वनों को बचाने में वनवासियों और महिला समूहों की महत्वपूर्ण भूमिका:मुख्यमंत्री

0

 वनवासियों को आजीविका देने वाले वृक्षों की प्रजातियों से वनों को समृद्ध करने की जरुरत: डॉ. रमन सिंह

मुख्यमंत्री नेे भारतीय वन सेवा के परिवीक्षाधीन अधिकारियों को संबोधित किया.वनों को बचाने में वनवासियों और महिला समूहों की महत्वपूर्ण भूमिका

रायपुर, मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि वनवासियों को लघु वनोपजों के माध्यम से साल भर आजीविका के साधन देने वाली वृक्षों की प्रजातियों जैसे तेंदूपत्ता, चार-चिरौंजी, महुलाइन पत्ता, आंवला, हर्रा के वृक्षों से वनों को समृद्ध करने की जरुरत है। इसके लिए टिश्यु कल्चर से इन प्रजातियों के अच्छी उपज देने वाले पौघे तैयार करके उन्हें बड़े पैमाने में जंगलों में रोपा जाना चाहिए। मुख्यमंत्री आज सवेरे यहां उनके निवास पर छत्तीसगढ़ के अध्ययन दौरे पर आए भारतीय वन सेवा के परिवीक्षाधीन 45 अधिकारियों के प्रतिनिधि मण्डल को संबोधित कर रहे थे। ये अधिकारी तीन दिवसीय अध्ययन दौरे पर छत्तीसगढ़ आए हैं। छत्तीसगढ़ में वानिकी और वनवासियों के साथ संयुक्त वन प्रबंधन कार्यक्रम के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों के साथ-साथ यह प्रतिनिधि मण्डल हर्बल प्रसंस्करण केन्द्र दुगली (धमतरी), वन विज्ञान केन्द्र मुढ़ीपार (महासमंुद), मनगट्टा ईको पर्यटन केन्द्र, नया रायपुर में जंगल सफारी, बॉटनिकल गार्डन परिसर में अत्याधुनिक क्लोनल नर्सरी का अवलोकन करेंगे। इस अवसर पर वन विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री सी.के.खेतान और प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री आर.के.सिंह भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को छत्तीसगढ़ की विशेषताओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने अधिकारियों को बताया कि छत्तीसगढ़ में लगभग 40 प्रतिशत भूमि वनों से आच्छादित है। डॉ. सिंह ने अधिकारियों से कहा कि यदि वनवासियों के सहयोग से प्राथमिक वन समितियांे और महिला स्वसहायता समूहों के अच्छे समूह तैयार कर लिए जाएं, तो वनों के संरक्षण का काम प्रभावी ढ़ग से किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ इसका एक अच्छा उदाहरण है, यहां प्राथमिक वन समितियों के सदस्यों और महिला स्वसहायता समूह वनों और पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस साल छत्तीसगढ़ में वृक्षारोपण अभियान के तहत दस करोड़ पौधे रोपने का लक्ष्य है।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को अध्ययन करते रहने और अनुसंधान के क्षेत्र में कार्य करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि आज नयी सोच के साथ वनों और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम करने की जरुरत है। साल वृक्षों की साल बोरर कीट से रक्षा के लिए अनुसंधान कार्यों को बढावा देने की जरुरत है।  मुख्यमंत्री ने कहा कि वनवासियों को वनोपज के संग्रह जैसे परम्परागत रोजगार के साधनों के साथ-साथ रोजगार के नये अवसरों से जोड़ने की जरुरत है। विशेष रुप से वनवासियों की नई पीढ़ी को शिक्षा और रोजगार के नये अवसरों से जोड़ना होगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ मंे सरगुजा और बस्तर क्षेत्र के बच्चों को कोचिंग देकर प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार किया गया। इनमें से बहुत से बच्चे आई.आई.टी, एनआईटी, मेडिकल और इंजीनियरिंग कालेज जैसे उच्च शिक्षा संस्थानों में पढ़ाई कर रहे हैं। जब ये बच्चे शिक्षा पूरी करके अपने क्षेत्र में लौटेगें, तो इससे क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन आएगा। कई बच्चों का चयन यूपीएससी में भी हुआ है। आईआईटी में मनरेगा मजदूर और तेंदूपत्ता तोड़ने वाले परिवारों के बच्चों का चयन हुआ है। मुख्यमंत्री ने बताया कि बस्तर में हजारों एकड़ में काजू का प्लांटेशन किया गया है। मक्के और फूलों की खेती को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed