दर्द रहित दाग–धब्बों की पहचान के प्रति जागरुकता से गांव होगा कुष्ठ मुक्त
शरीर में विकृति आने से पहले करा लें कुष्ठ रोग की जांच व इलाज
दुर्ग, 10 दिसंबर 2020। कुष्ठ मुक्त जिला बनाने के संकल्प को लेकर मेरा ग्राम –कुष्ठ मुक्त ग्राम बनाने के लिए विशेष कुष्ठ रोगी खोज अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के अंतर्गत पाटन ब्लॉक में 7 दिसंबर से ग्राम पंचायत स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है। जिसमें मेरा ग्राम कुष्ठ मुक्त बनाने को लेकर सरपंच, मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता, प्रभावशाली व्यक्तियों एवं स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को कुष्ठ रोग को पहचानने की जानकारी दी जा रही है। प्रशिक्षण के बाद मितानिन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कुष्ठ रोगियों को खोजने के लिए घर-घर दस्तक देंगे।
इस विशेष कुष्ठ मुक्त अभियान मेरा ग्राम कुष्ठ मुक्त ग्राम में सभी ग्रामीण नागरिकों जनप्रतिनिधियों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं का पूरा सहयोग लेने के लिए उनको भी प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रशिक्षण पूरा होने के पश्चात मितानिन एवं आंगनबाड़ी घर-घर जाकर कुष्ठ रोगियों की पहचान करेंगी। प्रशिक्षण की शुरुआत पाटन ब्लॉक के अमलेश्वर गाँव से की गयी है। प्रत्येक दिन 9 ग्राम पंचायतों में एनएमएस द्वारा प्रशिक्षण देकर कुष्ठ रोग के लक्षणों की पहचान करने का कार्य प्रारंभ किया जाएगा।
अभियान के अंतर्गत स्वास्थ्य कार्यकर्ता कुष्ठ रोग से संबंधित लक्षणों को बताएंगे एवं एक कार्ड भी प्रत्येक परिवार को दिया जाएगा। यह कार्ड 3 दिनों तक प्रत्येक परिवार स्वयं के पास रखेगा और संबंधित जानकारी इस कार्ड के माध्यम से देगा। चिहांकित व्यक्ति की पहचान होने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम स्क्रीनिंग करेगी और कुष्ठ रोगी का सत्यापन कराकर दवाई उपलब्ध कराई जायेगी। आज पाटन ब्लॉक के ग्राम तर्रा, लोहर्सी, रवेली, फुंडा, असनारा, देमार, कसही, देवादा व पंदर ग्राम में सरपंच, पंच, मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एनएसएस, स्वसहायता समूह की महिला, महिला मंडली को प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इस दौरान ग्राम रवेली की महिला सरपंच श्रीमती पुष्पा वर्मा सहित पंचों ने ट्रेनिंग में गांव को कुष्ठ मुक्त बनाने का संकल्प लिया।
बीएमओ डॉ आशीष शर्मा ने बताया, “इस प्रशिक्षण में सेवानिवृत्त एनएमएस एसडी बंजारे, सीएल बंजारे, एनएमए में सीएल मैत्री, र्स्वणकार, टीआर साहू, अजय रावत, महेश साहू, जीएल महेश्वरी , केपी पांडेय सहित पूरे ब्लॉक के एनएमए उपस्थित रहे। इस अभियान में पाटन ब्लॉक के 495 मितानिन, 23 मितानिन ट्रेनर, आंगनबाड़ी के 525 कार्यकर्ता और दो बीआरपी को शामिल किया गया है जोकि घर-घर सर्वे का करेंगे। प्रत्येक दल में एक महिला एवं पुरुष को शामिल किया गया है।मेरा ग्राम कुष्ठ मुक्त ग्राम में बढ चढकर हिस्सा लेने के लिए गांव के प्रत्येक जनप्रतिनिधि ग्राम पंचायतों का सहयोग लिया जाएगा”।
बीएमओ डॉ. शर्मा ने बताया, “पाटन ब्लॉक में वर्तमान में पीबी के 10 और एमबी के 35 सहित कुल 45 मरीज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के माध्यम से निशुल्क उपचार करा रहे हैं। उन्होंने बताया , ब्लॉक के कुल 146 ग्रामों में कुष्ठ प्रभावित में 12 गांव अति संवेदनशील, 74 गांव संवेदनशील और 60 गांव सामान्य हैं”।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ गंभीर सिंह ठाकुर ने बताया, “कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर भूर्रे ने जिले को कुष्ठ मुक्त बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ने लोगों से अपील की है। इसके लिए हम कुष्ठ रोगियों को खोजने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे। समाज में कुष्ठ प्रभावित व्यक्तियों के साथ भेदभाव को समाप्त कर समाज की मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जाएगा। डॉ. सिंह ने बताया, अंधविश्ववास व अज्ञानता की वजह से लोगों में भ्रांति आज भी है। समाज में लंबे समय तक कोढ़ की बीमारी को शाप या भगवान द्वारा दिया गया दंड माना जाता रहा है लेकिन ऐसा है नहीं है। आज के समय में कुष्ठ रोग लाइफस्टाइल और पोषण की कमी से जुड़ी एक समस्या है। कोढ़ की बीमारी उन लोगों पर जल्दी हावी हो जाती है, जिनके शरीर में पोषण की कमी और रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। सीएमएचओ ने बताया, कुष्ठ रोग शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है। यह रोग शरीर में किसी भी तरह का दर्द, खुजली का अहसास नहीं कराता है। इस वजह से इसकी पहचान व दाग धब्बों को लेकर लापरवाही की वजह से इलाज नहीं कराने पर 2 से 3 साल बाद शरीर में विकृतियां आ जाती है। इस बीमारी के प्रति जागरुकता ही सबसे बड़ा बचाव है”।