छठवां दिनभागवत कथा में श्रीकृष्ण की रास लीला का वर्णन जिसके चलते भक्ति मय माहौल बना हुआ है।

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तुम्हारे पास है वह बतौरअमानत है बेटा है वह बहू की अमानत है, बेटी है तो वह दमाद की अमानत है-पं. गणेश महाराज

रावन । स्थानीय गांधी चौक गांव में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा के छठवें दिन कथा वाचक पं. गणेश महाराज ने भगवान श्री कृष्ण की बाललीलाा, नंदोत्सव, राक्षसी, पुतुना वध, कालियादमन लीला ,महारास लीला आदि का वर्णन किया। जिसके चलते भक्ति मय माहौल बना हुआ है।उन्होंने कहा की जगत में भगवान की कृपा बिना कुछ भी संभव नहीं है। भगवान के नाम से ही सारे पाप दूर होते हैं। मानव मात्र को ही समाज में अच्छे कर्म करना चाहिए। प्राप्त ओहदा का सदुपयोग करना चाहिए व फल की कामना किए बगैर कर्म करते रहना चाहिए। अच्छे कर्म का फल हमेशा अच्छा मिलता है और बुरा कर्म का फल बुरा होता है इसलिए हमें हमेशा सत्कर्म करना चाहिए।
कथाकार ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण जब मात्र छह दिन के थे तब राक्षसी पुतना श्री कृष्ण को मारने गोकुल पहुंची थी। कृष्ण ने पुतना का वध किया था। श्रीकृष्ण की प्रत्येक लीला दिव्य व आध्यात्मिक थी। कथावाचक ने महारासलीला के बारे में बताया कि इसमें भगवान श्रीकृष्ण व गोपियों का रासलीला निश्चल प्रेम को प्रमाण मिलता है। शरद पूर्णिमा के रात यमुना तट पर महारास का आयोजन किया गया था जिसमें जितनी गोपी उतने कृष्ण ने महारास की थी। रासलीला में कृष्ण को छोड़कर किसी अन्य मर्द का वहां जाना निषेध था जबकि भगवान भोलेनाथ ने महिला के वेश वेष में रास का दर्शन किए थे। कथावाचक ने कहा कि हम सांसारिक मोहमाया में पड़कर भगवान को भूल जाते हैं जबकि विपत्ति आने पर भगवान को याद करते हैं।

“राम कथा जीवन की व्याकरण है, कृष्ण” कथा का वर्णन करते हुए कहा कि जीव जब कर्म करने का प्रयास करता है, तो परमात्मा सहायता करते हैं जो भगवान को अपने मस्तक पर विराजमान करते हैं उसके लिए मोक्ष का द्वार भी खुल जाते हैं अन्यथा यह सारा संसार मोह रूप कारागृह में सोया हुआ है आगे कहा कि सफल जीवन के लिए जरूरी है कि छोटों को देखकर जिओ बड़ों को देखकर बड़ो अच्छे के लिए प्रयास करो और बुरे के लिए तैयार रहो बड़ों से आगे बढ़ने की प्रेरणा लेना क्योंकि दुनिया में जो महापुरुष है वह केवल पूजने के लिए नहीं है प्ररेणा लेने के लिए भी है, अच्छे के लिए प्रयास करना क्योंकि प्रयास कभी व्यर्थ नहीं जाता और बुरे के लिए तैयार रहना क्योंकि बेटा कभी भी मुंह मोड़ सकता है, और दोस्त कभी भी साथ छोड़ सकता है, दुनिया में तुम्हारा अपना कोई नहीं है ,जो कुछ भी है तुम्हारा है तुम्हारे पास है वह बतौरअमानत है बेटा है वह बहू की अमानत है, बेटी है तो वह दमाद की अमानत है, शरीर शमशान की और जिंदगी मौत की अमानत है जिंदगी एक दिन मौत से हार जाएगी तो अमानत को अमानत समझकर ही उसकी भार संभाल करना, उस पर मलकियत का ठप्पा मत लगा देना । सुनने की आदत डालो क्योंकि दुनिया में कहने वालों की कमी नहीं है कड़वे घूंट पी-पीकर जीने और मुस्कुराने की आदत बना लो क्योंकि दुनिया में अब अमृत की मात्रा बहुत कम रह गई है बुराई सुनने की खुद में हिम्मत पैदा करो क्योंकि लोग तुम्हारी बुराई करने से बाज नहीं आएंगे। भाई आलोचक बुरा नहीं है वह तो जिंदगी के लिए साबुन पानी का काम करता है जिंदगी की फिल्म में एक खलनायक भी तो जरूरी है।भगवान कथा को लेकर अंचल व आसपास के गांवों में भक्तिमय महौल बना हुआ है। इस दौरान परायण कर्ता पोषण मिश्रा ,राम जी, बाबुलाल, दिलेश्वर, रमेश,गणपत,उदल वर्मा, संतोष, भगत, नारायण, लखन ,दुर्गा वर्मा, नीलकंठ,मालिक, ग्रीस करसायल,सुमन,उदय वर्मा, केदार, सुशील साहू,रामाधार वर्मा, तिलक राम, सीताराम, मुकेश वर्मा, सहित आसपास से आएं श्रोतागण मौजूद रहे।

फोटो क्रमांक एक- कथाकार पं गणेश महाराज जी

फोटो क्रमांक दो- भागवत कथा सुनने माताओं की उमड़ी भीड़।

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