लोकतंत्र में एक असैन्य नेता या नागरिक को सेना की वर्दी पहनने का कोई हक नहीं है
रायपुर।कांग्रेस विधायक व संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दीवाली पर सेना की पोशाक पहनने पर कहा, सैनिकों के साथ अपना लगाव दिखाने के लिए प्रतीकात्मक कैप या जैकेट पहनने तक तो ठीक है, लेकिन पूरी यूनिफॉर्म? यूनिफॉर्म पर लगने वाले निशान और तमगे कभी भी पीएम, रक्षा मंत्री या यहां तक कि सेनाओं के कमांडर इन चीफ राष्ट्रपति तक के लिए डिजाइन नहीं किए गए हैं। ऐसे में देश के प्रधानमंत्री को स्पष्ट करना चाहिए कि ऐसा कौन सा कानून आर्म्ड फोर्सेस या पैरा मिलिटरी फोर्सेज की यूनिफॉर्म पहनने की इजाजत देता है, जो वे ऐसा कर अपने भक्तों को खुश करने लगे हैं।
विकास उपाध्याय ने प्रधानमंत्री मोदी के सेना की पोशाक के साथ वायरल तस्वीरों पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है और कहा है, एक लोकतंत्र में क्या एक असैन्य नेता या नागरिक को सेना की वर्दी पहनने का हक है? विकास उपाध्याय ने कहा इससे यह भी सवाल उठता है कि लोकतंत्र में असैन्य नेतृत्व का याने मोदी का फौज की यूनिफॉर्म पहनना कितना उचित है? इस पर बहस होनी चाहिए। उन्होंने आगे प्रधानमंत्री मोदी के इस हरकत पर तंज कसते हुए कहा,उन्हें यह नहीं पता कि यूनिफॉर्म हासिल करने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है। वे केवल अपने भक्तों को खुश करने और अलग-अलग पोशाकों में मॉडलिंग करने की अपनी बचपन की इच्छाओं को संतुष्ट करने में लगे हुए हैं। कभी चाय वाला तो कभी वोट की राजनीति के लिए जातीय विशेष के हिसाब से अपनी जाति तक बदल डालते हैं।
विकास उपाध्याय ने आगे कहा, प्रधानमंत्री मोदी गजब की शूरवीरता दिखा रहे हैं,पंगा तो चीन से चल रहा है पर आसाराम के वेश में मोदी नाच पाकिस्तान बॉर्डर राजस्थान के जैसलमेर के लोंगेवाला पोस्ट पर रहे हैं। उन्होंने व्यंग्य करते हुए ये भी कहा,ऐसा तो नहीं कि सेना के पोशाक में मोदी पाकिस्तान को गुप्त तरीका से सबक सिखा कर आ गए हों। ऐसा है तो इस सर्जिकल स्ट्राइक को भी सार्वजनिक कर ही देना चाहिए।