मोदी सरकार किसान विरोधी सरकार है : के .के .वर्मा
अर्जुनी – आत्म निर्भर भारत अभियान की आड़ में भारत की आत्मा कहे जाने वाले किसानों को कैसे मारा जा रहा है इसका ताजा उदाहरण आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम का लोकसभा में पारित हो जाना है भाजपा सरकार अपने बहुमत के बूते लगातार किसान विरोधी एवं मनमाने फैसले ले रही है संसद के मानसून सत्र में विपक्ष के और कुछ सहयोगी दलों के विरोध के बावजूद मोदी सरकार ने आवश्यक वस्तु संशोधन बिल को पारित कराकर एवं किसानों द्वारा तपती धूप एवं भरी बरसात में उत्पादित अनाज दलहन तिलहन खाद्य तेल प्याज आलू आदि तमाम वस्तुओं को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाने का प्रावधान कर यह साबित कर दिया कि मोदी सरकार किसान विरोधी सरकार है उक्त विचार राहुल गांधी विचार मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं प्रदेश प्रभारी छत्तीसगढ़ एवं किसान नेता केके वर्मा ने कही!
वर्मा ने आगे कहा इसके अलावा सरकार ने किसानों से जुड़े दो और फैसले लिए हैं पहला कृषि उत्पादन और वाणिज्य अध्यादेश 2020 लाया गया है! जिसमें प्रावधान है कि किसान अपनी फसल कृषि उपज मंडियों के बाहर भी व्यापारियों को बेच सकता है और दूसरा अनुबंध आधारित खेती को कानूनी वैधता देना है यह फैसले भी किसानों के हितों पर गहरा आघात करने वाले प्रावधान है लेकिन मोदी सरकार निवेशकों व्यापारियों एवं उद्योग पतियों के हितों को ध्यान में रखकर उन्हें लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से इन्हें लागू करने पर अड़ी हुई है!
उक्त बातों को लेकर वर्मा ने कहा कि मोदी सरकार देश के किसानों को मजदूर बनाने का कार्य कर रही है क्योंकि यह ऐसा काला कानून है की मंडियों से बाहर खरीदी बिक्री की व्यवस्था करने का मतलब है कि किसानों को व्यापारियों के रहमों करम पर जीना पड़ेगा अब तक तो कृषि उपज मंडियों में किसानों को एमएसपी के आसपास फसल के दाम मिल जाया करते थे लेकिन अब यह कानून के अंतर्गत व्यापारी किसानों से मनमानी ढंग से किसी भी कीमत पर फसल खरीद कर उनको भंडारण कर देश के किसी भी हिस्से में मनमानी कीमत पर बेचने का प्रावधान किया गया है किसान नेता केके वर्मा ने आगे कहा कि मोदी सरकार नए विधायकों के कानून बनाकर इस देश के किसानों को उद्योगपतियों का गुलाम बनाने का कार्य कर रही है श्री वर्मा ने बताया कि इस कानून से बड़े व्यापारियों एवं उद्योगपतियों को पूरी छूट होगी कि वे मनमाने ढंग से किसानों से अपनी फसल खरीद सकेंगे उसे जमा कर सकेंगे इससे खुलकर जमाखोरी कर सकेंगे और जितनी मर्जी हो उतने कीमतों पर बेच सकेंगे दूसरे शब्दों में कहें तो जरूरी खाद्यान्नों की खरीद पर सरकार का जो नियंत्रण अभी है वह समाप्त हो जाएगा और खेती की कमान उद्योगपतियों के हाथों में आ जाएगी और किसानों को मिलने वाले समर्थन मूल्य और सब्सिडी की सुविधा भी किसानों के लिए नहीं होगी ! ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा अच्छे दिनों की सब्ज बाग दिखा कर सत्ता हथियाने वाले सरकार को चुनौती देते हुए कहा की जिस प्रकार पंजाब हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों द्वारा इस काला कानून के खिलाफ उग्र आंदोलन किया जा रहा है उससे भी उग्र आंदोलन छत्तीसगढ़ में होने की चेतावनी दी !