वनाधिकार पट्टा बना राज्य के किसानों का सहारा
जमीन बेदखली से चिंतामुक्त हो आधुनिक कृषि की ओर बढ़ाया कदम
रायपुर, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा वन भूमि में कई वर्षों सें काबिज होकर खेती करने वाले किसानों को वन अधिकार मान्यता पत्र प्रदान करने की महत्वाकांक्षी योजना राज्य के अनेक भूमिहीन तथा गरीब ग्रामीण लोगों के लिए सहारा बन गया है। शासन की इस योजना के परिणामस्वरुप अनेक जरूरतमंद लोग जिनके पास खेती के लिए या तो बिल्कुल भी भूमि नहीं है या फिर बहुत कम भूमि है उनमें अपने भविष्य को लेकर एक नई आशा का संचार हुआ है। वन अधिकार पट्टा मिलने से वे बहुत खुश हैं। अब वे जमीन से बेदखली की चिंता से मुक्त हो चुके हैं और आधुनिक तरीके से खेती कर आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
राज्य के कांकेर जिले के दुर्गूकोंदल विकासखण्ड के ग्राम सुरूगदोंह निवासी 50 वर्षीय किसान दुकालूराम और 60 वर्षीय किसान जयदेव ने बताया कि वर्षों से काबिज जमीन पर खेती करते आ रहे थे, लेकिन सरकारी रिकार्ड में वन विभाग की जमीन होने के कारण उन्हें बेदखली का हमेशा से भय बना रहता था। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की सरकार द्वारा उन्हें अब वन अधिकार पट्टा प्रदान दिया गया है, जिससे वे बेदखल होने की चिंता से मुक्त हो चुके हैं। ग्राम सुरंगदोह में दुकालूराम को 4.38 हेक्टेयर और जयदेव आरदे को 4.65 हेक्टेयर जमीन का वनाधिकार पट्टा मिला है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अंतर्गत कृषक दुकालूराम और जयदेव के खेत का समतलीकरण और तालाब निर्माण का कार्य किया गया है, साथ ही सौर ऊर्जा का लाभ भी दिया गया है। उनके द्वारा खरीफ व रबी दोनों सीजन में धान एवं मक्का की खेती की जा रही हैं। इसके अलावा उड़द, मूंग, रागी और खेत के मेड़ों मे अरहर की फसल ली जाती है। तालाब में मछली पालन भी किया जा रहा है। दुकालूराम एवं जयदेव ने बताया कि रबी सीजन में उनके द्वारा 2-2 हेक्टेयर में मक्का फसल प्रदर्शन भी लिया गया था, जिसमें कृषि विभाग के अधिकारियों का सराहनीय सहयोग रहा।
वन अधिकार पट्टा मिलने पर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उन्होंने कहा कि जमीन की बेदखली से चिंता मुक्त होकर वे आधुनिक तरीके से खेती कर रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है और वे बहुत खुश हैं।