बिहार : सभी गांवों को ओएफसी इंटरनेट से जोड़ने वाला भारत का पहला राज्य होगा बिहार
नई दिल्ली / पटना : हाल में 15 अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं के साथ 1,000 दिन के भीतर सभी 6 लाख (वर्तमान जीपी स्तर से) से ज्यादा गांवों तक कनेक्टिविटी पहुंचाई जानी है। इस लक्ष्य की दिशा में पहले कदम के रूप में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने तेज गति वाली इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराने के लिए बिहार के सभी 45,945 गांवों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने को 21.09.2020 को “हर गांव में ऑप्टिकल फाइबर द्वारा इंटरनेट सुविधा” योजना का शुभारम्भ किया है। इससे राज्य के दूरदराज के कोनों तक डिजिटल क्रांति सक्षम हो जाएगी।
प्रधानमंत्री ने इस दिन को न सिर्फ बिहार के लिए बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक बताया, क्योंकि सरकार अपने गांवों को आत्मनिर्भर भारत का मुख्य आधार बनाने की दिशा में प्रमुख कदम उठा रही है और इसकी शुरुआत आज बिहार से हो रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि डिजिटल लेनदेन के मामले में भारत दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है। केवल अगस्त 2020 में यूपीआई के माध्यम से लगभग 3 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन किया गया है। इंटरनेट की उपयोगिता को बढ़ावा देने के साथ-साथ अब यह भी आवश्यक हो गया है कि देश के गांवों में अच्छी गुणवत्ता वाली और हाई स्पीड वाली इंटरनेट सुविधाएं उपलब्ध हो।
प्रधानमंत्री ने तीव्र कनेक्टिविटी के माध्यम से प्राप्त होने वाले लाभों के संदर्भ में बात करते हुए कहा कि यह छात्रों को सर्वोत्तम पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराने के साथ-साथ टेली-मेडिसिन तक पहुंच और बीजों के बारे में जानकारी प्रदान करने के अलावा किसानों को मौसम की स्थिति से संबंधित वास्तविक समय का आंकड़ा प्रदान करने के अलावा नई तकनीक से युक्त राष्ट्रव्यापी बाजारों को भी उपलब्ध कराएगा। उन्होंने कहा कि किसान आसानी से अपने उत्पादों को पूरे देश और दुनिया में परिवहन कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार का उद्देश्य देश के ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाएं उपलब्ध करना है।
इस परियोजना को सीएससी एसपीवी के माध्यम से 180 दिनों की अल्प अवधि में 1,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से लागू किया जाएगा और 31.03.2021 तक पूरा कर लिया जाएगा, जिसमें चिन्हित किए गए सरकारी संस्थानों को एक वर्ष के लिए 1 वाई-फाई और 5 एफटीटीएच कनेक्शन मुफ्त प्रदान किए जाएंगे। बिहार के प्राथमिक विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्र, आशा कार्यकर्ता और जीविका दीदी आदि और प्रत्येक गांव के सार्वजनिक स्थल पर एक वाई-फाई प्रदान किए जाएंगे। इसके 640 करोड़ रुपये की पूंजीगत खर्च का वहन भारत सरकार के दूरसंचार विभाग द्वारा किया जाएगा।
केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रधानमंत्री को बिहार के कई क्षेत्रों में विकास की विभिन्न योजनाएं समर्पित करने के लिए धन्यवाद दिया, जो राज्य के लिए अभूतपूर्व है। श्री प्रसाद ने इस बात पर भी जोर दिया कि सीएससी विशेष रूप से बिहार में डिजिटल सुविधाएं पहुंचाने की भूमिका निभा रहा है।
केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह मेरे लिए बेहद गर्व का विषय है कि बिहार भारत का पहला राज्य होगा जो सभी गांवों को ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क इंटरनेट से जोड़ेगा।
इस परियोजना को दूरसंचार विभाग के संयुक्त प्रयासों से निष्पादित किया जाएगा, जो पहले हीइलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और सार्वजनिक सेवा केन्द्रों के साथ पूरे भारत में 1.5 लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर इंटरनेट सेवा से जोड़ चुका है।
सीएससी के पूरे बिहार राज्य में 34,821 केन्द्र हैं। वे श्रमिकों की संख्या को न केवल इस परियोजना को लागू करने के लिए उपयोग करेंगे, बल्कि बिहार के हर गांव में साधारण नागरिकों को ऑप्टिकल फाइबर इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने के लिए इसे व्यावसायिक तरीके से चलाएंगे।
बिहार के राज्यपाल, मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री तथा अन्य केन्द्रीय मंत्रियों के साथ-साथ अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस उद्घाटन समारोह में हिस्सा लेंगे।
प्रधानमंत्री द्वारा घोषित डिजिटल ग्राम के सपनों को प्राप्त करने के लिए ऑप्टिकल फाइबर विलेज कनेक्टिविटी परियोजना दूरसंचार विभाग ने शुरू की है। इसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक विशेष कार्यक्रम, सामान्य सेवा केंद्र ई-गवर्नेंस सर्विसेज लिमिटेड द्वारा लागू किया जाएगा। इस परियोजना का उद्देश्य बिहार के प्रत्येक गाँव में एरियल ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करना है। इसके ज़रिये बिहार के प्रत्येक गाँव में कम से कम 5 फाइबर टू द होम (एफटीटीएच) कनेक्शन और 1 सार्वजनिक वाई-फाई केंद्र स्थापित किया जाएगा। इन कनेक्शनों को एक साल के लिए मुफ्त बैंडविड्थ भी दिया जाएगा।
ऑप्टिकल फाइबर विलेज कनेक्टिविटी परियोजना का उद्देश्य सभी गांवों को डिजिटल गांवों में बदलना, डिजिटल सशक्तीकरण, डिजिटल जागरूकता को बढ़ाना, डिजिटल खाई को पाटना और प्रत्येक ग्रामवासी के द्वार पर सभी डिजिटल सुविधाएं उपलब्ध करना है। यह ग्रामीण जनता के लिए समावेशी सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा भी देगा।