छत्तीसगढ़ सरकार के नवाचार दे रहे लोगों को शिक्षा और रोजगार
रायपुर, 29 अगस्त 2020/ राज्य सरकार की नीतियों में नवा छत्तीगढ़ गढ़ने की प्रतिबद्धता स्पष्ट दिखाई दे रही हैै। शासन अपनी नवाचारी योजनाओं के जरिए राज्य को विकास की दिशा मे आगे बढ़ाने का कार्य कर रही है। गोधन न्याय योजना सरकार की इसी सोच का परिणाम है। जिसमें छत्तीसगढ़ के गांवों के आर्थिक हालात को बेहतर करने के दिशा निर्देश तय किये गये हैं।
शासन द्वारा पारंपरिक त्यौहार हरेली के शुभ अवसर पर शुरू किया गया गोधन न्याय योजना ग्रामोत्थान की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। गोबर खरीदी की इस अनूठी योजना के तहत किसानों एवं पशुपालकों से दो रूपए किलो की दर से गोबर की खरीदी की जा रही है। इसकेे जरिए गौठानों में बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट खाद का निर्माण एवं अन्य उत्पाद तैयार किए जाएंगे। इससे गांव में लोगों को आर्थिक लाभ के साथ ही साथ रोजगार भी प्राप्त होगा। सरकार द्वारा गोबर खरीदने की निर्णय से ग्रामीणों में खुशी का माहौल है। वास्तव में यह गांवो को आत्मनिर्भर बनाने वाली योजना है। इस योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालक गौपालन की ओर प्रोत्साहित होंगे। पशुपालन के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ खेती-किसानी में जैविक खाद के उपयोग को बढ़ाने में भी यह योजना खासी महत्वपूर्ण होगी। जैविक खाद उत्पादन से ग्रामीणों को रोजगार और आजीविका का नया साधन इस योजना से मिलेगा।
गांवों के परंपरागत आर्थिक कार्यों को बढ़ावा देने तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने की विशेष पहल करते हुए सरकार द्वारा सुराजी गांव योजना प्रारंभ की गई थी। इसके माध्यम से राज्य के नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी को बचाने की बात कही गई। इन्हें एक नारा देकर छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी के रुप में पहचान दी गई। शासन द्वारा इनके संरक्षण हेतु हर गांव में विभिन्न योजनाओं के अभिसरण से इनके विकास का कार्य किया जा रहा है।
इसके अंतर्गत गांव में वर्षा जल की रोकथाम के लिए नरवा (नाला) का उपचार कराए जाने के साथ ही पशुओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए गौठानों का निर्माण कराया जा रहा है। गौठानों में पशुधन के रखरखाव एवं उनके चारे-पानी का बेहतर प्रबंध किए जाने के साथ ही महिला स्वसहायता समूह के माध्यम से आय प्राप्ति की विभिन्न गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। गोठानोें में गोधन आसानी से एक़त्र किया जा रहा है। इससे फसलों की सुरक्षा के अलावा गांववासियों को रोजगार भी मिल रहा है। घुरवा कार्यक्रम के तहत गांव में नाडेप एवं वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन की ओर ग्रामीणों का रूझान बढ़ा है। गौठानों में बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट खाद का उत्पादन भी किया जा रहा है। बाड़ी विकास कार्यक्रम से गांव में सब्जी-भाजी के उत्पादन को बढ़ावा मिला है। महिला समूह अब सामूहिक रूप से सब्जी उत्पादन के कार्य से जुड़े हैं।
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रदेश में फसलों और पशुओं को सुरक्षित रखने के लिए रोका-छेका अभियान की शुरूआत की गई। इसके तहत खुले में पशुओं की चराई पर रोक लगाने के साथ ही सड़कों पर घुमने वाले मवेशियों को सुरक्षित रखने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य खरीफ फसलों तथा शहरों के आसपास स्थित फसलों, बाड़ियों, उद्यानों आदि की सुरक्षा मवेशियों से करना है। पशुओं के ‘रोका-छेका‘ से राज्य में बारहमासी खेती को बढ़ावा मिलेगा।
राज्य में कोरोना महामारी के कारण सभी स्कूल बंद है, ऐसे समय मे बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग पढ़ई तुंहर दुआर योजना ले कर आई। इस योजना के माध्यम से बच्चे वर्चुअल क्लास से सुरक्षित अपने घरों में रहते हुए पढ़ाई से जुड़े हुए है। इस योजना के प्रचार-प्रसार के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने अपने अधिकारिक वेब पेज पर हमारे नायक नाम से श्रृंखला भी प्रारंभ की है। हमारे नायक में पूरे राज्य से उन शिक्षक और छात्रों को जगह मिलती है, जिन्होंने पढ़ई तुंहर दुआर योजना में उल्लेखनीय कार्य किया हो।
हाल ही में राज्य सरकार ने पढाई तुहार पारा नामक एक नई छात्र केंद्रित योजना भी प्रारंभ करने की घोषणा की है। यह योजना स्कूली छात्रों को कोरोनो संक्रमण के कारण स्कूलों के बंद होने के दर्मयान अपने क्षेत्रों और गांवों में समुदाय की मदद से अध्ययन करने में सक्षम बनाएगी। एक ब्लूटूथ-आधारित कार्यक्रम ष्ठनसजन ज्ञम ठवसष् को उन दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों को अध्ययन सामग्री प्रदान करने के लिए शुरू किया जा रहा है। जहां इंटरनेट सुविधा उपलब्ध नहीं हैै।
राज्य सरकार द्वारा राज्य के हित में अन्य कई फैसले लिए गए हैं। गढ़कलेवा की शुरुआत हर जिले में कर, राज्य सरकार द्वारा पारंपरिक पाक कला को सहेजने की दिशा में कदम बढाया गया है। शासन के इस निर्णय से राज्य के लोगों को स्व सहायता समूहों की महिलाओं को रोजगार का बेहतर जरिया प्राप्त होगा। राज्य में तेंदुपत्ता पारिश्रमिक की दर 2500 से 4000 प्रति मानक बोरा निर्धारित किया गया है। साथ ही तेंदुपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना के द्वारा राज्य के तेंदुपत्ता संग्राहकों को बीमा सुरक्षा भी प्रदान की गई है। इसके अलावा 7 से बढ़ाकर अब 31 लघु वन उपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही है।