भारत ने अपने द्वीपों- अंडमान एवं निकोबार और लक्षद्वीप को हरित ऊर्जा आधारित बनाने का लक्ष्य रखा है : आर. के. सिंह
नई दिल्ली : केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और विद्युत मंत्री आर के सिंह ने आज द्वीपीय देश मालदीव को उसकी नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) परियोजनाओं को बढ़ावा देने के प्रयासों में पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया। तीसरे ग्लोबल री-इनवेस्ट में मालदीव के देशीय सत्र में श्री सिंह ने कहा कि भारत ने भी अपने द्वीपों को पूर्ण रूप से हरित ऊर्जा पर आधारित बनाने को प्राथमिकता दी है। ऊर्जा मंत्री ने आगे कहा कि हमने अपने द्वीपों (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप) को पूरी तरह हरित ऊर्जा पर आधारित बनने का लक्ष्य दिया है, इसका मतलब है कि इनकी ऊर्जा की सारी जरूरतें नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से पूरी होनी चाहिए।
उन्होंने दोहराया कि भारत उन चुनिंदा देशों में से एक है, जिसने जलवायु परिवर्तन को 2 प्रतिशत के भीतर रखने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा किया है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने लगभग 1,36,000 मेगावॉट की आरई उत्पादन क्षमता स्थापित की है, जिसके साथ 57,000 मेगावॉट अतिरिक्त क्षमता तैयार की जा रही है।
श्री सिंह ने यह भी बताया कि भारत के पास ऊर्जा के कुशलतापूर्ण इस्तेमाल का एक ठोस कार्यक्रम है, जिसके तहत 11 मिलियन (110 लाख) से अधिक एलईडी स्ट्रीट लाइट को लगाया गया है। उन्होंने आगे कहा, “आपको ऐसा कोई बल्ब खोजने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ेगी, जो कि एलईडी नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि अधिक से अधिक हरित ऊर्जा संसाधनों को जोड़कर कार्बन डाई ऑक्साइड (सीओ2) उत्सर्जन घटाना उच्चतर प्राथमिकता है। उन्होंने आगे कहा कि एक खूबसूरत देश होने के नाते मालदीव को एक आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में अपनी सुंदरता को बचाने और बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, इसलिए यह बेहद जरूरी है कि मालदीव में नवीकरणीय ऊर्जा को केंद्रीय महत्व दिया जाए।
भारतीय आरई क्षेत्र में खुली बोली और खुली प्रतिस्पर्धा के माध्यम से क्षमता विस्तार के बारे में, श्री सिंह ने कहा कि हमें निवेश नहीं करना पड़ा है, आगे कहा कि निवेश पूरी दुनिया से आया है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे पास एक पूरा तंत्र है, समस्याओं को सुलझाने की एक व्यवस्था है, आरई मंत्रालय के एक समूह है, जिसके मध्यम से परियोजनाओं को लागू करने की बाधाओं को दूर किया जाता है, भुगतान की सुरक्षा है और अगर कहीं पर समझौते को लेकर कोई विवाद आता है तो उस पर फैसला करने के लिए पृथक/तटस्थ संस्था भी है। उन्होंने कहा कि इन सभी ने मदद की है। मंत्री ने आगे कहा कि हमारे लिए पर्यावरण आस्था का विषय है। उन्होंने कहा, “इसलिए हम अपना कार्बन उत्सर्जन (कार्बन फुटप्रिंट) घटाने के लिए कदम उठा रहे हैं।”
श्री सिंह ने कहा कि अब हमारा लक्ष्य 2030 तक 450 गीगावॉट या 4,50,000 मेगावॉट आरई क्षमता हासिल करना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा सिर्फ द्वीपीय देशों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए है। सभी लोगों में यह अहसास होना चाहिए कि अपनी धरती को बचाने के लिए हमें अपना कार्बन फुटप्रिंट घटाने की जरूरत है। उन्होंने इस बात पर पूरी सहमति दिखाई कि द्वीपीय देशों/क्षेत्रों को ग्लोबल वार्मिंग से सबसे ज्यादा खतरा है।
वहीं, कार्यक्रम में मालदीव सरकार के मंत्री हुसैन रशीद हसन (एमई) ने तेल आयात पर निर्भरता घटाने की अपनी जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने अपने द्वीपीय देश के लिए नवीकरणीय ऊर्जा के महत्व को स्वीकारा, जो प्रतिकूल जलवायु परिवर्तनों के तौर पर एक बड़े खतरे का सामना करता है। उन्होंने आरई को प्रोत्साहित करने के लिए निवेशकों के अनुकूल लाए गए उपायों/नीतियों के बारे में विस्तार से बताया।
वर्ष 2013 से, मालदीव सरकार पूरी सक्रियता से नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्यों का पीछा कर रही है जो उसकी पारिस्थितिकी के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। मालदीव ऊर्जा नीति और रणनीति-2016 (“ऊर्जा नीति 2016”), जो देश में नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहित और अपनी नौ प्रमुख नीतियों में से एक नीति के रूप में निजी क्षेत्र नवीकरणीय ऊर्जा विकास को उत्साहित करना चाहती है, के साथ शुरू करते हुए, सारे उपायों से लेकर हालिया नेशनल स्ट्रेटजिक एक्शन प्लान फॉर द मालदीव (2019-2023) (एसएपी) तक, जिसमें 2023 तक नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा 20 प्रतिशत तक बढ़ाने के लक्ष्य के साथ स्वच्छ ऊर्जा का एक विशिष्ट स्तंभ शामिल है।
पूरे मालदीव में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के अपार अवसर हैं, जो कि सालाना लाखों डॉलर की बचत करके सरकार को बजटीय राहत दे सकते हैं, जिसका अभी डीजल आयात और सब्सिडी देने में इस्तेमाल होता है। विश्व बैंक के एक्सेलेरेटिंग सस्टेनेबल प्राइवेट इंवेस्टमेंट इन रिन्यूअल एनर्जी (एएसपीआईआरई) परियोजना के तहत 5 मेगावॉट पीपीए (लोक-निजी भागीदारी) पर हस्ताक्षर मालदीव के नवीकरणीय ऊर्जा के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण है। यह परियोजना विस्तार के मामले में मालदीव के लिए अपनी तरह की पहली परियोजना है और इसने 10.9 सेंट अमेरिकी डॉलर का टैरिफ हासिल किया है। यह मालदीव जैसे छोटे द्वीप विकासशील देशों (एसआईडीएस) के लिए सबसे कम टैरिफ में से एक है और आरई लक्ष्य पाने के उनके प्रयासों में आगे बढ़ने में मददगार है।
पहल करते हुए, विश्व बैंक आगामी एक्सेलेरेटिंग रिन्यूअल एनर्जी इंटेग्रेशन एंड सस्टेनेबल एनर्जी (एआरआईएसई) परियोजना के जरिए मालदीव सरकार के साथ घनिष्ठिता के साथ काम कर रहा है ताकि उसका जीवाश्म ईंधन मुक्त भविष्य का सपना हो सके।