28 को ग्राम महुदा में डाक्यूमेंट्री फिल्म लाल जोहार का प्रदर्शन

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भिलाई. आगामी 28 नवंबर रविवार को ग्राम महुदा ( पाटन ) में शहीद शंकर गुहा नियोगी के जीवन संघर्ष पर निर्मित डाक्यूमेंट्री फिल्म लाल जोहार का प्रदर्शन शाम 5.45 बजे किया जाएगा. छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा ( मजदूर कार्यकर्ता समिति ) की सांस्कृतिक विंग ‘ रेला ‘ के द्वारा इस फिल्म को गांव-गांव में दिखाए जाने की कार्य योजना के तहत इसका प्रदर्शन हाल-फिलहाल ग्राम महुदा में किया जाएगा. रेला की टीम के सदस्य जल्द ही उन गांवों में भी इस फिल्म को लेकर पहुंचेंगे जहां शहीद नियोगी साथ काम करने वाले उनके संघर्ष के दिनों के साथी और विचारधारा को जानने-मानने वाले लोग मौजूद हैं. ग्राम महुदा में फिल्म के प्रदर्शन के दौरान मुख्य अतिथि के तौर पर सरपंच मनोज साहू, उप सरपंच मुकेश साहू, ग्राम प्रमुख राम बिलास साहू व विभिन्न समाजों के प्रमुख जन विशेष रुप से उपस्थित रहेंगे.

ज्ञात हो डाक्यूमेंट्री फिल्म लाल जोहार का निर्माण अपना मोर्चा डॉट कॉम ने किया है. इस फिल्म में रंगकर्मी जय प्रकाश नायर, सुलेमान खान, संतोष बंजारा, अप्पला स्वामी, राजेंद्र पेठे, शंकर राव, ईश्वर, कुलदीप नोन्हारे सहित जनमुक्ति मोर्चा से जुड़े साथियों ने अभिनय किया है. कैमरामैन तत्पुरुष सोनी हैं.जबकि बैंकग्राउंड म्यूजिक पुष्पेंद्र साहू ने दिया है. शहीद शंकर गुहा नियोगी की शहादत के 30 साल बाद पत्रकार राजकुमार सोनी ने फिल्म को निर्देशित किया है.

छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा ( मजदूर कार्यकर्ता समिति ) की सांस्कृतिक विंग रेला के प्रमुख सदस्य मनोज कोसरे ने बताया कि शंकर गुहा नियोगी ने पूरे छत्तीसगढ़ को अपना कर्म स्थल चुना था. वे जब तक जीवित थे तब तक उन्होंने दबे-कुचले, पीड़ित और वंचित वर्ग के उत्थान के लिए कार्य किया. उन्होंने जीवनभर किसान-मजदूर, महिलाओं और छात्रों को संगठित किया और उन्हें अन्याय, अत्याचार, जादू-टोने, शराब जैसी कुरीतियों के खिलाफ लड़ना सिखाया. उन्होंने नवां भारत बर नवां छत्तीसगढ़ का सुनहरा ख्वाब भी देखा और जमीन पर काम करने वाले साथियों का हौसला बुलंद किया. उनके साथ जुड़कर न जाने कितने लोग चेतना संपन्न हुए. लेकिन दुर्भाग्य है कि शोषण विहीन छत्तीसगढ़ समाज की उनकी परिकल्पना को सभी सरकारों ने दबाने और कुचलने का काम किया है. कोसरे ने आगे बताया कि फिल्म के माध्यम से एक बार फिर शहीद शंकरगुहा नियोगी जी के जीवन संघर्ष और निर्माण के विचारों को जनमानस तक ले जाने की छोटी सी कोशिश सांस्कृतिक ईकाई “रेला” द्वारा की जा रही हैं.

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