गोधन न्याय योजना से गांवों में उत्साह
ग्रामीणों, पशुपालकों, किसानों और महिला समूहों को होने लगा लाभ
गेड़ई गौठान में जैविक खाद का उत्पादन शुरू
रायपुर 18 अगस्त 2020/ प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना गोधन न्याय योजना के लाभ को देखते हुए गांवों में उत्साह का वातावरण बना है। इसके जरिए ग्रामीणों, पशुपालकों और महिला समूहों को होने वाली अतिरिक्त आमदनी के चलते पशुओं के संरक्षण और संवर्धन का एक अच्छा वातावरण तैयार होने लगा है। पशुओं के चारापानी और उनके देखभाल का बेहतर प्रबंध पशुपालक करने लगे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी से गोधन न्याय योजना को जोड़ देने से यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूत कड़ी बन गई है। गौठानों के संचालन में जुड़े समूह अब गोधन न्याय योजना के माध्यम से गोबर खरीद कर बड़ी मात्रा में वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार करने लगे हैं, जिससे उन्हें रोजगार मिलने के साथ ही अतिरिक्त आमदनी भी होने लगी है। ऐसे गौठान जहां वर्मी खाद का निर्माण नहीं हो रहा था, गोधन न्याय योजना शुरू होते ही वहां भी वर्मी खाद तैयार करने में महिला समूह पूरे उत्साह से जुट गए हैं।
गोधन न्याय योजना का लाभ उठाते हुए जशपुर जिले के मनोरा विकासखंड के ग्राम पंचायत रेमने के गेड़ई गौठान की गांधी स्वसहायता समूह की महिलाएं अब जैविक खाद तैयार करने में जुट गई हैं। गोधन न्याय योजना शुरू होते हुए गांधी महिला समूह की महिलाओं ने गौठान में वर्मी कम्पोस्ट बनाने की तैयारी शुरू कर दी। गेड़ई गौठान में 32.86 क्ंिवटल गोबर की खरीदी पशुपालको से की गई है, जिसका भुगतान जिला प्रशासन के द्वारा किया जा रहा है। पहले गांव के पशुपालक गोबर को अपने बाड़ी में फेंक दिया करते थे, परंतु इस योजना का लाभ उठाकर हर पशुपालक गोबर को गौठान में बेचने लगे हैं। गांधी स्वसहायता समूह की महिलाओं को कृषि विभाग द्वारा जैविक खाद निर्माण के संबंध में प्रशिक्षण भी दिया गया है। गोबर से जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया समूह द्वारा शुरू कर दी गई है।