लॉकडाउन में भी ’अनलॉक’ रहा परिवार,पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में ’कोविड-19 का पारिवारिक संबंधों पर प्रभाव’ विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार सम्पन्न
विषय विशेषज्ञों, प्राध्यापकों व शोधार्थियों ने अध्ययन के आधार पर दी जानकारी
रायपुर। निश्चित तौर पर कोविड-19 का प्रभाव परिवार पर पड़ा है और रिश्ते भी प्रभावित हुए हैं। लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा में वृद्धि हुई। सच तो यह है कि लॉकडाउन में परिवार ’अनलॉक’ रहा। हालाँकि निम्नवर्गीय परिवार के मामले में प्रायः घरेलू हिंसा पर केस दर्ज नहीं किया जाता क्योंकि पति-पत्नी के बीच मारपीट आम बात होती है। यह बातें पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र अध्ययनशाला तथा इंडियन सोसायटी ऑफ क्रिमनोलॉजी के संयुक्त तत्वावधान में ’कोविड-19 का पारिवारिक संबंधों पर प्रभाव’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में प्रमुखता से सामने आईं।
पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र अध्ययनशाला के अध्यक्ष एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एल.एस. गजपाल ने बताया कि दोपहर 12 बजे से आयोजित इस राष्ट्रीय वेबिनार के मुख्य अतिथि नेशनल विधि विश्वविद्यालय, जबलपुर के कुलपति प्रो. बलराज चौहान थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केसरी लाल वर्मा ने की। राष्ट्रीय वेबिनार के मुख्य वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रो. संजय भट्ट तथा विशिष्ट अतिथि इंडियन सोसायटी ऑफ क्रिमीनोलॉजी के चेयरमेन प्रो. पी. माधव सोम सुंदरम थे। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. हरिसिंग गौर विश्वविद्यालय सागर के प्राध्यापक प्रो. दिवाकर सिंह राजपूत, तथा पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र अध्ययनशाला के अध्यक्ष एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एल.एस. गजपाल थे। राष्ट्रीय बेबिनार में श्रीमती मनीषा दत्ता तिवारी, महिला हेल्पलाइन रायपुर एवं श्री अशोक देवांगन, शोधार्थी रविवि ने कोविड-19 पर आधारित शोध पत्र प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि प्रो. बलराज चौहान ने कोविड-19 के सामाजिक प्रभावों पर चर्चा करते हुए बताया कि परिवार संस्था के सामाजीकरण पर इसका निश्चित रूप से प्रभाव पड़ा है। इसका असर माता-पिता व बच्चों के संबंधों पर भी पड़ा है। उन्होंने कोरोना महामारी काल में विभिन्न संस्थाओं से प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर परिवार में बढ़ रही घरेलू हिंसा व अपराध की समस्या पर अपने विचार रखे। उनका मानना है कि निम्न आय वर्ग के परिवारों में घरेलू हिंसा पर केस दर्ज नहीं किया जाता क्योंकि पति-पत्नी के बीच मारपीट आम बात होती है।
पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति एवं संरक्षक प्रोफेसर केसरी लाल वर्मा ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कोविड-19 के प्रभाव के विषय में चर्चा को अकादमिक जगत के लिए बेहद उपयोगी एवं आवश्यक माना है। उन्होंने कोरोना महामारी के परिवार एवं शिक्षा जगत पर समकालीन प्रभाव के विषय में अपनी बातें रखीं। विशिष्ट अतिथि प्रो. पी.आर माध सोम सुंदरम ने कहा कि कोरोना ने पूरी दुनिया के हर व्यक्ति को कुछ न कुछ स्किल सिखाया है, जैसे शिक्षकों को ऑनलाइन कक्षाएँ लेना सिखा दिया, घर में रहकर काम करना सिखाया एवं कम जरूरतों में जीना भी सिखाया।
विषय विशेषज्ञ प्रो. संजय भट्ट ने कोरोना महामारी को औद्योगिक क्रांति से जोड़ते हुए परिवार पर हुए प्रभाव की चर्चा करते हुए कहा कि पूरी दुनिया में परिवार पर सबसे ज्यादा प्रभाव औद्योगिक क्रांति का रहा तो अब कोरोना महामारी ने इसे प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि एक तरफ जहाँ लॉकडाउन था तो दूसरी तरफ परिवार अनलॉक था। प्रोफेसर भट्ट के अनुसार सबी प्रकार के अपराधों को परिवार की प्रकृति के आधार पर समझा जा सकता है और यह परिवार के बच्चों के सामाजीकरण पर निर्भर करता है। लॉकडाउन के दौरान पारिवारिक वाद-विवाद में निश्चय ही वृद्धि देखने को मिली है जिसका कारण पति-पत्नी के सांस्कृतिक मान्यताओं में भिन्नता, आर्थिक संकट तथा स्मार्ट फोन के द्वारा घर में तीसरे व्यक्ति की पहुँच को माना जा सकता है। संयोजक प्रो. डी.एस. राजपूत ने वेबिनार को आज के परिवेश में प्रासंगिक बताते हुए इसके विविध पक्षों की चर्चा की जिसमें विशेषकर बच्चों पर पड़े प्रभावों पर अपने विचार रखे।
राष्ट्रीय वेबिनार के शोध आलेख प्रस्तुतिकरण में श्रीमती मनीषा तिवारी दत्ता ने महिला हेल्पलाइन में लॉकडाउन के दौरान दर्ज प्रकरणों की चर्चा की तथा इस दौरान पीड़ितों को आने वाली समस्याओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। शोधार्थी अशोक कुमार देवांगन ने अपने अनुभवजन्य तथ्यों को साझा करते हुए यह बताया कि लॉकडाउन अवधि में परिवार में मतभेद उभरकर सामने आए पर यह आंशिक ही कहा जा सकता है। आयोजन सचिव डॉ. एल.एस. गजपाल ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में यह कहा कि संकटकाल में व्यक्ति अपना समायोजन समाज के साथ नहीं कर पाता है और वह मनमाना व्यवहार करने लगता है यह स्थिति विचलन की अवस्था को दर्शाती है। राष्ट्रीय वेबिनार के अंत में डॉ. एन. कुजूर व डॉ. हेमलता बोरकर ने अपने विचार रखे। राष्ट्रीय वेबिनार में छत्तीसगढ़ सहित विभिन्न राज्यों के विषय विशेषज्ञों, प्राध्यापकों, शोधार्थियों ने हिस्सा लिया।