बच्चों ने मिट्टी से बने नंदी बैल दौड़ाया । जातां, चुकिया खिलौने से खेल से परंपरा को जीवंत कर मनाया त्यौहार

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अर्जुनी/रावन – अंचल में पोला त्यौहार धूमधाम से मनाया गया। कृषि प्रधान प्रदेश छत्तीसगढ़ में भाद्रपद कृष्ण पक्ष अमावस्या को पोला पर्व परंपरागत ढंग से मनाया ।

सुबह से ही बच्चों में उत्साह देखा गया। समृद्धि कृषि के प्रतीक नंदी बैला और जाता चूकिया,पोरा चूल्हा सहित गृहस्थी के प्रतीक इस त्यौहार में नंदी बैल की मूर्ति की पूजा की गई।
बच्चे नंदी बैला की मूर्ति में मिट्टी के पहिया लगाकर चलाऐ और उसको सजाया भी हैं।इसी तरह लड़कियों के खेलने के लिए गृहस्थी के सामान के मिट्टी रूप यथा आटा पीसने का चक्की जांता ,चूल्हा, चौकी अनाज रखने का पात्र पोरा सूपा आदि मिट्टी के खिलौने बनाए गए।और गांव में आज भी लड़कियां उक्त खिलौने से खेलती है, रावन के जनपद सभापति दमयंती वर्मा ने बताया की यह पोला पर्व विशेष तौर पर पोला पाटन (पटकना)मानसिक और शारीरिक दुखों को शब्दों के माध्यम से पोले में भरकर पटकने से दुख नष्ट हो जाता है।पोला पाटन से तीसरा दिन तीज त्यौहार हंसी खुशी के साथ मनाते हैं। सरपंच माधुरी वर्मा ने बताया कि नंदी बैला की मूर्ति की पूजा की परंपरा अच्छे कृषि उपज के लिए की जाती है ,क्योंकि बैल और हल दोनों कृषि के आधार हैं। हालांकि बदलते दौर मशीनीकरण का है, लेकिन धार्मिक परंपराएं और मान्यताएं बदस्तुर अब भी जीवंत है ।

कोरोना के चलते गांव में महिलाओं के खेल फुगडी, खो-खो ,नारियल फेंक और बैल दौड़ का आयोजन नहीं हो पाया। गांव में पोला के इस पवित्र और पौराणिक त्यौहार को पारंपरिक ढंग से धूमधाम से मनाया गया।

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