कोविड-19 के संक्रमण काल में समावेशी शिक्षा के लिए चलाये जा रहे कई कार्यक्रम
यूनिसेफ के सहयोग से चलाया जा रहा सीख कार्यक्रम
केबल कनेक्शन अब बना पढ़ाई का जरिया
वॉलिंटियर प्रदान कर रहे मनोरंजन पूर्ण शिक्षा
रायपुर, कोरोना संक्रमण के दौर में बच्चों की पढ़ाई में कोई बाधा न आये इसलिए छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा पढ़ई तुंहर दुवार के माध्यम से शिक्षा प्रदान किया जा रहा है। ऑनलाईन क्लासेस का लाभ सभी बच्चों तक नहीं मिल पा रहा था। इसके विकल्प के रूप में मोहल्ला क्लास और यूनिसेफ के सहयोग से सीख कार्यक्रम भी लागू किया गया है। इसके अलावा केबल कनेक्शन के माध्यम से भी शिक्षा प्रदान किया जा रहा है। इसके लिए कक्षा की रिकार्डिंग कर उसका प्रसारण कराया जा रहा है। इसका लाभ क्षेत्र के ज्यादातर बच्चों को सुगमता के साथ मिल रहा है।
प्रदेश के विभिन्न जिलों के चुनिंदा जगहों में सीख कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चो को मजेदार और रोचक ढंग से सीखने के लिए अवसर उपलब्ध कराना है। सीख कार्यक्रम के तहत प्रत्येक सप्ताह शाला स्तर पर बनाये गए व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से शिक्षक पालको को संदेश भेजेतेे हैं। इसमे सरल गतिविधियां द्वारा भाषा, विज्ञान एवं खेल की शिक्षा प्रदान की जाती है। प्राथमिक स्कूलों के छोटे बच्चों को घर पर ही उनके पालकों के फोन पर मजेदार चित्रों वाली कहानियों के विडियो क्लिप्स तथा ऑडियो के माध्यम से सिखाने का कार्य भी किया जा रहा है।
कुछ क्षेत्रों में स्थानीय बेरोजगारों को वालिंटियर के रूप में तो कहीं उच्च कक्षा में पढ़ने वाले छात्र, महाविद्यालयीन विद्यार्थी, गांव के शिक्षित युवक व पालकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सफाई कर्मचारी, सेवानिवृत्त कर्मचारी, स्थानीय शिक्षक, पंचायत प्रतिनिधियों की सेवाएं ली जा रही हैं। इस कार्यक्रम के तहत् वॉलिंटियर बच्चों के बीच जाकर उन्हे मनोरंजन के साथ अध्यापन कार्य करा रहे हैं। स्मार्ट फोन उपलब्ध नहीं हो पाने की स्थिति में सीख किट उपलब्ध कराई जा रही है जिसमें पुस्तक, चार्ट पेपर, लपेट श्यामपट, कॉपी, पेन सहित अन्य शिक्षण सामग्री शामिल है।
इसका संचालन स्कूलों की बजाय गांव में स्थित सामुदायिक भवन, मंगल भवन, बाजार चौक, छायादार सुरक्षित स्थान एवं निजी घरों में उपलब्ध बड़े आंगन अथवा पारिवारिक सदस्यों के साथ पालक अपने घरों में ही कर रहे हैं। इन कार्यक्रमांे का मुख्य उद्देश्य इस संक्रमण काल में घरों में बंद बच्चों को बाहर निकलकर सीखने के अवसर के रूप में शारीरिक, मानसिक एवं मनोसामाजिक गुणों, दक्षता का विकास करना है। आज के वक्त में पढ़ाई से ज्यादा जरूरी है बच्चों का लर्निंग आउटकम। कार्यक्रमों में कोविड 19 से सुरक्षा नियमों का पालन भी किया जा रहा है।