राज्य के 2.10 लाख लोगों को मिल रहा मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना का फायदा

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JOGI EXPRESS

 पीडीएस में निरंतर सुधार से गरीबों को मिली भोजन की चिन्ता से मुक्ति : राज्य के 2.10 लाख लोगों को मिल रहा मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना का फायदा

धान खरीदने के लिए खोले गए 669 नये उपार्जन केन्द्र,सहकारी समितियों में 15.78 लाख किसानों का पंजीयन

रायपुर, खाद्य, नागरिक आपूर्ति, उपभोक्ता संरक्षण और ग्रामोद्योग मंत्री श्री पुन्नूलाल मोहले ने आज कहा कि विगत 14 वर्षाें में मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह के नेतृत्व में राज्य सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली में निरंतर सुधार करते हुए गरीबों को भोजन की चिंता से मुक्त कर दिया है। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जिसने वर्ष 2012 में खाद्य सुरक्षा और पोषण सुरक्षा कानून बनाकर अपने राज्य के लाखों गरीब परिवारों को कुपोषण मुक्ति के लिए भोजन का अधिकार दिया है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत छत्तीसगढ़ में लगभग 57 लाख 72 हजार राशन कार्डधारक परिवारों को मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना के तहत हर महीने सिर्फ एक रूपए किलो में चावल दिया जा रहा है। इन परिवारों के दो करोड़ 10 लाख सदस्यों को इस योजना का लाभ मिल रहा है। श्री मोहले आज यहां न्यू सर्किट हाउस में आयोजित पत्रकार वार्ता में अपने विभागों की 14 वर्ष की उपलब्धियों की जानकारी दे रहे थे।
उन्होंने बताया – ग्रामोद्योग के क्षेत्र मेें हाथ करघा कपड़ों के उत्पादन, रेशम उत्पादन, हस्तशिल्प और माटी शिल्प को बढ़ावा देकर रोजगार के अवसरों का विस्तार किया है। समर्थन मूल्य नीति के तहत धान खरीदी की सर्वोत्तम व्यवस्था छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा की गई है। इसके अंतर्गत सहकारी समितियों मंे विगत चैदह वर्ष में 669 नये उपार्जन केन्द्र खोले गए हैं। वर्ष 2003 में इन उपार्जन केन्द्रों की संख्या 1323 थी, जो आज बढ़कर 1992 हो गई है। इस अवधि में धान बेचने वाले पंजीकृत किसानों की संख्या आठ लाख से बढ़कर वर्ष 2016-17 में 13 लाख 28 हजार और चालू खरीफ विपणन वर्ष 2017-18 में 15 लाख 78 हजार से ज्यादा  हो गई है। उल्लेखनीय है कि चालू वर्ष में धान बेचने के लिए 15 लाख 78 हजार किसानों ने अपना पंजीयन करवाया है।
श्री मोहले ने बताया – ग्रामोद्योग विभाग के अंतर्गत माटी कला बोर्ड का गठन करने के बाद बोर्ड के जरिये  कुम्हारो और माटी शिल्पियों के आर्थिक विकास के लिए उन्हें नई तकनीक से जोड़ा जा रहा है। अब तक कुम्हार टेराकोटा योजना के तहत उन्हें बिजली से चलने वाले तीन हजार 745 चाक और 505 बेरिंग चाक दिए जा चुके हैं। खाद्य मंत्री ने बताया – प्रत्येक राशन कार्ड धारक परिवार को अनुसूचित क्षेत्रों में प्रति कार्ड दो किलो और सामान्य क्षेत्रों में एक किलो आयोडीन नमक निःशुल्क दिया जा रहा है। इतना ही नहीं बल्कि अनुसूचित क्षेत्रों के राशन कार्डधारक परिवारों को हर महीने सिर्फ पांच रूपए किलो में दो किलो चना भी दिया जा रहा है।
पीडीएस चावल पर 2200 करोड़, चने पर 400 करोड़
और मुफ्त नमक पर 76 करोड़ रूपए सालाना खर्च

