कबीरधाम में, लखन देवांगन जांजगीर में, राजू सिंह क्षत्रीय कोण्डागांव में, सुनीति राठिया बलरामपुर में, अम्बेश जांगड़े सुकमा में और तोखन साहू नारायणपुर में ध्वजारोहण करेंगे

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