बिहार : राज्यपाल ने ‘कोरोना महामारी’ के दौर में आर्थिक मितव्ययिता बरतने का निदेश दिया
पटना : महामहिम राज्यपाल श्री फागू चौहान ने ‘कोरोना महामारी’ (ब्व्टप्क्.19) से संबंधित राहत एवं बचाव कार्यों में आर्थिक संसाधनों की अधिकाधिक उपलब्धता सुनिश्चित कराने हेतु चल रहे विभिन्न सरकारी प्रयासों को गति प्रदान करने के उद्देश्य से अपने स्तर पर भी कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं।
राज्यपालश्रीचौहानने‘कोरोना-संक्रमण’केदौरमें कई महत्वपूर्ण सैद्धान्तिक निर्णय लेते हुए राजभवन के व्यय में कटौती की दिशा में ठोस पहल की है। राज्यपाल, जो राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी हैं, ने सभी कुलपतियों से भी अपेक्षा की है कि वे विश्वविद्यालयों में नई परियोजनाएँ कार्यान्वित करने की दिशा में संयम का परिचय देंगे ताकि कोरोना महामारी से बचाव हेतु चल रहे सरकार के राहत-प्रयासों में कोई आर्थिक कठिनाई नहीं हो। राज्यपाल ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय के तहत वित्तीय वर्ष 2020-21 में अब राजभवन में किसी भी नये निर्माण कार्य के प्रस्ताव को स्वीकृत नहीं करने का निर्णय लिया है।
राजभवन में अब सिर्फ आवश्यक निर्माण-योजनाओं को ही पूरा कराया जा सकेगा। इसी तरह संधारण एवं मरम्मति-कार्य, जो अत्यन्त आवश्यक हों, पर भी न्यूनतम रूप में राशि व्यय की जायेगी। महामहिम राज्यपाल के आदेशानुसार ऊर्जा-संरक्षण के उद्देश्य से वैकल्पिक ऊर्जा- स्रोतों का इस्तेमाल करने तथा विद्युत के कमतर उपयोग की हिदायत राज्यपाल सचिवालय की सभी शाखाओं को दी गई है ताकि विद्युत-व्यय में कमी लायी जा सके। महामहिम राज्यपाल ने राजभवन में नये वाहनों की खरीददारी पर भी रोक लगा दी है तथा ईंधन के उपयोग में भी मितव्ययिता बरतने को कहा है।
राज्यपाल ने अपनी तथा राज्यपाल सचिवालय में कार्यरत सभी पदाधिकारियों की घरेलू-यात्राओं और कार्यक्रमों को भी न्यूनतम रूप में ही निर्धारित करने का निदेश दिया है ताकि सोशल डिस्टेन्सिंग के प्रावधानों का भी पालन हो सके और आर्थिक व्यय को भी परिसीमित किया जा सके। राज्यपाल ने निदेशित किया है कि ‘स्वागत-समारोहों’, ‘राजभोज’ या अन्य समारोहिक आयोजनों के क्रम में आमंत्रित अतिथियों की संख्या में कमी लाई जाये, सजावटी फूलों एवं अन्य वस्तुओं के प्रयोग तथा भोजन के मेन्यू आदि में भी यथासंभव कटौती की जाये। राज्यपाल-सह-कुलाधिपति के उक्त निर्णय से सभी कुलपतियों को अवगत कराते हुए उनसे भी यह अपेक्षा की गई है कि वे भी अपने क्षेत्राधिकार के विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में उक्त निर्णयों के समरूप आवश्यक व्यवस्था कार्यान्वित करना सुनिश्चित करेंगे।