श्री मोहले ने बताया – राज्य सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली में चावल वितरण पर प्रति वर्ष दो हजार 200 करोड़ रूपए, चना वितरण पर 400 करोड़ रूपए और निःशुल्क नमक वितरण पर 76 करोड़ रूपए खर्च कर रही है। प्रदेश में विगत 14 वर्षों में चार हजार 661 नई राशन दुकानें खोली गई है, जिन्हें मिलाकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में उचित मूल्य दुकानों की संख्या आठ हजार 637 से बढ़कर 12 हजार 298 हो गई है। इनमें से 11 हजार 043 दुकानें ग्रामीण क्षेत्रों में हैं।  मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2004 में ही पीडीएस में निजीकरण को समाप्त कर दिया था। सभी उचित मूल्य दुकानों की जिम्मेदारी सार्वजनिक क्षेत्र के अंतर्गत सहकारी समितियों, महिला स्व-सहायता समूहों, ग्राम पंचायतों और वन सुरक्षा समितियों को सौंपी गई है।
प्रदेश में बनाए गए 5260 उचित मूल्य दुकान-सह गोदाम
श्री मोहले ने बताया – विगत 14 वर्षों में पीडीएस के तहत पांच हजार 260 उचित मूल्य दुकान-सह-गोदामों का निर्माण किया गया। वर्ष 2003 में राशन दुकानों को चावल वितरण पर सिर्फ 8 रूपए प्रति क्विंटल कमीशन मिलता था, जिसे वर्ष 2006 में बढ़ाकर 30 रूपए और 2016 में 70 रूपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है। राज्य की सभी राशन दुकानों को उपभोक्ताओं के लिए वर्ष 2008 से एक महीने की राशन सामग्री क्रेडिट में दी जा रही है। इसके फलस्वरूप सभी राशन दुकानों में हर महीने के प्रथम सप्ताह में राशन का भंडारण हो रहा है और कार्डधारकों को समय पर राशन मिल रहा है। श्री मोहले ने बताया कि  पीडीएस में पारदर्शिता की दृष्टि से खाद्य विभाग द्वारा सम्पूर्ण प्रणाली का वर्ष 2008 में ही कम्प्यूटरीकरण कर लिया गया था। सम्पूर्ण प्रणाली को जनभागीदारी वेबसाइट के जरिये आॅनलाइन कर दिया गया है। विभाग की सिटीजन वेबसाइट में कोई भी नागरिक पीडीएस के बारे में अपनी किसी भी प्रकार की शिकायत को दर्ज करवा सकता है। इसके अलावा पीडीएस से संबंधित जनसमस्याओं को दर्ज करने और उनके निराकरण के लिए निःशुल्क काॅल सेंटर भी बनाया गया है, जिसका नम्बर 1800.233.3663 और 1967 है।
पीडीएस कव्हरेज 45 प्रतिशत से बढ़कर 82 प्रतिशत
श्री मोहले ने बताया कि राज्य में वर्ष 2003 में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) का कव्हरेज सिर्फ 45 प्रतिशत था, लेकिन वर्ष 2007-08 में मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना और वर्ष 2012-13 में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा कानून लागू करने के बाद पी.डी.एस. का कव्हरेज बढ़कर 82 प्रतिशत हो गया।
रसोई गैस कनेक्शन वाले परिवारों की संख्या
6.80 लाख से बढ़कर 36.38 लाख तक पहुंची

खाद्य मंत्री श्री मोहले ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का उल्लेख करते हुए बताया कि लगभग डेढ साल पहले 13 अगस्त 2016 से प्रारंभ इस योजना में छत्तीसगढ़ में अब तक 16 लाख 50 गरीब परिवारांे की महिलाओं को निःशुल्क रसोई गैस कनेक्शन दिए जा चुके हैं। राज्य में वर्ष 2003 में सिर्फ छह लाख 80 हजार परिवारों के  पास रसोई गैस कनेक्शन था। अब इनकी संख्या बढ़कर 36 लाख 38 हजार हो गई है। इसमें प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदान है। इस योजना के लागू होने के बाद छत्तीसगढ़ में रसोई गैस (एल.पी.जी) कनेक्शनों का कव्हरेज 34 प्रतिशत से बढ़कर 65 प्रतिशत तक पहुंच गया है। श्री मोहले ने बताया कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में केन्द्र सरकार द्वारा गरीब परिवारों को निःशुल्क रसोई गैस कनेक्शन देकर लगभग 1600 रूपए की सब्सिडी दे रही है। छत्तीसगढ़ देश का पहला और इकलौता राज्य है, जहां मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह ने इस योजना में हितग्राही से सिर्फ 200 रूपए का अंशदान लेकर उन्हें डबल बर्नर चूल्हा और पहला रिफिल निःशुल्क देने की व्यवस्था की है। इसके लिए प्रति हितग्राही लगभग 1500 रूपए का अनुदान राज्य सरकार दे रही है। इस प्रकार केन्द्र और राज्य के अनुदानों को मिलाकर प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में छत्तीसगढ़ के हितग्राहियों को लगभग 3100 रूपए का अनुदान मिल रहा है। श्री मोहले के साथ पत्रकारवार्ता में ग्रामोद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री सुनील कुजुर, खाद्य विभाग की सचिव श्रीमती ऋचा शर्मा और अन्य संबंधित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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