प्रदेश सरकार सूरजपुर कलेक्टर के विरुद्ध क़ानूनन एफ़आईआर दर्ज कर गिरफ़्तारी के आदेश पुलिस प्रशासन को दे : भाजपा

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रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता व प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सच्चिदानंद उपासने ने सूरजपुर कलेक्टर रणवीर शर्मा द्वारा वैक्सीनेशन के लिए पर्ची थामे टीकाकरण केंद्र जा रहे एक निरपराध नवयुवक की पिटाई करने, मोबाइल ज़मीन पर पटकने और साथ में मौज़ूद पुलिस जवानों से लाठी से पिटवाने के साथ ही एफ़आईआर दर्ज करने के आदेश देने के कृत्य को अक्षम्य बताते हुए उक्त कलेक्टर के विरुद्ध क़ानूनन एफ़आईआर दर्ज कर गिरफ़्तारी के आदेश पुलिस प्रशासन को देने की मांग की है। श्री उपासने ने कहा कि जब स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस घटना की निंदा करके इस तरह के कृत्य को बर्दाश्त नहीं करने की बात कह चुके हैं, तो फिर ऐसे निरंकुश कलेक्टर को केवल स्थानांतरित करना या निलंबित करना पर्याप्त सजा नहीं जान पड़ती।

भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य श्री उपासने ने कहा कि प्रदेश में नौकरशाही हावी है, निरंकुशता और सामंती-प्रवृत्ति के प्रशासनिक-चरित्र के चलते भी आम आदमी का इस आपदा काल में जीना मुहाल हो गया है। कलेक्टर सरेराह निर्दोष लोगों को पीटें, मुख्यमंत्री से फर्जी कोविड सेंटर का उद्घाटन करा लें, एसडीएम (महिला अधिकारी) खुलेआम अपने मातहतों को वसूली, अपने घरेलू ख़र्च और वसूली के लिए प्रताड़ित करें, महकमों में व्याप्त अफ़सरशाही के अहंकार में डूबे लोग मातहतों से घरेलू नौकरों का काम लें, भ्रष्टाचार जिस अफ़सरशाही की रग-रग में व्याप्त है, उसमें अपने ज़मीर के साथ काम करने वाले एक पुलिस जवान को नौकरी छोड़नी पड़े, एक अधिकारी को भ्रष्टाचार की जाँच के लिए अनशन तक करना पड़े, ये तमाम उदाहरण प्रदेश सरकार की अपनी प्रशासनिक समझ-बूझ की कमी को इंगित करने के लिए पर्याप्त हैं। श्री उपासने ने हैरत जताई कि इन तमाम मामलों में प्रदेश सरकार ने बेहद लुंज-पुंज कार्रवाई करके अपने दायित्व की इतिश्री मानने का काम किया है जबकि मुख्यमंत्री बघेल की सूरजपुर मामले में स्वीकारोक्ति के साफ़-साफ़ मायने यही हैं कि प्रदेश में निरंकुश अफसरशाही चल रही है, जिस पर ख़ुद मुख्यमंत्री का भी नियंत्रण नहीं है।

भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य श्री उपासने ने कहा कि सूरजपुर जैसा नितांत अलोकतांत्रिक व अमानवीय कृत्य सोशल मीडिया में वीडियो के माध्यम से देश-प्रदेश की जनता ने देखा है, तब सवाल यह उठता है कि क़दम-क़दम पर सत्तापक्ष के नेताओं द्वारा कोरोना गाइडलाइन की धज्जियाँ उड़ाते देखकर कार्रवाई करने में नौकरशाहों के हाथ-पाँव क्यों फूल जाते हैं? हाल ही कोंडागाँव में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम के भतीजे की शादी और काँकेर ज़िले में संसदीय सचिव शिशुपाल सोरी के बेटे की शादी में कोविड प्रोटोकॉल के खुले उल्लंघन के मामलों का हवाला देकर श्री उपासने ने कहा कि पिछले सालभर से लगभग सवा साल के कोरोना काल में सत्तापक्ष की मनमानियों की ओर से प्रशासन आँखें मूंदे बैठा है। श्री उपासने सवाल किया कि सत्ता की धौंस के आगे रिरियाते प्रशासनिक अधिकारियों को क्या सरकार ने कोरोना प्रोटोकॉल के नाम पर जनता को इस प्रकार मारने-पीटने का अधिकार भी प्रदान किया है? यदि वह युवक ऐसी कोई गुस्ताख़ी करता तो क्या सरकार उसे तत्काल गिरफ़्तार कर ज़ेल भेजने के बजाय छोड़ देती? श्री उपासने ने कहा कि स्थानांतरण एक सामान्य प्रक्रिया है, यह कोई सजा नहीं है और मुख्यमंत्री द्वारा घटना पर क्षोभ जताना व प्रताड़ित नवयुवक व उनके परिजनों से माफ़ी मांगना पर्याप्त नहीं है, यह महज़ दिखावा है।

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