लॉकडाउन की वजह से एआरटी सेंटरों में एड्स के मरीजों को दी जा रही 3 माह की दवाएं, दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में एएनएम व आरएचओ के माध्यम से घर तक पहुंच रही दवा
रायपुर, लॉकडाउन की वजह से एचआईव्ही पॉजिटिव मरीजों को तीन माह की दवाईंयां एक साथ एआरटी व लिंक एआरटी सेंटर्स में वितरित की जा रही है। वहीं दूर दराज के जिन मरीजों को लॉकडाउन की वजह से एआरटी सेंटर्स में पहुंचने में समस्याएं हो रही हैं उन्हें एएनएम के माध्यम के दवाईंया उपलब्ध करायी जा रही है। छत्तीसगढ राज्य एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के तहत प्रदेश के 14,000 पंजीकृत एड्स के मरीजों 10 एआरटी सेंटर व 22 लिंक एआरटी सेंटरों में दवाइंया जिला अस्पतालों के माध्यम से निशुल्क वितरित की जा रही है। प्रदेश में ज्यादातर एचआईवी पॉजिटिव के मरीज़ों को यानी स्टेज 1की दवा दी जा रहा है। वहीं लाइन-2 की मरीजों की संख्या मात्र 11 है।
छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के एडीशनल प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ.एस.के. बिंझवार ने बताया, देशभर में लॉकडाउन जारी होने से जिलों के भीतर वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित होने एड्स के मरीजों एआरटी सेंटर्स पहुंचने में काफी समस्या होने की शिकायत मिल रही थी। वहीं दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों के मरीजों को मेडिकल कॉलेज व जिला अस्पताल पहुंचने असुविधाएं हो रही है। मरीजों को लॉकडाउन के नियमों व सोशल डिसटेंसिंग का पालन करते हुए स्वास्थ्य विभाग के मैदानी अमले एएनएम व आरएचओ के माध्यम से एड्स की दवाईंयां सीधे पहुंचाने की पहल की गई है। एड्स के मरीजों को असुविधाएं न हो इस लिए तीन माह अप्रेल, मई व जून तक की निशुल्क दवाइयां वितरण की जा रही है।
डॉ. बिंझवार ने बताया, राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के अंतर्गत स्वीकृत प्रदेश में कुल 10 एआरटी केंद्र मेडिकल कॉलेज रायपुर, बिलासपुर, जगदलपुर, सरगुजा, रायगढ़, राजनांदगांव और जिला अस्पतातल दुर्ग व कोरबा में एटीआर सेंटर संचालित हैं। इसके अलावा दो निजी मेडिकल कॉलेज शंकराचार्य दुर्ग और रिम्स मेडिकल कॉलेज रायपुर में भी एटीआर सेंटर में दवाईयां दी जा रही हैं। सुकमा, नारायणपुर व बीजापुर को छोड़कर 22 जिला अस्पतालों में लिंक एआरटी सेंटर की सुविधाएं हैं। जिन जिलों एड्स के 50 से अधिक मरीजों की संख्या होती है वहां लिंक एआरटी सेंटर्स संचालित किए जाते हैं। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन की गाइडलाइन के अनुसार प्रत्येक एआरटी सेंटर में एक डॉक्टंर, एक स्टॉफ नर्स, एक काउंसलर, एक लैब टेक्नेशियन कार्यरत होते हैं। डॉं. बिंझवार का कहना है एचआईवी एड्स के रोकथाम के लिए जागरुकता अभियान चलाए जाते हैं। इसके अलावा प्रदेश के एआरटी सेंटरों के माध्यम से एचआईव्ही संक्रमित मरीजों का काउंसिलिंग भी करायी जाती है।
उन्होंने बताया एड्स के प्रति जागरुकता आने कई बीमारियों के साथ एड्स की जांच अनिवार्य रुप से करायी जाती है। टीबी के मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से ऐसे मरीजों का एचआईव्ही जांच भी कराया जाता है। वहीं गर्भवती माता से उसके होने वाले बच्चों को संक्रमण से बचाने एतिहात के तौर पर एचआईवी टेस्ट करवाया जाता है। इससे बच्चे को संक्रमित होने से बचाया जा सकता, ऐसी दवाइयाँ उपलब्ध हैं जिनसे संक्रमण को माँ से बच्चे में जाने से रोका जा सकता है