November 23, 2024

नोटबन्दी के दौरान फेयर एंड लवली स्किम से 45% गरीबो के नाम से लेकर कालाधन को सफेद किये थे वो पैसा कहा है : ठाकुर

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मोदी सरकार सैनिक विरोधी कर्मचारी विरोधी पेंशनर विरोधी, 5 ट्रिलियन इकनॉमिक की खुली पोल

मोदी सरकार के 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने की दावा की खुली पोल, एक माह के लाक डाउन में केंद्रीय कर्मचारी सैन्य संसाधन सांसद निधि और अन्य जनहित के राशियों में किया जा रहा है कटौती

रायपुर/26अप्रैल 2020/मोदी सरकार के सैनिक विरोधी कर्मचारी विरोधी और पेंशनर विरोधी रवैया पर सवाल खड़े करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने पूछा है कि सैनिकों पेंशनरों और कर्मचारियों का भत्ता झटकने की नौबत क्यों और कैसे आ गयी ? एक महीने में ही आर्थिक हालत इतनी खराब कैसे हो गई ? मोदी जी छह साल से क्या कर रहे थे कि एक महीने की बन्दी से खजाना खाली हो गया?
रिजर्व बैंक से ली गई 1 लाख 76 हज़ार करोड़ रु कहा है?
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा किअंतराष्ट्रीय बाजार में से सस्ते क्रूड ऑयल खरीद कर पेट्रोल डीजल पर भारी भरकम टैक्स लगाकर 20 लाख करोड़ रु मुनाफा कमाया गया कहा है?इसमें रिफाइनरी वाले अंबानी की बात तो कर ही नहीं रहे हैं । GST कलेक्शन भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार बढ़ा ही है। इनकम टैक्स में भी अभूतपूर्व वृद्धि की जानकारी मोदी जी की सरकार ने ही देश को और संसद को दी है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि अभी तो 2020 – 21 के वित्त वर्ष की शुरुआत ही हुई है।30 लाख करोड़ के बजट की सारी मदों के पैसे सरकार के पास बचे ही हैं। सभी कम्पनियों के CSR के पैसे भी केंद्र सरकार ने ले ही लिए हैं ।सांसदों के 2 साल की सांसद निधि की राशि भी जब्त कर ली है। राष्ट्रपति से लेकर सांसद तक के वेतन से भी 30 फीसदी कटौती कर ली है। टाटा और अन्य कम्पनियों ने भी हजारों करोड़ का चंदा दे ही दिया। मात्र 20 -30 हजार कोरोना मरीज मिलने पर आपकी हालत ये हो गयी कि अब सैनिकों और कर्मचारियों के वेतन और कर्मचारियों की पेंशन पर भी नजर गड़ गयी ? बुजुर्गों का महँगाई राहत का हक भी छीन लिया ? क्या इसी आर्थिक हालत के बल पर 5 ट्रिलियन का जोश मार रहे थे? पूरी दुनिया के दादा बनने के दावे कर रहे थे? करोना की स्थिति गंभीर से गंभीर होती जा रही है। किसी देश से युद्ध छिड़ जाए तो क्या कीजियेगा? इराक, ईरान, कोरिया और अनेक देश कड़े अंतराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बाद भी इतने लाचार न हुए थे।

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