साधना शक्ति का पर्व शारदीय नवरात्रि कल से आरम्भ।
सभी मुख्य द्वार पर रंगोली बनाए जाएंगे,
मनोकामना ज्योति कलश मंदिरों सहित घरों प्रज्वलित करेंगे , भक्तगण ध्यान, साधना के साथ उपवास-व्रत रखेंगे
नवरात्र के प्रतिदिन छोटी बालिका की श्रृंगार करके पूजन करें -पं. चंद्र प्रकाश जी
बलौदाबाजार/रावन – नवरात्रि आज से शुरू हो गया है, शारदीय नवरात्र घट स्थापना समय 11:36 बजे से 12:24 तक है।यह साधना एवं शक्ति का पर्व है। वैसे तो माता जी का प्रेम अपनी संतानों पर सदा ही बरसता है। पर कभी-कभी अत्यधिक प्रेम छलक पड़ता है। तब वह अपनी संतानों को सीने पर लगाकर अपने प्यार का अहसास कराती है। संरक्षण का आश्वासन देती है। नवरात्रि की समयाविधि आद्यशक्ति की स्नेह व्यक्ति का एक ऐसा विशिष्ट काल है यही शक्ति विश्व के कण-कण में विद्यमान है। सभी शास्त्रकारो बड़े-बड़े मनिषियों ने एकमत होकर नवरात्र की महिमा का गुणगान किया है। नवरात्रि के पावन पर्व पर देवता वरदान देने के लिए स्वयं लालायित रहते हैं। नवरात्रि की बेला शक्ति आराधना की पुण्य बेला है ।हम चाहे या न चाहे परिवर्तन तो होना ही है।
*सृष्टि संचालनी जगत कल्याण के लिए कटिबद्ध
- सृष्टि की संचालनी शक्ति इस विश्व संपूर्ण जगत के कल्याण के लिए कटिबद्ध है। नवरात्रि में प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के साथ माता जी के ज्वारे भी बोये जाते हैं ,मिट्टी के कलश में ज्वारे बोने की परंपरा प्राय:सभी जगह होती है।
नवरात्रि के समापन पर इन्हें प्रवाहित कर दिया जाता है । ज्वारे के बढ़ने पर मां भगवती की कृपा मिलती है। ऐसा कहा जाता है , जहां ज्वारे तेजी से बढ़ते हैं वहां माता रानी की विशेष आशीर्वाद मिलता है और सुख-समृद्धि आती है ।ज्वारे को सही मुहूर्त में माता की चौकी के पास ही बोनी चाहिए इस बात की ध्यान रहे कि ज्वारे को दक्षिण दिशा में नहीं रखें।
श्री रामलीला का मंचन भी नहीं होगा। सादगी पूर्ण मनाएंगे नवरात्रि का पर्व।
यही नवरात्रि का संदेश है अष्टमी 24 को दशहरा का पर्व 26 को है।इस बार पुष्य नक्षत्र 7 नवंबर को पड़ रहा है ।जो हरेक शुभ कार्यों व खरीदी के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।