जलवायु अनुकूलन पर आधारित तकनीकी ज्ञान के साथ ही बनाएं आगामी लेबर बजट- नमिता मिश्रा
JOGI EXPRESS
आइसीआरजी विशेषज्ञों के द्वारा मनरेगा के लेबर बजट निर्माण पर विशेष प्रशिक्षण संपन्न
बैकुण्ठपुर – महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना के तहत बनाए जाने आगामी लेबर बजट में किन विषयों को किस महत्वता के साथ जोड़ा जाना है यह विशेष प्रशिक्षण राज्य कार्यालय से आए दो विषय विशेषज्ञों के द्वारा प्रदान किया गया। जलवायु अनुकूलित संरचनाओं के निर्माण पर आधारित इस प्रशिक्षण के लिए राज्य कार्यालय से आइसीआरजी टीम लीडर – नमिता मिश्रा व संवर्धन एनजीओ के प्रमुख टीम मैनेजर दिनेश सिंह के द्वारा विशेष प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण सत्र केा संबोधित करते हुए नमिता मिश्रा ने कहा कि आगामी लेबर बजट बनाने के लिए हमे तीन मुख्य बिंदुओ का ध्यान रखना होगा। इनमें सबसे पहले मिशन वाटर कंजर्वेशन को ध्यान में रखना होगा। जब आप जिले की प्रत्येक ग्राम पंचायत को ध्यान में रखकर लेबर बजट बनाने के लिए जांएगें तो सबसे पहले आपको वहां की जल संसाधन के साथ जमीन और जंगल की उपलब्धता पर भी गौर करना होगा। कई एैसी संरचनाएं होती है जो एक तरह की मिटटी के लिए तो सफल होती हैं पर वही दूसरी जमीन और जगह के लिए उतनी कारगर नहीं होती। मिशन वाटर कंजर्वेशन विषय के साथ अंत्योदय ग्राम के कांसेप्ट के साथ महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना के उपयोग पर भी विस्तार से जानकारी देते हुए नमिता ने प्रशिक्षणार्थियों को बताया कि किस तरह लेबर बजट बनाने के समय आपको मौसमी और भौगोलिक मानचित्र मदद कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त उन्होने लेबर बजट के सभी महत्वपूर्ण बिंदुओ जैसे क्षेत्रभ्रमण जल उपलब्धता मानव संसाधन की उपलब्धता कार्य की मांग जैसे विषयों पर समेकित रूप से कार्य करने के साथ ग्राम पंचायत के सक्रिय पंजीकृत श्रमिकों के उपलब्धता के अनुसार लेबर बजट बनाने के तकनीक के बारे में अवगत कराया।
प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षकों ने बताया कि आगामी वर्षों मे महिलाओं के स्व सहायता समूहों के साथ साथ ग्राम विकास की कार्ययोजना पर कैसे काम करना है। उन्होने बताया कि कोरिया जिले में जलवायु परिवर्तन का असर देखने में आने लगा है। यहं की बारिश का प्रतिशत जहां तेजी से कम हो रहा है वहीं भूजल स्तर पर भी काफी बुरा असर देखने को मिल रहा। उनहोने कहा कि आगामी लेबर बजट में 65 प्रतिशत कार्य जल संरक्षण व संबर्धन पर ही आधारित होंगे। हमें यह देखने में आता है कि जलवायु धीरे धीरे परिवर्तित होती है पर हमें यह पता ही नहीं चलता। हमें मौसमों में अंतर तो दिखता है परंतु उसके दूरगामी हानि या अन्य परिणामेां पर हम सेाचते ही नहीं है। अब समय आ चुका है कि हम प्रत्येक कार्य आगामी वर्षों में होने वाले जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखकर करें। संबर्धन नामक राज्य स्तरीय एनजीओ के प्रबंधक दिनेश सिंह ने कहा कि हम बदलते मौसम से लड़ नहीं सकते परंतु उससे अनुकूलन के लिए व्यवस्थित कदम जरूर उठा सकते हैं। आइसीआरजी का यहीं मूलमंत्र है। हमें अपने आस पास की भौगोलिक परिस्थिति का आंकलन करने के साथ ही आने वाले समय की मांग के अनुसार जल जंगल और जमीन का व्यवस्थित प्रबंधन करना होगा। विषय विशेषज्ञों ने बताया कि किस तरह के कार्येां के साथ आपका आगामी लेबर बजट प्रभावी ढंग से बनेगा। उन्होने कहा कि लेबर बजट का काम सिर्फ रोजगार उत्पन्न करना न होकर पंजीकृत श्रमिकों के साथ पैरा 5 के लोगों के आजीविका को स्थायित्व देना भी रखना होगा। आपके गांवों में पजीकृत श्रमिकों का जीवन स्तर तभी उठेगा जब वह स्थायी आजीविका के साधनों से जुड़ जाएंगे। लेबर बजट बनाने में हो रही चूक आदि के बारे में चर्चा करते हुए विषय विशेषज्ञों ने सभी कार्यों के पहले लेबर बजट अनुमान के लिए एक तकनीक का इस्तेमाल करने के बारे में बताया। उनहोने बताया कि यदि एक गांव में 100 श्रमिक कार्य के लिएं पंजीकृत हों तो वहां का लेबर बजट 100 गुणा 100 के मान से लगभग दस हजार मानव दिवस के लिए होगा। इसके साथ प्रचलित मानव श्रम की दर का गुणा करके ही कुल अकुशल श्रम की मजदूरी का और अनुपात के नियम लगाकर कुल लेबर बजट की राशि का आंकलन किया जा सकेगा। इस प्रशिक्षण में सोनहत और जनकपुर के कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा के साथ उनकी तकनीकी टीम और महिला स्व सहायता समूह की अध्यक्ष सचिव सहित अन्य संबंधित अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे।