रमन सरकार में आदिवासियों के हितों के खिलाफ रची गई साजिश और कारनामों के उजागर होने से भाजपा घबरा रही
रायपुर । शिशुपाल शोरी, संसदीय सचिव एवं विधायक कांकेर ने कहा है कि आदिवासी समाज में समाप्त हो रही साख को बचाने के लिए भाजपा के नेता भू राजस्व संहिता की धारा 165 की उप धारा 6 के विलोपन की झूठी अफ़वाह उड़ाकर भ्रम पैदा करने की कौशिश कर रहे है जबकि कांग्रेस सरकार इस धारा को मजबूती देेेकर अधिक से अधिक जनजाति समाज के हितों के अनुरूप काम कर रही है।
शिशुपाल शोरी, संसदीय सचिव एवं विधायक कांकेर ने कहा है कि राज्य निर्माण के पश्चात अभी तक कितने आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों के पक्ष में अंतरित हुए है, जमीन अंतरण के कारण जनजाति समाज के आर्थिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों पर क्या प्रभाव पड़ा है भविष्य में कोई भी राजनीतिक पार्टी आदिवासी हितों के विपरीत भू राजस्व संहिता में संशोधन न कर सके, इसलिए प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी के द्वारा उप समिति गठित कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का फैसला आदिवासी समाज के हित में लिया गया है।
शिशुपाल शोरी, संसदीय सचिव एवं विधायक कांकेर ने कहा है कि आदिवासियों को लेकर घड़ियाली आंसू बहाने वाले भाजपा की सरकार यदि चाहती तो अपने 15 साल के कार्यकाल में आदिवासियों के पक्ष में मजबूत विधेयक ला सकती थी किन्तु भाजपा को आदिवासियों के हित की नही बड़े-बड़े उद्योगपतियों के हितों की चिन्ता थी । भाजपा को तो उद्योगपतियों को आदिवासियों की जमीन तश्तरी में रखकर उपलब्ध कराने की जल्दबाजी थी । भाजपा ने 15 साल के कार्यकाल में हजारों एकड़ जमीन आदिवासियों से छिन कर उद्योगपतियों को उपलब्ध करायी गयी। इन सबकी जांच हो यह भाजपा नहीं चाहती । आदिवासी सलाहकार परिषद, उप समिति का गठन करे, उप समिति के प्रतिवेदन आने पर भाजपा कार्यकाल एवं उनके नुमाईंदो की पोल खुलने का डर है। कांग्रेस की सरकार संकल्पित है कि आदिवासी के संवैधानिक एवं कानूनी अधिकारों को ना केवल मजबूत बनाया जायेगा बल्कि उनके क्रियान्वयन के लिए सुगम एवं पारदर्शीे नियम भी बनाये जायेंगे। इसी कड़ी में उप समिति का गठन किया गया है
कांग्रेस की सरकार हमेशा आदिवासियों के संवैधानिक रक्षा के लिए लड़ती आयी है, यही कारण है कि 2018 चुनाव के जनघोषणा पत्र में संविधान की पांचवी अनुसूची एवं पेसा कानून एवं आदिवासी के अन्य संवैधानिक अधिकारों को लागू करने की बात रखी गई है। जब से भूपेश बघेल जी मुख्यमंत्री के रूप में छ.ग. की बागडोर संभाले है तब से आदिवासियों के हितों में अनेक फैसले लिये गये है
लौहण्डीगुड़ा में टाटा उद्योग समूह को सौपी गई जमीन मूल आदिवासी को वापस करना
आदिवासी के संस्कृृति के संरक्षण हेतु आदिवासी महोत्सव का आयोजन
आदिवासियों के अधिकारों का खुले मंच पर चर्चा परिचर्चा
विश्व आदिवासी दिवस को सार्वजनिक अवकाश
वन अधिकार कानून 2006 का सफल क्रियान्वयन
तेंदूपत्ता तोड़ने की दर 2500 प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर ₹4000 प्रति मानक बोरा करना
लघु वनोपज की देश में सबसे अधिक रिकार्ड खरीद
भाजपा के कुछ नेताओं के द्वारा अनर्गल प्रलाप कर आदिवासी समाज को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है, जो न केवल निंदनीय है बल्कि शांति प्रिय आदिवासी समाज को गुमराह करने का प्रयास भी हैै। भाजपा की सरकार ने छत्तीसगढ़ में लगातार 15 वर्षों तक आदिवासी समाज के हकों और हितों के साथ साथ संवैधानिक अधिकारों को अनदेखा करती रही है। रमनसिंह के शासन काल में वर्ष 2012 में गोंड़वाना भवन में हजारों आदिवासियों पर बर्बरतापूर्वक लाठी चार्ज किया गया एवं प्रदेश के शीर्ष आदिवासी नेताओं को जेल भेज दिया गया था। वर्ष 2017 में छ.ग. भू राजस्व संहिता की धारा 165 की उप धारा 6 में संशोधन का प्रस्ताव कैबिनेट के माध्यम से पारित किया गया था एवं आदिवासियों की जमीन सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए आपसी सहमति से विक्रय की प्रावधान का संशोधन लाया गया था जिस पर कांग्रेस पार्टी एवं जनजाति समुदाय के तीव्र विरोध के कारण महामहिम राज्यपाल के दखल से वापिस लिया गया था।
शिशुपाल शोरी, संसदीय सचिव एवं विधायक कांकेर के द्वारा छत्तीसगढ़ जनजाति सलाहकार परिषद की बैठक दिनंाक-07 सितम्बर 2020 के एजेन्डा क्रं. 03 जिसके तहत छ.ग. भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 165 की उप धारा 6 (क) से (च) को विलोपित किये जाने के संबंध में विचार हेतु परिषद के समक्ष रखा गया था जिसे माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा इस संशोधन से अनुसूचित जनजाति समुदाय पर पड़ने वाले प्रभावों के अध्ययन करने एवं इस धारा को और प्रभावी बनाने के लिए क्या उपाय किये जा सकते है के संबंध में जनजाति समाज के छः सदस्यी विधायकों की उप समिति बनाये जाने के निर्देश दिये गये है