आदिवासी क्षेत्रों में डिजिटल माध्यम से बालगीत सीखकर खुश हो रहे बच्चे
महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण सहित बाल शिक्षा का भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रख रही ध्यान
रायपुर : आदिवासी क्षेत्रों में बच्चे घर पर ही डिजिटल माध्यम से बालगीत सीखकर बहुत खुश हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ी और स्थानीय बोली में बालगीत, कहानी, कविता के वीडियो के माध्यम से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर पहुंचकर पालकों को जागरूक कर रही हैं। इसी क्रम में जगदलपुर परियोजना के सेक्टर जाटम की कार्यकर्ता सुश्री बंसती ने कुमारी भवानी को मोबाईल के माध्यम से बालगीत दिखाया। मोबाईल में बालगीत सुनने-देखने से बालिका भवानी खुशी से ताली बजाने लगी। डिजिटल माध्यम से सीखते हुए बच्ची भवानी की तरह ही कई स्थानीय बच्चों के चेहरे पर इसी तरह की रौनक देखी जा सकती है। उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन के दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ी में अध्यनरत् बच्चों को प्रारंभिक बाल्यावस्था देखरेख और शिक्षा के लिए डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से व्यवस्था की गई है।
आदिवासी क्षेत्रों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा के साथ-साथ महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण पर भी ध्यान दे रही हैं। गृह भेंट कर हितग्राहियों को कोरोना संक्रमण से बचाव के संबंध में भी जानकारी दे रही हैं। जिले की कार्यकर्ताओं ने दीवार लेखन के माध्यम से भी जागरूकता लाने का कार्य किया है। बच्चों के सही विकास की जानकारी अभिभावकों तक पहुंचाना भी जरूरी है, इसलिए ग्रोथचार्ट पालको के सामने भरा जा रहा है। गर्भवती माताओं और बच्चों के स्वास्थ्य का भी ध्यान स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा रखा जा रहा है। बच्चों का टीकाकरण, वजन की नाप भी किया जा रहा है। बस्तर जिले में लॉकडाउन के दौरान 38 हजार 355 छः माह से 36 माह के सामान्य व मध्यम कुपोषित बच्चों, 1459 छः माह से 36 माह के गंभीर कुपोषित बच्चों और 8 हजार 606 गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया गया है।
कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों को 13 मार्च से बंद किया गया है। बच्चों और महिलाओं को पोषण स्तर को ध्यान में रखते हुए लॉकडाउन की अवधि में जिले के आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा 1981 आंगनबाड़ी केन्द्रों के लगभग 96 हजार हितग्राहियों को घर-घर जाकर रेडी-टू-ईट पोषक आहार का वितरण किया गया है। मार्च माह तक टेक होम राशन वितरण का काम पूरा हो चूका है, और अप्रैल माह का वितरण हितग्राहियों को किया जा रहा है। इसके अलावा सबला पोषण आहार के अन्तर्गत 11 से 14 वर्ष की शाला त्यागी 2 हजार 335 किशोरियों को भी पोषण आहार उपलब्ध कराया गया है।
मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत हितग्राहियों को गर्म भोजन के स्थान पर सूखा राशन वितरण किया जा रहा है। इसके तहत् जिले के 9 परियोजना कार्यालय द्वारा 2 हजार 976 एनीमिया पीड़ित महिलाओं, 9 हजार 201 शिशुवती माताओं, 16 हजार 870 एक से 3 वर्ष के बच्चों सहित कुल 28 हजार 847 हितग्राहियों को सूखा राशन प्रदान किया गया है।
कोरोना वायरस के संक्रमण के बचाव के लिए शासन-प्रशासन के साथ-साथ मैदानी स्तर पर कार्य कर रहे कर्मचारियों का एक छोटा सा प्रयास भी संक्रमण से बचाव के लिए एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कोरोना वायरस के बचाव एवं नियंत्रण के लिए लॉकडाउन के दौरान बस्तर जिले के महिला एवं बाल विकास विभाग के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव और नियंत्रण के लिए गांवों ने नारा लेखन के साथ-साथ व्यक्तियों से सम्पर्क कर सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) बनाते हुए जागरूक कर रहीं हैं। साथ ही गर्भवती, शिशुवती महिलाओं और बच्चों को साफ-सफाई, हाथ धोने की क्रिया, सामाजिक दूरी आदि की जानकारी दे रहीं हैं। इससे आम नागरिक और हितग्राही भी इनके कार्यो की सराहना करते हुए कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव में अपना सहयोग दे रहे हैं।