शिवसेना -एनडीए की राह हुई अलग, क्या उद्धव के पास नहीं था कोई विकल्प

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नई दिल्ली । बाला साहेब ठाकरे की जयंती पर शिवसेना पूरी तरह से भाजपा पर हमलावर रही। ये पहली बार नहीं है जब शिवसेना के नेताओं ने भाजपा के खिलाफ बयान दिया हो। लेकिन इस दफा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी ने कुछ फैसले भी किए। पार्टी ने साफ कर दिया कि अब हालात ऐसे बन चुके हैं कि आगे के लिए भाजपा के साथ कदमताल मिलाकर चलना मुश्किल होगा।

शिवसेना 2019 के आम चुनाव और विधानसभा चुनाव अकेल लड़ेगी। लेकिन इसके साथ ये भी कहा कि अभी राज्य और केंद्र में शिवसेना का हिस्सा बनी रहेगी। एक समान विचार धारा की धरातल पर जब भाजपा और शिवसेना एक साथ थे, तो ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि शिवसेना ने इतना बड़ा ऐलान किया। इसे समझने से पहले ये जानना जरूरी है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और दूसरे नेताओं ने क्या कुछ कहा।

एनडीए से शिवसेना ने तोड़ा नाता
शिवसेना कार्यकारिणी की बैठक में वरिष्ठ संजय राउत ने एनडीए से नाता तोड़ने का प्रस्ताव रखा था जिसे सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। संजय राउत ने इस प्रस्ताव में कहा कि भाजपा से गठबंधन बनाए रखने के लिए हमेशा समझौता किया गया, लेकिन भाजपा ने शिवसेना को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। शिवसेना अब गरिमा के साथ चल सकेगी। शिवसेना केंद्र की मोदी सरकार, यहां तक कि राज्य की फडणवीस सरकार की खासी आलोचक रही है।

नोटबंदी, जीएसटी जैसे केंद्र सरकार के फैसले से लेकर हर उस मुद्दे पर शिवसेना अपने सहयोगी पर हमलावर रही, जिसके जरिए विरोधी पार्टियों ने भाजपा को घेरने की कोशिश की। इसके अलावा हाल शिवसेना, फणनवीस सरकार पर निशाना साधती रही है। हाल ही में मुंबई में कमला मिल्स कंपाउंड में लगी आग पर शिवसेना के नेताओं ने भाजपा सरकार को घेरा लेकिन अपनी भूमिका पर चुप्पी साध ली। कांग्रेस के खिलाफ जहर उगलने वाले शिवसेना नेता खास तौर से उद्धव ठाकरे राहुल गांधी की प्रशंसा करते नजर आए। इसके साथ ही उद्धव ठाकरे द्वारा केजरीवाल सरकार की तारीफ के कई मामले सामने आए थे। ये सब ऐसे प्रसंग हैं जिसकी वजह से भाजपा हमेशा असहज महसूस करती रही है।

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